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बाराबंकी जेल नींबू घोटाला: डीआईजी की रिपोर्ट में नीबू घोटाले की बात साफ नहीं

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Published : Jun 11, 2022, 10:02 PM IST

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बाराबंकी जेल नींबू घोटाला

बाराबंकी जिला जेल का जेल राज्यमंत्री के द्वारा औचक निरीक्षण से करीब 15 दिन पहले बाराबंकी जेल प्रशासन पर नींबू घोटाले का आरोप लगा था. शासन ने डीआईजी जेल से मामले की जांच कराई थी. जांच रिपोर्ट में नींबू खरीदे जाने की बात तो सामने आई है, लेकिन घोटाले की बात साफ नहीं है.

बाराबंकी: प्रदेश के कारागार एवं होमगार्ड राज्यमंत्री ने सात जून को मिली कई शिकायतों के मद्देनजर बाराबंकी जिला जेल कारागार का औचक निरीक्षण किया था. इस दौरान उन्हें जेल मेस में तमाम खामियां देखने को मिली थी. साथ ही बंदियों को दिया जा रहा भोजन भी मानक के विपरीत मिला था. इसको लेकर 8 जून को उन्होंने बड़ी कार्रवाई करते हुए जेल अधीक्षक समेत चार को निलंबित कर दिया था.

जेल राज्यमंत्री के औचक निरीक्षण से करीब 15 दिन पहले बाराबंकी जेल प्रशासन पर नींबू घोटाले का भी आरोप लगा था. शासन ने डीआईजी जेल से मामले की जांच कराई थी. जांच रिपोर्ट में नींबू खरीदे जाने की बात तो सामने आई है. लेकिन घोटाले की बात साफ नहीं है.

बीते मई महीने में बाराबंकी जिला जेल में नींबू घोटाले की खबर ने हड़कम्प मचा दिया था. डीजी जेल ने मामले को गम्भीरता से लेते हुए पूरे मामले की जांच डीआईजी जेल संजीव त्रिपाठी को सौंपी थी. डीआईजी ने जेल पहुंचकर मामले की पड़ताल की थी. जिसकी अब जांच रिपोर्ट सामने आई है. जांच रिपोर्ट में आया कि आयुष मंत्रालय की गाइड लाइंस के अनुक्रम में कारागार में तैनात चिकित्सकों के संयुक्त परामर्श के अनुसार और जेल मैनुअल के प्रवधानों के अनुसार बंदियों को कोरोना से बचाव के लिए और उनकी इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए प्रत्येक बन्दी को हर रोज एक नींबू दिया गया.

डीआईजी द्वारा जेल में निरुद्ध बंदियों से पूछताछ में ये निकलकर आया कि जनवरी माह से मार्च 2022 के बीच उन्हें एक-एक नींबू दिया जाता था. बयानों में सभी बंदियों ने नींबू दिए जाने की बात बताई है. कुछ बंदियों ने एसिडिटी का हवाला देकर नींबू न लेने की बात भी कुबूल की. अन्न भंडार प्रभारी, उप कारापाल और जेल अधीक्षक ने जनवरी से मार्च के बीच ठेके के आधार पर नींबू खरीदने की बात कुबूल की है. जांच में ये पाया गया कि नींबू की खरीद ठेके की दर पर की गई और प्रति नींबू की दर 06 रुपये प्रति नग थी.

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डीआईजी ने जांच में पाया कि बाजार में उस समय नींबू के दाम बढ़ गए थे. लिहाजा 06 रुपये प्रति नींबू के हिसाब से खरीद की गई थी. इससे कोई अतिरिक्त खर्च नहीं हुआ. जांच के दौरान ऐसा प्रतीत हुआ कि संबंधित नीबू की आपूर्ति करने वाले ठेकेदार द्वारा ही बाजार में नींबू के दाम कम हो जाने पर और जेल प्रशासन द्वारा 06 रुपये के हिसाब से नींबू खरीदने से इनकार करने पर ठेकेदार को नुकसान होने लगा. इसीलिए ठेकेदार ने कुपित होकर घोटाले की शिकायत की. जांच में ये भी स्पष्ट हुआ है कि साल 2020 एवं 2021 में भी कोरोना काल मे नींबू की खरीद की गई थी. इस जांच में ये तो साफ हो गया कि जेल प्रशासन द्वारा नींबू की खरीद की गई. लेकिन घोटाले की बात साफ नहीं हो सकी.

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