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25 लाख रुपये उधार लेने के बाद कर दी थी हत्या, अब पूरा जीवन सलाखों के पीछे कटेगा

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Published : May 18, 2023, 8:05 PM IST

Life imprisonment for murder convict
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बाराबंकी जिला अदालत के न्यायाधीश ने हत्या के एक मामले में आरोपी को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. इसके साथ ही कोर्ट ने 2 आरोपियों को बरी कर दिया.

बाराबंकी: जिला अदालत बाराबंकी के न्यायाधीश ने 6 वर्ष पूर्व हुई हत्या के एक मामले में एक आरोपी को दोषी ठहराया है. अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर एक आनंद कुमार ने दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. साथ ही 2 अन्य आरोपियों को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने दोषी पर 30 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

एडीजीसी क्रिमिनल अमित कुमार अवस्थी ने अभियोजन कथानक का ब्योरा देते हुए बताया कि फतेहपुर थाना क्षेत्र के बुधियापुर गांव निवासी मनोज कुमार पुत्र स्वर्गीय पृथ्वीपाल ने 26 मई 2017 को फतेहपुर थाने में तहरीर देकर बताया कि वादी 25 मई को लखनऊ में था. उस दिन उसके पिता पृथ्वीपाल ने उसको मोबाइल फोन करके बताया था कि मोहम्मदपुर खाला थाना क्षेत्र के एडौरा गांव के रहने वाले संतोष कुमार पुत्र रामचंद्र, रामचंद्र पुत्र स्वर्गीय राजाराम और बाबूजी ने उन्हें पैसा देने के लिए रामनगर बुलाया है.

वादी मनोज कुमार के मुताबिक उसके पिता ने घटना से 5-6 साल पहले जमीन और घर बेचकर 25 लाख रुपये मोहम्मदपुर खाला थाना क्षेत्र के एडौरा गांव के रहने वाले संतोष कुमार को त्रिशक्ति पावर प्लांट बसंतापुर की स्थापना के लिए उधार दिए थे. वादी मनोज कुमार के मुताबिक इन्ही पैसों को लेने के लिए संतोष कुमार के बुलाने पर उसके पिता पृथ्वीपाल अपनी बाइक से 25 मई को निकले थे. लेकिन वापस नहीं लौटे. अगले दिन परिवार वालों ने फोन करके वादी को बताया कि उसके पिता का क्षत विक्षत शव मदनापुर खैरा रेलवे क्रासिंग के ट्रैक पर पड़ा हुआ है.

सूचना पर परिवार वाले मौके पर पहुंचकर मामले की जानकारी पुलिस को दी.वादी की तहरीर पर फतेहपुर पुलिस ने संतोष कुमार पुत्र रामचन्द्र, सुदर्शन पुत्र वासुदेव निवासी एडौरा थाना फतेहपुर और रामसेवक पुत्र रामकुमार निवासी बल्लूपुर थाना मोहम्मद पुर खाला के विरुद्ध आईपीसी की धारा 302, 201, 406 के तहत मुकदमा दर्ज कर जांच पड़ताल शुरू कर दी. तत्कालीन विवेचक द्वारा वैज्ञानिक तरीके से साक्ष्य संकलन करते हुए चार्जशीट न्यायालय में दाखिल की गई.

मामले में अभियोजन पक्ष ने ठोस गवाह पेश किए. दोनों पक्ष की गवाही और तर्कों को सुनने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर एक ने आरोपी संतोष कुमार को दोषी पाते हुए उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई. साथ ही 30 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. जबकि आरोपी सुदर्शन और रामसेवक को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया.

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