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सरकार हर हाल में 2019 में ही करे राम मंदिर का शिलान्यास: स्वामी परमहंस दास

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Published : Jun 20, 2019, 7:25 PM IST

तपस्वी छावनी त्यागी आचार्यों के महंत स्वामी परमहंस दास ने अयोध्या में मीडिया से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को राम मंदिर का शिलान्यास 2019 में ही कर देना चाहिए, जिससे 2019 में ही मंदिर बनकर तैयार हो जाए.

स्वामी परमहंस दास, तपस्वी छावनी पीठाधीश्वर.

अयोध्या: हरिद्वार में अयोध्या मामले पर विहिप व संतों की बैठक हुई. इसके बाद तपस्वी छावनी के महंत स्वामी परमहंस दास ने कहा कि विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बहुसंख्यक जनता ने नरेंद्र मोदी को दोबारा प्रचंड जनादेश के साथ प्रधानमंत्री बनाया है. इसलिए सरकार का कर्तव्य बनता है कि उनके इस भरोसे पर खरे उतरे और राम मंदिर के निर्माण के लिए 2019 में ही शिलान्यास करे.

मीडिया से बातचीत करते स्वामी परमहंस दास.
पीठाधीश्वर परमहंस दास की मीडिया से बातचीत के प्रमुख अंश:
  • विहिप, आरएसएस और बजरंग दल ने अपने प्राणों की बाजी लगाकर दिन-रात एक कर के भाजपा को प्रचंड बहुमत दिया है.
  • मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से आग्रह करता हूं कि विहिप की भावनाओं का आदर किया जाना चाहिए.
  • राम मंदिर पर हम लोग धैर्य धारण किए हुए बैठे हैं, लेकिन अब हमारे धैर्य की सीमा टूट चुकी है.
  • विहिप के कहने का पर्याय भी यही है कि 2019 में आप राम जन्मभूमि का शिलान्यास कर दीजिए, तभी 2022 तक यह निर्माण कार्य पूरा हो पाएगा.
  • राम मंदिर कोई छोटा-मोटा मंदिर नहीं है, पूरे विश्व की निगाहें इस पर टिकी हुई हैं.
  • यदि 2019 में राम जन्मभूमि का शिलान्यास हो जाता है तो 2022 में राम मंदिर बनकर खड़ा हो पाएगा.
  • समझौता कराने का काम सुप्रीम सर्वोच्च न्यायालय का नहीं है.
  • सर्वोच्च न्यायालय का काम साक्ष्य और सबूतों के आधार पर अपने तथ्य को रखना हैं.
  • हम चाहते हैं कि किसी भी कीमत पर 2019 में राम मंदिर का निर्माण शुरू हो.

जिस तरह से सोमनाथ मंदिर का निर्माण कानून बनाकर सरदार वल्लभभाई पटेल ने करवाया था, उसी तरह से अयोध्या राम जन्मभूमि पर दिव्य राम जन्मभूमि का निर्माण प्रधानमंत्री कानून बनाकर शुरू करें. जिस दिन विहिप, आरएसएस, बजरंग दल, बहुसंख्यक समाज, संत, महंत और धर्माचार्य सड़क पर उतर जाएगा तो उन्हें फिर दुनिया की कोई भी ताकत रोक नहीं पाएगी.
-स्वामी परमहंस दास, पीठाधीश्वर, तपस्वी छावनी पीठ

Intro:अयोध्या। हरिद्वार में अयोध्या मसले पर विहिप व संतों की बैठक हुई जिसके बाद अयोध्या से तपस्वी छावनी के महंत स्वामी परमहंस दास ने कहा कि विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सभी बहुसंख्यक जनता ने माननीय नरेंद्र मोदी को दुबारा प्रचंड जनादेश के साथ लाया है। इसलिए सरकार का कर्तव्य बनता है कि उनके इस भरोसे पर खरे उतरे। और राम मंदिर के निर्माण के लिए 2019 में ही शिलान्यास करें और विहिप का भी यही लक्ष्य है कि 2019 में शिलान्यास किया जाए जिसके बाद 2022 में वह बनकर तैयार हो जाए वहीं सुप्रीम कोर्ट को राम मंदिर के निर्णय के बीच में लाने के लिए कहा कि उच्च न्यायालय क्या फैसला करेगी।
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Body:तपस्वी छावनी त्यागी आचार्यों के पीठाधीश्वर परमहंस दास जी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि विश्व हिंदू परिषद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, बजरंग दल ने अपने प्राणों की बाजी लगाकर दिन रात एक कर के भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत दिया है। इसलिए मैं माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से आग्रह करता हूं कि विहिप की भावनाओं का आदर किया जाना चाहिए और विहिप के साथ साथ जितने धर्माचार्य, जितने राम भक्त, जितने बहुसंख्यक समाज है। इससे सभी की आस्था जुड़ी हुई है और हम लोग धैर्य धारण किए हुए बैठे हैं, लेकिन अब हमारे धैर्य की सीमा टूट चुकी है। अब हम सब लोग चाहते हैं कि जिस तरह से सोमनाथ मंदिर का निर्माण कानून बनाकर सरदार वल्लभभाई पटेल ने करवाया था। उसी तरह से अयोध्या राम जन्मभूमि पर दिव्य राम जन्मभूमि का निर्माण माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कानून बनाकर निर्माण कार्य शुरू करें। और 2019 में जब राम मंदिर का निर्माण शुरू करेंगे तब 2022 में जाकर पूरा होगा। विहिप के कहने का पर्याय भी यही है के 2019 में आप राम जन्मभूमि का शिलान्यास कर दीजिए तभी 2022 तक यह निर्माण कार्य पूरा हो पाएगा। क्योंकि राम मंदिर कोई छोटा-मोटा मंदिर नहीं है। पूरे विश्व की निगाह सिर्फ रामलला के राम जन्म भूमि मंदिर पर टिकी हुई हैं। राम मंदिर का निर्माण जो है एक अलग तौर तरीके से होगा। यदि 2019 में राम जन्मभूमि का शिलान्यास हो जाता है तो 2022 में राम मंदिर बन कर खड़ा हो पाएगा। और माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिसे हम सभी धर्म आचार्यों का आग्रह है। और मैं अयोध्या तपस्वी छावनी और त्यागी आचार्यों का पीठाधीश्वर और महत्त्व होने की हैसियत से मैं माननीय प्रधानमंत्री से आग्रह करता हूं कि आप विहिप की भावनाओं का आदर करें। वरना जिस तरह से बहुसंख्यक समाज ने बाबरी मस्जिद के ढांचे को गिरा कर के दिखा दिया था कि भारतीय संस्कृति को कलंकित करने वाले किसी व्यक्ति को हम नहीं छोड़ेंगे। उसी तरह से जिस दिन हम लोग सड़क पर आ जाएंगे जिस दिन विश्व हिंदू परिषद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, बजरंग दल और बहुसंख्यक समाज संत, महंत, धर्माचार्य सड़क पर उतर जाएगा फिर पूरी दुनिया की कोई ताकत रोक नहीं पाएगी। और हम लोग फिर राम मंदिर का निर्माण कर लेंगे। और जब सारे साक्ष्य मिल चुके हैं तो किस बात का समझौता करना है। समझौता कराने का काम सुप्रीम सर्वोच्च न्यायालय का नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय का काम साक्षी और सबूतों के आधार पर अपने तथ्य को रखना हैं। हम चाहते हैं कि किसी भी कीमत पर 2019 में राम मंदिर का निर्माण शुरू हो और जो विहिप ने कहा है उसके साथ हम सभी धर्माचार्य हैं।


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