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पुलिस की बड़ी लापरवाही, रेप के झूठे आरोप में 26 महीने जेल में काटी सजा

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Published : Apr 7, 2021, 3:53 PM IST

पीड़ित युवक.
पीड़ित युवक.

यूपी के अलीगढ़ में एक युवक के खिलाफ दुष्कर्म के झूठे मामले में 26 महीने की सजा काटने का मामला सामने आया है. दुष्कर्म के मामले में पुलिस की जांच रिपोर्ट को डीएनए रिपोर्ट ने झूठा साबित कर दिया. जिसके बाद हाईकोर्ट के आदेश पर युवक को बरी कर दिया गया.

अलीगढ़: जिले में एक ऐसा मामला आया है, जिसमें युवक ने 26 महीने की सजा उस जुर्म में काटी जो उसने किया ही नहीं था. दुष्कर्म के मामले में पुलिस की जांच रिपोर्ट को डीएनए रिपोर्ट ने झूठा साबित कर दिया. डीएनए रिपोर्ट के अनुसार आरोपी युवक बच्ची का जैविक पिता नहीं है. इसके बाद हाईकोर्ट आदेश पर युवक को जेल से रिहा कर दिया गया. इस घटना के बाद पुलिस के सिस्टम पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं.

दुष्कर्म का था आरोप
यह मामला थाना बरला क्षेत्र के गांव दतावली इलाके का है. जहां 23 फरवरी 2019 को युवक अमित के खिलाफ दुष्कर्म, मारपीट और धमकी देने का आरोप था. पुलिस ने इस मामले में अमित पर 13 साल की किशोरी के साथ दुष्कर्म करने का मामला दर्ज किया गया था. इसके बाद पुलिस ने अमित के परिवार के लोगों को थाने में बैठा लिया था. जबकि अमित फरीदाबाद में नौकरी कर रहा था. उसे जब इस बात की भनक लगी तो वह अपने घर पहुंचा. बरला थाना प्रभारी के बुलाने पर अमित थाने पहुंचा. इसके बाद अमित को पुलिस ने 26 फरवरी को बिना जांच किए ही जेल भेज दिया. अप्रैल 2019 में किशोरी ने बच्ची को जन्म दिया, जिसका पिता अमित को बताया गया.

रेप के झूठे आरोप में 26 महीने जेल में काटी सजा

हाईकोर्ट से मिली डीएनए जांच की अनुमति
इस मामले में अमित के पिता ने कोर्ट में जमानत याचिका डाली लेकिन, बच्ची के जन्म की दलील सामने आने पर जमानत याचिका खारिज हो गई. इस मामले में एडवोकेट हरिओम वार्ष्णेय के माध्यम से पीड़ित ने हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखा. हाईकोर्ट से डीएनए जांच की अनुमति मिली. लखनऊ से आई डीएनए रिपोर्ट में अमित को निर्दोष पाया गया और उसे 26 महीने बाद होली के दिन रिहा कर दिया गया. हालांकि इस मामले में पास्को एक्ट के तहत कोर्ट में सुनवाई जारी है.

पुलिस ने बिना जांच किए भेजा जेल
एडवोकेट हरिओम वार्ष्णेय ने बताया कि पुलिस ने सिर्फ गुड वर्क दिखाने के लिए संवेदनशील मामले में बिना जांच किए ही अमित को जेल भेज दिया. जबकि अमित एक साल से अपने गांव नहीं आया था. वह फरीदाबाद में नौकरी करता था. पास्को कोर्ट की विशेष अदालत में मामला चल रहा है और चार्ज फ्रेम होना अभी बाकी है. हालांकि कोर्ट में आरोप डिस्चार्ज कराये जाएंगे, इसके बाद आगे की कार्रवाई होगी.

न्याय पाने के लिए बिक गए चार बीघा खेत
जिस बच्ची का पिता अमित को बताया जा रहा था डीएनए रिपोर्ट में वह साबित नहीं हो सका. न्याय की इस लड़ाई में अमित के पिता को अपनी चार बीघा जमीन तक बेचनी पड़ी. हाईकोर्ट के आदेश पर अमित जैसे-तैसे छूट गया लेकिन, इस दौरान पुलिस की जांच पर कई सवाल उठ रहे हैं. जिसका जवाब पुलिस के पास भी नहीं है. अमित के पिता सज्जन पाल उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई चाहते हैं, जिनकी लापरवाही से उनके पुत्र के बेशकीमती 26 महीने जेल में बर्बाद हो गए. पिता सज्जन पाल ने बताया कि बेटे को न्याय दिलाने के लिए जमीन बेचने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था. सज्जन पाल सिंह कहते हैं कि उनके बेटे को गलत आरोप में जेल भेजने वाले के खिलाफ कोर्ट में कार्रवाई की अपील करेंगे.

लड़की के पिता से खेती को लेकर हुआ था विवाद
अमित ने बताया कि लड़की के पिता के साथ खेती के साझे को लेकर झगड़ा हुआ था. तब अमित ने लड़की के पिता को थप्पड़ मारा था. बाद में अमित के माफी मांगने पर मामला शांत हो गया लेकिन, लड़की के पिता ने अमित की जिंदगी खराब कर दी.

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