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जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव : बाराबंकी में BJP ने पूर्व MLA राजरानी रावत पर लगाया दांव

बाराबंकी जनपद में जिला पंचायत अध्यक्ष को लेकर भाजपा अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है. पार्टी ने यहां पूर्व विधायक राजरानी रावत पर दांव आजमाया है. जिनकी दावेदारी काफी मजबूत मानी जा रही है. वहीं, सपा ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं.

पूर्व MLA राजरानी रावत
पूर्व MLA राजरानी रावत
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Published : Jun 25, 2021, 11:21 AM IST

बाराबंकी: आगामी विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट के बीच हो रहे जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनावों को भारतीय जनता पार्टी बड़े ही गंभीरता से लड़ने जा रही है. यही वजह है कि पार्टी ने बहुत ही सोच-समझकर जिताऊ उम्मीदवार को मैदान में उतारा है. राजधानी से सटे बाराबंकी जिले में भाजपा ने अनुभवी और पूर्व विधायक राजरानी रावत पर दांव लगाया है. हालांकि अभी तक सपा ने पत्ते नही खोले हैं, लेकिन राजरानी की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है.

भाजपा ने राजरानी रावत पर लगाया दांव
आपको बता दें, 57 सदस्यीय बाराबंकी जिला पंचायत के अध्यक्ष की कुर्सी अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व है. लखनऊ के करीब होने के चलते बाराबंकी सीट पर सभी दलों की निगाहें रहती है. यही वजह रही कि अपना उम्मीदवार तय करने में भाजपा को गहन विचार विमर्श करना पड़ा. पार्टी में इस सीट के लिए अपनी उम्मीदवारी को लेकर कई लोग दावेदारी कर रहे थे, लेकिन पार्टी ने अनुभवी और पूर्व विधायक राजरानी रावत को अपना उम्मीदवार घोषित किया है.

कौन हैं राजरानी रावत
राजरानी रावत निन्दूरा ब्लॉक के सैंदर गांव की रहने वाली हैं. इनके पति राजकरन रावत रिटायर्ड को-ऑपरेटिव बैंक मैनेजर हैं. 56 वर्षीय राजरानी रावत इंटर पास हैं. वर्ष 1995 में राजनीति में उतरी. राजरानी ने 1995 में पहली बार निन्दूरा प्रथम से डीडीसी का चुनाव लड़ा. जिसमें उन्हें जबरदस्त कामयाबी मिली.

1996 में विधानसभा की बनी उम्मीदवार
साल 1996 में भाजपा ने राजरानी रावत को फतेहपुर विधानसभा से अपना उम्मीदवार बनाया, लेकिन ये महज 527 वोटों से चुनाव हार गई. इसके बाद साल 2000 में निन्दूरा तृतीय से उन्होंने डीडीसी का चुनाव जीता. जिसके बाद साल 2002 में फतेहपुर विधानसभा से 17 हजार वोटों से भाजपा प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल कर पहली बार विधायक बनीं. फिर साल 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने राजरानी रावत फिर अपना उम्मीदवार बनाया, लेकिन वह बसपा उम्मीदवार मीता गौतम से चुनाव हार गईं.

हालात बदले तो भाजपा छोड़ सपा में हुईं शामिल
राजनीतिक हालात बदले तो राजरानी रावत ने भाजपा छोड़ दी और साल 2012 में समाजवादी पार्टी में शामिल हो गई. उस वक्त जिले की सपा राजनीति में चल रही उठापटक का उनको फायदा मिला और सपा ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में रामसागर का टिकट काटकर राजरानी को लोकसभा उम्मीदवार बना दिया. 2014 के लोकसभा चुनाव में राजरानी रावत भाजपा की प्रियंका सिंह रावत से चुनाव हार गईं.

