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शहीद कर्नल आशुतोष शर्मा का बलरामपुर से था गहरा नाता, 5वीं तक यहीं हुई थी पढ़ाई

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Published : May 8, 2020, 6:33 PM IST

सरस्वती विद्या मंदिर के प्रबंधक डॉ. दिव्य दर्शन तिवारी ने साझा की यादें.
सरस्वती विद्या मंदिर के प्रबंधक डॉ. दिव्य दर्शन तिवारी ने साझा की यादें.

जम्मू-कश्मीर के हंदवाड़ा में शहीद हुए 21वीं राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल आशुतोष शर्मा का बलरामपुर से गहरा नाता था. उनके पिता जिले में भूमि संरक्षण अधिकारी थे और उस वक्त पूरा परिवार यहीं रहता था. उनकी पढ़ाई-लिखाई भी यहीं हुई. शहीद आशुतोष शर्मा के व्यक्तित्व को याद करते हुए महारानी लाल कुमारी महाविद्यालय में वनस्पति विभाग के विभागाध्यक्ष और सरस्वती विद्या मंदिर के प्रबंधक डॉ. दिव्य दर्शन तिवारी ने उनकी तमाम यादें ईटीवी भारत से साझा की.

बलरामपुर: हाल ही में जम्मू-कश्मीर के हंदवाड़ा में हुई आतंकी घटना में 21वीं राष्ट्रीय राइफल्स के जवानों ने अपनी वीरता और साहस का अभूतपूर्व परिचय दिया. इस हमले में आतंकवादियों से लड़ते हुए भारत के पांच जवान शहीद हो गए. मूलत: बुलंदशहर के रहने वाले 21वीं राष्ट्रीय राइफल के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल आशुतोष शर्मा भी इसी आतंकवादी घटना शहीद हो गए थे.

सरस्वती विद्या मंदिर के प्रबंधक डॉ. दिव्य दर्शन तिवारी ने साझा की यादें.

कर्नल आशुतोष शर्मा का बलरामपुर से था गहरा नाता
कर्नल आशुतोष शर्मा का गहरा नाता बलरामपुर जिले से भी था. इनका बचपन यहीं व्यतीत हुआ और बलरामपुर नगर में स्थित सरस्वती शिशु मंदिर में इन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी की थी. दरअसल, कर्नल आशुतोष शर्मा के पिता बलरामपुर जिले में भूमि संरक्षण अधिकारी थे और उस वक्त पूरा परिवार यहीं रहता था.

सरस्वती विद्या मंदिर के प्रबंधक डॉ. दिव्य दर्शन तिवारी ने साझा की यादें
शहीद आशुतोष शर्मा के व्यक्तित्व को याद करते हुए महारानी लाल कुमारी महाविद्यालय में वनस्पति विभाग के विभागाध्यक्ष और सरस्वती विद्या मंदिर के प्रबंधक डॉ. दिव्य दर्शन तिवारी ने उनकी तमाम यादें ईटीवी भारत से साझा की. उन्होंने बताया कि कर्नल आशुतोष शर्मा का परिवार हमारे घर से थोड़ी दूर पर ही रहता था. हम सभी लोग सरस्वती शिशु मंदिर में पढ़ाई करते थे. आशुतोष शर्मा मेरे छोटे भाई के सहपाठी थे, जबकि उनकी बड़ी बहन नूतन शर्मा हमारी सहपाठी थीं.

शुरू से ही पढ़ाई-लिखाई में थे अच्छे
डॉ. तिवारी बताते हैं कि शहीद आशुतोष शर्मा पढ़ाई-लिखाई में शुरू से बहुत ही अच्छे थे. उन्हें भारतीय सेना के जरिए अपनी सेवाएं देने की रुचि शुरू से ही थी, जिसको बल भी यहीं से मिला. आशुतोष शर्मा खेलकूद और अन्य गतिविधियों में भी बहुत अच्छे थे. इसलिए हमारे यहां के एनसीसी के अध्यापक ओपी सिंह ने उनकी खूब हौंसला आफजाई की और उन्होंने इस बाबत खूब तैयारी भी करवाई.

डॉ. तिवारी बताते हैं कि उनका पूरा परिवार बहुत ही धार्मिक और सद्गुणी था. उनके यहां अक्सर रामचरितमानस का पाठ करवाया जाता था. उनके पिता यहां पर भूमि संरक्षण अधिकारी थे, इस नाते लगातार कुछ न कुछ आयोजन होते रहते थे. उन आयोजनों में हम लोगों का भी बराबर आना-जाना हुआ करता था.

पुरानी घटना को याद कर भावुक हुए डॉ. तिवारी
एक घटना को याद करते हुए वह भावुक हो गए. डॉ. तिवारी ने बताया कि हमारे यहां एक शास्त्री जी थे, जिन्होंने हम सभी की कुंडली बनाई थी. शहीद आशुतोष की भी कुंडली उन्होंने ही बनाई थी. जब कुंडली को देखा गया तो उन्होंने कहा था कि इस बच्चे की मौत समारोह के जैसे होगी. वह कहते हैं कि किसे पता था कि भारत माता का यह लाल आतंकवादियों से लड़ते हुए देश के लिए शहीद हो जाएगा.

सरस्वती विद्या मंदिर विद्यालय ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि
सरस्वती शिशु मंदिर के प्रबंधक डॉ. दिव्य दर्शन तिवारी कहते हैं कि पूरा बलरामपुर जिला और सरस्वती विद्या मंदिर विद्यालय प्रशासन शहीद आशुतोष शर्मा को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है. शहीद आशुतोष शर्मा के नाम पर हम प्रांतीय स्तर पर एक पुरस्कार और मेडल की शुरुआत करने की कोशिश करेंगे, जो उनके शहादत दिवस के दिन दिया जाएगा.

श्रद्धांजलि सभा का किया गया आयोजन
उन्होंने बताया कि आज भी सरस्वती शिशु मंदिर के पूर्व छात्रों द्वारा एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया था, जिसमें उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई. हम बलरामपुर के जिला प्रशासन से मांग करते हैं कि जिला प्रशासन को उनके नाम से किसी चौराहे या सड़क का नामकरण करना चाहिए.

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