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जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में ढाई वर्ष के बच्चे की दुर्लभ सर्जरी

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Published : Aug 27, 2022, 10:43 PM IST

अलीगढ़ में ढाई साल के बच्चे का अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज (Jawaharlal Nehru Medical College) में रीढ़ में हुए ट्यूमर का ऑपरेशन कर उसे सफलतापूर्वक निकाल दिया गया.

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अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में ढाई साल के बच्चे का हुआ दुर्लभ ऑपरेशन

अलीगढ़ः मुरादाबाद निवासी ढाई साल के बच्चे रय्यान के दोनों पैरों में पिछले 6 महीने से गंभीर कमजोरी थी इसलिए उसे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज (Jawaharlal Nehru Medical College) में भर्ती कराया गया. जहां बच्चे की रीढ़ की एमआरआई की गई. जिसमें पता चला कि बच्चे को रीढ़ में एक बड़ा ट्यूमर है जो गले की नस तक फैलने की वजह से बच्चे के शरीर को रक्त की आपूर्ति करने वाली एक नस को भी अवरुद्ध कर दिया था.

न्यूरो सर्जरी विभाग के चिकित्सकों व कार्डियोथोरासिक सर्जरी विभाग के चिकित्सकों द्वारा बालक की जांचे कराई गई और इन जांच के बाद न्यूरोसर्जन और कार्डियोथोरेसिक सर्जनों की एक टीम ने बच्चे का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया और ट्यूमर को सफलतापूर्वक निकाल दिया.


मेडिकल कालेज के न्यूरो सर्जरी विभाग में चिकित्सक न्यूरोसर्जन डॉ अहमद अंसारी ने कहा कि न्यूरो सर्जरी विभाग के चिकित्सकों व कार्डियोथोरासिक सर्जरी विभाग के चिकित्सकों द्वारा बालक की जांचे कराई गई. इन जांच के बाद न्यूरोसर्जन और कार्डियोथोरेसिक सर्जनों की एक टीम ने को लगभग पांच घंटे लग गए क्योंकि ट्यूमर रीढ़ की हड्डी और पांच वर्टिबरल सिगमेंट वाली नसों पर दबाव डाल रहा था. सर्जरी को सफलता पूर्वक कर पूरे ट्यूमर को हटा दिया गया है.

सर्जरी के बारे में बताते हुए कार्डियोथोरेसिक सर्जन प्रोफेसर मुहम्मद आजम हसीन ने कहा कि हमने शरीर की सबसे बड़ी नस को ब्लॉक करने वाले बाकी ट्यूमर को निकालने के लिए छाती के बाएं हिस्से को खोला. ट्यूमर को हटाने के लिए बारीकी से जांच करना आवश्यक था.

न्यूरोसर्जरी विभाग (Department of Neurosurgery) के अध्यक्ष प्रोफेसर रमन मोहन शर्मा ने कहा कि एक छोटे बच्चे में लगभग 15-20 सेमी के इतने बड़े ट्यूमर का ऑपरेशन करने के लिए बहुत अधिक कौशल और टीम प्रबंधन की आवश्यकता होती है जो मेडिकल कालेज के चिकित्सकों ने बड़ी ही सावधानी के साथ इस दुर्लभ सर्जरी को सफलतापूर्वक कर दिया. प्रोफेसर शहला हलीम और डॉक्टर अल्ताफ रहमान हैदर ने बच्चे को एनेस्थीसिया दिया. न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रोफेसर एम. फखरुल हुदा ने कहा कि जेएनएमसी में अधिक जटिल न्यूरोसर्जिकल मामले किए जा रहे हैं. इस विशेष मामले में टीम वर्क की आवश्यकता थी.


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डॉ. ताबिश खान ने कहा कि बच्चों में बेहतर परिणाम के लिए उत्कृष्ट शल्य चिकित्सा कौशल के साथ-साथ पोस्ट-ऑपरेटिव अवधि में गहन चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता होती है. जेएन मेडिकल कॉलेज के डीन और प्रिसिपल प्रोफेसर राकेश भार्गव ने इस सफल सर्जरी के लिए न्यूरोसर्जन और कार्डियोथोरेसिक सर्जन की टीम को बधाई दी.

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