अप्रैल 2019 में फिर हुई 'घर वापसी'
लोकसभा चुनाव हारने के बाद राजराजनी रावत नजदीकियां फिर भाजपा में बढ़ी और 17 नवम्बर 2019 को इनकी फिर घर वापसी हो गई. उसके बाद ये पार्टी के हर कार्यक्रम में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेने लगी. हाल ही में हुए पंचायत चुनाव में भाजपा ने इन्हें फिर निन्दूरा चतुर्थ से अपना जिला पंचायत सदस्य का उम्मीदवार बनाया और जीत हासिल की.

इसे भी पढ़ें:25 जून 1975 का वो काला दिन, याद कर सिहर उठते हैं लोकतंत्र सेनानी


तीन बार डीडीसी चुनाव जीत चुकी और एक बार पार्टी से विधायक रह चुकी राजरानी के अनुभव और संघर्ष को देखते हुए बीजेपी ने एक बार फिर राजरानी रावत पर भरोसा जताया है. इसीलिए पार्टी ने राजरानी को जिला पंचायत अध्यक्ष का उम्मीदवार बनाया है. पार्टी जिलाध्यक्ष अवधेश श्रीवास्तव ने बताया कि सर्व सम्मति से राजरानी को उम्मीदवार बनाया गया है.

बाराबंकी में कब-कब कौन रहा जिला पंचायत अध्यक्ष
वर्ष 1952 से वर्ष 1975 तक महंत जगन्नाथ दास
वर्ष 1975 से 1989 तक प्रशासक (जिलाधिकारी)
वर्ष 1989 से 1995 तक देव नरायन सिंह (जनता पार्टी)
वर्ष 1995 से 2000 तक रामगोपाल रावत (सपा)
वर्ष 2000 से 2006 तक कुसुम सिंह (सपा)
वर्ष 2006 से 2016 तक शीला सिंह (बसपा)
वर्ष 2016 से अब तक अशोक सिंह (सपा)

भाजपा ने कसी कमर
बाराबंकी में पिछले कई सालों से भाजपा पंचायत अध्यक्ष पद पर काबिज नहीं हो पाई है. यही वजह है कि इसे प्रतिष्ठा का सवाल मानते हुए पार्टी बड़े ही संगठित ढंग से चुनाव लड़ रही है. जिला अध्यक्ष अवधेश श्रीवास्तव का दावा है कि उनके पास जीत से कहीं ज्यादा सदस्य हैं.


इसे भी पढ़ें : युवती से टिकटॉक पर दोस्ती कर पीएसी के सिपाही ने किया दुष्कर्म, SSP से लगाई इंसाफ की गुहार

बाराबंकी: आगामी विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट के बीच हो रहे जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनावों को भारतीय जनता पार्टी बड़े ही गंभीरता से लड़ने जा रही है. यही वजह है कि पार्टी ने बहुत ही सोच-समझकर जिताऊ उम्मीदवार को मैदान में उतारा है. राजधानी से सटे बाराबंकी जिले में भाजपा ने अनुभवी और पूर्व विधायक राजरानी रावत पर दांव लगाया है. हालांकि अभी तक सपा ने पत्ते नही खोले हैं, लेकिन राजरानी की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है.

भाजपा ने राजरानी रावत पर लगाया दांव
आपको बता दें, 57 सदस्यीय बाराबंकी जिला पंचायत के अध्यक्ष की कुर्सी अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व है. लखनऊ के करीब होने के चलते बाराबंकी सीट पर सभी दलों की निगाहें रहती है. यही वजह रही कि अपना उम्मीदवार तय करने में भाजपा को गहन विचार विमर्श करना पड़ा. पार्टी में इस सीट के लिए अपनी उम्मीदवारी को लेकर कई लोग दावेदारी कर रहे थे, लेकिन पार्टी ने अनुभवी और पूर्व विधायक राजरानी रावत को अपना उम्मीदवार घोषित किया है.

