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गौरा रेप केस: 5 महीने बाद कोर्ट के आदेश पर दर्ज हुआ मुकदमा, 3 पुलिसकर्मी निलंबित

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Published : Aug 17, 2021, 1:37 PM IST

प्रतिकात्मक चित्र.
प्रतिकात्मक चित्र.

बलरामपुर के गौरा रेप (दुष्कर्म) केस मामले में 5 महीने बाद कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज किया गया. वहीं एसपी हेमंत कुटियाल ने मामले में लापरवाही के आरोप में एसएचओ गौरा समेत 3 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया और विभागीय जांच बिठा दी है.

बलरामपुर: योगी सरकार भले ही बालिका एवं महिला सुरक्षा, सम्मान व स्वावलंबन के लिए लगातार कोशिश कर रही हो, लेकिन बलरामपुर जिले की गौरा चौराहा थाना पुलिस, मुख्यमंत्री की मंशा पर बट्टा लगा रही है. दरअसल, मामला थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले एक गांव का है. जहां नाबालिग के साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया गया. घटना के महीनों बीत जाने के बाद भी पीड़िता की शिकायत दर्ज नहीं की गई. जिसके बाद पीड़िता और उसका परिवार न्याय की गुहार लगाते न्यायालय पहुंचते हैं. जहां न्यायालय के आदेश पर गौरा चौराहा थाने में पीड़िता की एफआईआर दर्ज की गई. वहीं, पुलिस अधीक्षक हेमंत कुटियाल ने इस मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में एसएचओ गौरा समेत 3 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया है और विभागीय जांच बिठा दी है.

पीड़िता के परिजनों का आरोप है कि उनकी 13 वर्षीय नाबालिग बेटी के साथ पड़ोस मे रहने वाला युवक 5 महीने पहले खेत में ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया. जब नाबालिग गर्भवती हो गई तो उसने परिजनों को घटना के बारे में जानकारी दी. जिसके बाद परिजन गौरा गौराहा थाना पहुंचे. जहां परिजनों ने शिकायत दर्ज करवाई, लेकिन वहां कोई सुनवाई नहीं हुई.

जानकारी देते अपर पुलिस अधीक्षक अरविंद कुमार मिश्र.

न्यायालय के आदेश पर एफआईआर दर्ज
पीड़िता के परिजनों का आरोप है कि उन्होंने मामले का शिकायती पत्र पुलिस अधीक्षक समेत अन्य आला अधिकारियों को रजिस्ट्री के जरिए भेजा. फिर भी कोई असर नहीं हुआ. इस पर उन्होंने न्यायालय की शरण ली. 14 जून को सिविल जज जूनियर डिविजन के यहां प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया. सिविल जज ने 156/3 के तहत गौरा चौराहा थाना को मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया. जिसके बाद अभियोग पंजीकृत हुआ.

आरोप है कि गौरा चौराहा थाना की पुलिस आरोपी चंदर यादव को बुलाकर बातचीत की और उससे पैसे लिए. पुलिस ने सुलह करवाने के नाम पर पीड़िता के पिता को धारा 151 तहत चालान करके जेल भेज दिया. इसके बाद लड़की व उसकी मां को थाने पर बुलाया गया. वहां प्रभारी निरीक्षक समेत दो अन्य पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में आरोपी के भाई ने लड़की को गर्भपात की दवा खिलाई. इससे उसे काफी रक्तस्राव हुआ और हालत गंभीर हो गई.

थाने में नहीं मिली कोई सहायता

पीड़िता के परिजनों का आरोप है कि वह लगातार थाने और अन्य उच्च अधिकारियों के दरवाजों पर चक्कर काटते रहे, लेकिन किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई बल्कि आरोपी की ही मदद की गई. मामले में पुलिस अधीक्षक हेमंत कुटियाल ने गौरा थाना के प्रभारी चंद्रेश कुमार को सस्पेंड कर दिया है. उनके साथ ही आरक्षी आशुतोष व रणधीर सिंह को भी सस्पेंड किया गया है. इन लोगों के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश भी एसपी ने दे दिए हैं.

FIR दर्ज, चल रही है विवेचना
अपर पुलिस अधीक्षक अरविंद कुमार मिश्र ने बताया कि जहां तक गर्भपात का दवा खिलाने का आरोप है. यह आरोप अब तक की जांच में निराधार पाया गया है. वहीं, इस प्रकरण में पीड़िता के पिता की तहरीर के अनुसार आपीसी की धारा 376, पास्को एक्ट समेत अन्य सुसंगत धाराओं में अभियोग पंजीकृत कर लिया गया है और मुख्य आरोपी को डिटेन कर लिया गया है. वह थाने में है और उससे पूछताछ की जा रही है और आगे की विवेचना वैधानिक प्रारूप के अनुरूप की जा रही है.


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