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27 फरवरी को बागपत आएंगे राकेश टिकैत, होगी महापंचायत

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Published : Feb 24, 2021, 10:34 PM IST

मुजफ्फरनगर जनपद के सौरम गांव में भाजपा नेता संजीव बालियान के समर्थकों और ग्रामीणों के बीच हुई मारपीट व बामनौली गांव में 27 फरवरी को राकेश टिकैत के महापंचायत में आने को लेकर दोघट में किसानों की पंचायत हुई.

27 फरवरी को आएंगे राकेश टिकैत, होगी महापंचायत
27 फरवरी को आएंगे राकेश टिकैत, होगी महापंचायत

बागपत : मुजफ्फरनगर जनपद के सौरम गांव में भाजपा नेता संजीव बालियान के समर्थकों और ग्रामीणों के बीच हुई मारपीट व बामनौली गांव में 27 फरवरी को राकेश टिकैत के महापंचायत में आने को लेकर दोघट में किसानों की पंचायत हुई. पंचायत में किसानों ने कहा कि किसान तब तक शांत नहीं बैठेंगे जबतक कि कृषि कानून वापस नहीं लिया जाता. किसानों के आक्रोश को देखते हुए भाजपा नेता एवं समर्थक अभी गांवों में न जाएं. दोघट कस्बे में राजेंद्र चौधरी के आवास पर किसानों की पंचायत का आयोजन किया गया.

पंचायत में किसान नेताओं ने कहा कि पंचायत होने के बाद प्रत्येक नेता अपने-अपने गांव में पंचायत करें. उसमें आह्वान करें कि जो मंत्री या राजनेताओं के लोग हैं, अगर वो अपने आवास पर कोई अनुष्ठान या परोजन करें तो सत्ता पक्ष से जुड़े किसी व्यक्ति को न बुलाएं.

किसानों ने बताया क्यों की पंचायत

मुजफरनगर के सोरम में भारत सरकार के मंत्री किसानों को समझने नहीं बल्कि लड़ाने आए. ये सरकार गुंडों की सरकार है. इनका सामना डंटकर करना है. ये हमारी आवाज उठाने की बजाय दबा रहे हैं. इसका परिणाम इन्हें भुगतना पड़ेगा. 27 तारीख को संयुक्त मोर्चा के किसान और चौधरी राकेश टिकैत बामनोली गांव में आएंगे. इन मुद्दों को लेकर ही पंचायत की. - धर्मेन्द्र प्रधान, किसान

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27 तारीख को राकेश टिकैत बामनोली में आएंगे. किसानों के मामलों में पंचयात होगी. बीजेपी के जिम्मेदार नेता अगर गांव में जाएंगे तो उन्हें दिक्कत होगी. गांव वाले ज्यादा बर्दाश्त नही कर रहे. कम से कम तब तक न जाएं जब तक आंदोलन चल रहा है. वो अपने घर पर ही रहें. इन मुद्दों पर ही पंचायत हुई. - राजेन्द्र सिंह, पंचायत आयोजक

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सरकार का रवैय्या कारपोरेट घरानों के पक्ष में है. सरकार जमीन छीनकर उनको देना चाहती है. ऐसे में जितना दबाएंगे उतना ही हम मजबूत होंगे. पहले खालिस्तानी कहा. टुकड़े-टुकड़े गैंग कहा. पाकिस्तानी कहा. अब इस आंदोलन को जाट बिरादरी के ऊपर थोप दिया. ये जाट आंदोलन नहीं, जन आंदोलन बन गया है. 36 बिरादरी का आंदोलन है. - मुनेश बरवाला, किसान

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