कौन हैं राजरानी रावत
राजरानी रावत निन्दूरा ब्लॉक के सैंदर गांव की रहने वाली हैं. इनके पति राजकरन रावत रिटायर्ड को-ऑपरेटिव बैंक मैनेजर हैं. 56 वर्षीय राजरानी रावत इंटर पास हैं. वर्ष 1995 में राजनीति में उतरी. राजरानी ने 1995 में पहली बार निन्दूरा प्रथम से डीडीसी का चुनाव लड़ा. जिसमें उन्हें जबरदस्त कामयाबी मिली.

1996 में विधानसभा की बनी उम्मीदवार
साल 1996 में भाजपा ने राजरानी रावत को फतेहपुर विधानसभा से अपना उम्मीदवार बनाया, लेकिन ये महज 527 वोटों से चुनाव हार गई. इसके बाद साल 2000 में निन्दूरा तृतीय से उन्होंने डीडीसी का चुनाव जीता. जिसके बाद साल 2002 में फतेहपुर विधानसभा से 17 हजार वोटों से भाजपा प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल कर पहली बार विधायक बनीं. फिर साल 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने राजरानी रावत फिर अपना उम्मीदवार बनाया, लेकिन वह बसपा उम्मीदवार मीता गौतम से चुनाव हार गईं.

हालात बदले तो भाजपा छोड़ सपा में हुईं शामिल
राजनीतिक हालात बदले तो राजरानी रावत ने भाजपा छोड़ दी और साल 2012 में समाजवादी पार्टी में शामिल हो गई. उस वक्त जिले की सपा राजनीति में चल रही उठापटक का उनको फायदा मिला और सपा ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में रामसागर का टिकट काटकर राजरानी को लोकसभा उम्मीदवार बना दिया. 2014 के लोकसभा चुनाव में राजरानी रावत भाजपा की प्रियंका सिंह रावत से चुनाव हार गईं.

अप्रैल 2019 में फिर हुई 'घर वापसी'
लोकसभा चुनाव हारने के बाद राजराजनी रावत नजदीकियां फिर भाजपा में बढ़ी और 17 नवम्बर 2019 को इनकी फिर घर वापसी हो गई. उसके बाद ये पार्टी के हर कार्यक्रम में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेने लगी. हाल ही में हुए पंचायत चुनाव में भाजपा ने इन्हें फिर निन्दूरा चतुर्थ से अपना जिला पंचायत सदस्य का उम्मीदवार बनाया और जीत हासिल की.

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तीन बार डीडीसी चुनाव जीत चुकी और एक बार पार्टी से विधायक रह चुकी राजरानी के अनुभव और संघर्ष को देखते हुए बीजेपी ने एक बार फिर राजरानी रावत पर भरोसा जताया है. इसीलिए पार्टी ने राजरानी को जिला पंचायत अध्यक्ष का उम्मीदवार बनाया है. पार्टी जिलाध्यक्ष अवधेश श्रीवास्तव ने बताया कि सर्व सम्मति से राजरानी को उम्मीदवार बनाया गया है.

बाराबंकी में कब-कब कौन रहा जिला पंचायत अध्यक्ष
वर्ष 1952 से वर्ष 1975 तक महंत जगन्नाथ दास
वर्ष 1975 से 1989 तक प्रशासक (जिलाधिकारी)
वर्ष 1989 से 1995 तक देव नरायन सिंह (जनता पार्टी)
वर्ष 1995 से 2000 तक रामगोपाल रावत (सपा)
वर्ष 2000 से 2006 तक कुसुम सिंह (सपा)
वर्ष 2006 से 2016 तक शीला सिंह (बसपा)
वर्ष 2016 से अब तक अशोक सिंह (सपा)

भाजपा ने कसी कमर
बाराबंकी में पिछले कई सालों से भाजपा पंचायत अध्यक्ष पद पर काबिज नहीं हो पाई है. यही वजह है कि इसे प्रतिष्ठा का सवाल मानते हुए पार्टी बड़े ही संगठित ढंग से चुनाव लड़ रही है. जिला अध्यक्ष अवधेश श्रीवास्तव का दावा है कि उनके पास जीत से कहीं ज्यादा सदस्य हैं.


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