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अयोध्या से 48 वर्षों से निकल रही यह भरत यात्रा...जानिए कहां तक जाती है और क्या है मान्यता

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Published : Nov 21, 2021, 8:33 PM IST

अयोध्या से रवाना हुई श्री भरत यात्रा.
अयोध्या से रवाना हुई श्री भरत यात्रा.

अयोध्या से विगत 48 वर्षों से निकल रही श्री भरत यात्रा रविवार को चित्रकूट के लिए रवाना हो गई. चलिए जानते हैं इस यात्रा से जुड़ी मान्यता और अन्य खास बातों के बारे में...

अयोध्याः राम नगरी में रविवार को श्रीराम जन्मभूमि न्यास अध्यक्ष और मणिराम दास छावनी के महंत नृत्य गोपाल दास महाराज ने अयोध्या से चित्रकूट तक 48वीं श्रीभरत यात्रा को रवाना किया.

इस मौके पर मणिराम दास छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास महाराज के मार्गदर्शन में सैकड़ो संत, धर्माचार्य तथा राम भक्त वाहनों से चित्रकूट के लिए रवाना हुए.

अयोध्या से रवाना हुई श्री भरत यात्रा.
अयोध्या से रवाना हुई श्री भरत यात्रा.


महंत नृत्य गोपाल दास ने कहा कि संपूर्ण विश्व में विषमता, अलगाव और चारित्रिक गिरावट आ रही है. सास्कृतिक परंपराओं और धार्मिक धरोहरों पर हमले किए जा रहे हैं, इन्हें हर हाल में रोकना होगा.

अयोध्या से रवाना हुई श्री भरत यात्रा.
अयोध्या से रवाना हुई श्री भरत यात्रा.

उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम ने अपने आदर्शो और मर्यादित जीवन के द्वारा ही मानवता की रक्षा कर रामराज्य की स्थापना की. इस संकल्प की पूर्ति में भरतजी सहायक सिद्ध हुए.

अयोध्या से रवाना हुई श्री भरत यात्रा.
अयोध्या से रवाना हुई श्री भरत यात्रा.

14 वर्षों तक भगवान श्रीराम ने जहां वनवासी जीवन व्यतीत कर धर्म की स्थापना की, वहीं भरतजी ने चित्रकूट जाकर उनकी चरण पादुका को सिंहासन पर विराजमान कर तपस्वी का भेष धारण किया. उन्होंने अयोध्या की राजसत्ता का 14 वर्षों तक ऐसे ही संचालन किया. ऐसे चरित्र और प्रेम की स्थापना को लेकर ही भरत यात्रा का आयोजन बीते 48 वर्षों से किया जा रहा है.

अयोध्या से रवाना हुई श्री भरत यात्रा.


महंत कमल नयन दास ने कहा साकेतवासी पूज्यपाद प्रभुदत्त ब्रम्हचारी जी महाराज की प्रेरणा से यह यात्रा विगत 48 वर्षों से मणिराम दास छावनी से चित्रकूट तक निकलती आ रही है. यात्रा का उद्देश्य सामाजिक और जीवन मूल्यों की रक्षा समाज और परिवार को एकसूत्र मे बांधना है.

उन्होंने कहा कि श्रीराम और श्रीभरत जी का जीवन चरित्र समाज के लिए अनुकरणीय है. प्रेम सद्भाव, कर्तव्य परायणता और त्याग का दर्शन सब कुछ इन महापुरुषों से प्राप्त किया जा सकता है.

उन्होंने बताया कि पांच दिवसीय श्रीभरत यात्रा नंदीग्राम, सीता कुंड ( सुल्तानपुर ), श्रृंग्वेरपुर, भारद्वाज मुनि आश्रम झूसी (प्रयागराज) होते हुए 23 नवंबर को चित्रकूट पहुंचेगी. यहां 24 नवंबर को कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा कर गुप्त गोदावरी के दर्शन किए जाएंगे. साथ ही पौराणिक स्थलों के दर्शन किए जाएंगे. 25 नवंबर को यह यात्रा अयोध्या रवाना हो जाएगी.

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भरत यात्रा प्रस्थान के मौके पर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र महासचिव चंपत राय, कृपालु रामदास "पंजाबी बाबा" रामायणी , पुनीत राम दास, महंत रामशरण रामायणी, महंत गोपाल दास, विहिप के मीडिया प्रभारी प्रभारी शरद शर्मा, जानकी दास, प्रधानाचार्य आनंंद शास्त्री, विमल दास संत परमात्मा दास, रामरक्षा दास, संत ब्रजमोहन दास, भाजपा नेता विनोद जायसवाल, भगवान दास नगेन्द्र दास, दिलीप दास, बनारसी बाबा पंडित, दीपक शास्त्री, विनय शास्त्री आदि मौजूद थे.

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