मुख्तार अंसारी को सता रहा हत्या का डर, पेशी के दौरान कोर्ट से कहा- मेरे खाने में जहर मिलवा सकती है योगी सरकार

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Published : Sep 23, 2021, 9:18 PM IST

मुख्तार अंसारी

बहुचर्चित चर्चित एम्बुलेंस कांड में एमपी-एमएलए कोर्ट के सामने वर्चुअल पेशी के दौरान मुख्तार अंसारी ने एक बार फिर अपनी हत्या की आशंका जातई है. मुख्तार अंसारी ने कोर्ट से कहा कि राज्य सरकार उनसे नाराज है और उनके खाने में जहर मिलवा सकती है.

बाराबंकी : यूपी की बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी ने एक बार फिर अपनी हत्या किए जाने का अंदेशा जताई है. बहुचर्चित चर्चित एम्बुलेंस कांड की सुनवाई के दौरान गुरुवार को मुख्तार अंसारी ने कोर्ट के सामने ये आशंका जताई. मुख्तार अंसारी ने कोर्ट से कहा कि राज्य सरकार उनसे नाराज है और उनके खाने में जहर मिलवा सकती है, लिहाजा उसे उच्च श्रेणी की सुविधा दी जाए. सुनवाई को दौरान मुख्तार अंसारी के वकील की ओर से एक प्रार्थना पत्र कोर्ट को दिया गया, जिसमें जेल मैनुएल के पैरा-287 के तहत उसे जेल में हाई सेक्युरिटी देने की मांग की गई है. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 7 अक्टूबर 2021 नियत की है. आपको बता दें कि बहुचर्चित चर्चित एम्बुलेंस कांड में मुख्तार अंसारी गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बाराबंकी जनपद न्यायालय में एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष सत्र न्यायाधीश के सामने पेश हुआ था.

मुख्तार ने पहले भी जताई थी अपनी हत्या की आशंका


बहुचर्चित एम्बुलेंस कांड की सुनवाई के दौरान मुख्तार अंसारी गुरुवार को एमपी-एमएलए कोर्ट में विशेष सत्र न्यायाधीश कमलकांत श्रीवास्तव के सामने पेश हुआ था. बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये वर्चुअल पेशी हुई थी. इस दौरान मुख्तार अंसारी ने राज्य सरकार पर गम्भीर आरोप लगाए और कोर्ट से उच्च श्रेणी की सुविधा दिलाये जाने की मांग की. मुख्तार अंसारी ने कहा कि राज्य सरकार उनके खिलाफ है और उनके खाने में जहर मिलवा सकती है. उच्च श्रेणी की सुविधा मिल जाने पर उनका खाना अलग बनने लगेगा और जहर मिलाए जाने की संभावना कम हो जाएगी. मुख्तार अंसारी के अधिवक्ता रणधीर सिंह सुमन ने एक प्रार्थना पत्र कोर्ट को देकर मुख्तार अंसारी को जेल मैनुएल के पैरा 287 के तहत उच्च श्रेणी दिलाये जाने की मांग की. अब इस मामले की अगली सुनावई 7 अक्टूबर 2021 को होगी.


क्या है एम्बुलेंस कांड

आपको बतादें कि फर्जी दस्तावेजों के सहारे वर्ष 2013 में एक एम्बुलेंस बाराबंकी एआरटीओ कार्यालय से पंजीकृत कराई गई थी. इस एम्बुलेंस का प्रयोग मुख्तार अंसारी द्वारा किया जा रहा था. यूपी लाए जाने से पहले पंजाब की मोहाली कोर्ट से पेशी के दौरान मुख्तार अंसारी रोपण जेल से न्यायालय तक इसी एम्बुलेंस से गया था. जिसके बाद ये एम्बुलेंस चर्चा में आई थी. बाराबंकी जिले में UP41 AT 7171 नम्बर से पंजीकृत एम्बुलेंस द्वारा मुख्तार के रोपण जेल से मोहाली कोर्ट पहुंचने के बाद हड़कम्प मचा गया. इसके बाद बाराबंकी संभागीय परिवहन विभाग में जब इस एम्बुलेंस की पड़ताल शुरू की तो पता चला कि इसका रिनिवल ही नहीं कराया गया था. इसके बाद कागजात खंगाले गए तो एम्बुलेंस डॉ. अलका राय की फर्जी आईडी से पंजीकृत पाई गई. इस मामले में डॉ. अलका राय, डॉ. शेषनाथ राय, राजनाथ यादव, मुजाहिद समेत कई के खिलाफ नगर कोतवाली में मुकदमा लिखाया गया था. बाद में छानबीन में मुख्तार की संलिप्तता पाए जाने पर मुकदमे में धाराएं बढ़ाते हुए मुख्तार का नाम भी बढ़ाया गया था.

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