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जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबी भगवान की मूर्तियों का क्या है राज?

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Published : May 24, 2022, 3:56 PM IST

जामा मस्जिद.
जामा मस्जिद.

मथुरा की अदालत में दायर श्रीकृष्ण जन्मस्थान वाद के प्रार्थना पत्र में दावा किया गया है कि औरंगजेब ने मथुरा के केशव देव मंदिर को ध्वस्त करके वहां की रत्न जड़ित प्रतिमाएं, भगवान श्रीकृष्ण और अन्य विग्रह आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबाया था. ETV BHARAT की एक्सक्लुसिव रिपोर्ट में जानिए इसके पीछे की पूरी कहानी क्या है?

आगराः देश में ज्ञानवापी, ताजमहल और मथुरा विवाद को लेकर हलचल मची हुई है. अभी ये तीनों विवाद थमे ही नहीं है. इसी बीच एक बार फिर आगरा की शाही जामा मस्जिद चर्चा में आ गई है. क्योंकि, मथुरा की अदालत में दायर श्रीकृष्ण जन्मस्थान वाद के प्रार्थना पत्र में दावा किया गया है कि औरंगजेब ने मथुरा के केशव देव मंदिर को ध्वस्त करके वहां की रत्न जड़ित प्रतिमाएं, भगवान श्रीकृष्ण और अन्य विग्रह आगरा की एक मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबाया था. ETV BHARAT से एक्सक्लुसिव बातचीत करते हुए इतिहासकार राजकिशोर राजे ने बताया कि आगरा की जामा मस्जिद (शाही जामा मस्जिद) की सीढ़ियों के नीचे मथुरा के केशवदेव मंदिर की मूर्तियां दबी हैं. यह काम औरंगजेब ने किया था. जिससे मस्जिद आने-जाने वालों के पैरों के नीचे यह मूर्तियां रहें.

जामा मस्जिद के बारे में जानकारी देते इतिहासकार राजकिशोर राजे.
मथुरा डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में याचिका दाखिलः बता दें कि मथुरा डिस्ट्रिक्ट सिविल कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. जिसमें भगवान श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर में बनी मस्जिद को हटाने की मांग की गई है. याचिका में दावा किया गया है कि भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली कटरा केशवदेव मंदिर का बड़ा हिस्सा ध्वस्त करके ईदगाह बनवाया गया. केशवदेव मंदिर की मूर्तियां और विग्रह मथुरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबी हैं.

शाहजहां की सबसे प्रिय बेटी जहांआरा ने कराया था निर्माणः इतिहासकार राजकिशोर राजे बताते हैं कि मुगल शहंशाह शाहजहां के 14 संतानें थीं. जिसमें मेहरून्निसा बेगम, जहांआरा, दारा शिकोह, शाह शूजा, रोशनआरा, औरंगजेब, उमेदबक्श, सुरैया बानो बेगम, मुराद लुतफुल्ला, दौलत आफजा और गौहरा बेगम शामिल थे. शाहजहां की सबसे प्रिय बेटी जहांआरा का जन्म 2 अप्रैल-1614 को हुआ था. जब मुमताज की मौत हुई थी, उस समय जहांआरा महज 17 साल की थी. मुमताज की मौत के बाद शाहजहां ने उसकी संपत्ति की आधी संपत्ति जहांआरा को दी और बाकी की संपत्ति अन्य बच्चों में बांटी थी. जहांआरा उस समय की सबसे अमीर शहजादी थी. उसे तब करीब 2 करोड़ रुपये का सालाना वजीफा (जेब खर्च) मिलता था.

पांच साल में हुआ था निर्माणः जहांआरा ने वजीफा (जेब खर्च) से ही जहांआरा ने सन् 1643 से 1648 के बीच जामा मस्जिद का निर्माण कराया था. जामा मस्जिद 271 फुट लंबी और 270 फीट चौड़ी है. जिसमें करीब पांच लाख रुपये खर्च हुए थे. लाल बलुआ पत्थर से जामा मस्जिद बनी है. इसकी दीवार में लगी टाइल्स की आकृति ज्यामितीय है. जामा मस्जिद में एक साथ 10 हजार लोग नमाज पढ़ सकते हैं. भारत पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की संरक्षित स्मारक में जामा मस्जिद शामिल है.

औरंगजेब ने मूर्तियां दबाईं थीः इतिहासकार राजकिशोर राजे बताते हैं कि 16 वीं शताब्दी के सातवें दशक में मुगल बादशाह औरंगजेब ने मथुरा के केशवदेव मंदिर को ध्वस्त कराया था. केशवदेव मंदिर की मूर्तियों के साथ ही तमाम पुरावशेष आगरा में लाए गए. इन सभी मूर्तियों और पुरावशेष को जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबाया गया था. जामा मस्जिद का निर्माण मुगल शहंशाह शाहजहां की सबसे प्रिय और अमीर बेटी जहांआरा ने कराया था. औरंगजेब ने यह इसलिए किया था कि मस्जिद में आने वाले नमाजियों के पैरों के नीचे ये मूर्तियां और विग्रह रहे. औरंगजेब का यह बहुत ही निंदनीय कार्य था. लेकिन इन मूर्तियों को अब वहां से बाहर निकाला जाना चाहिए.

'भारत में मुगल समराज' पुस्तक में विस्तार से जिक्रः इतिहास का राजकिशोर राजे बताते हैं कि जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबी भगवान श्रीकृष्ण की मूर्तियों के साथ अन्य विग्रहों के बारे में तमाम इतिहासकारों ने अपनी पुस्तकों में लिखा है. सन् 1940 में एसआर शर्मा ने 'भारत में मुगल समराज' नाम से किताब लिखी थी. जिसमें मूर्तियों को जामा मस्जिद की सीढ़ियों के दबाए जाने का विस्तृत रूप से जिक्र किया गया है. इन मूर्तियों को जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे से निकालने से यह पता चल जाएगा कि मथुरा के केशवदेव मंदिर में भगवान श्री कृष्ण समेत अन्य तमाम देवी देवताओं की मूर्तियां और विग्रह किस तरह के थे.

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औरंगजेब ने जोधपुर में भी ध्वस्त किए थे मंदिरः राजकिशोर राजे बताते हैं कि औरंगजेब का जहां-जहां भी शासनकाल रहा, वहां पर उसने प्रमुख मंदिरों को ध्वस्त कराया था. मंदिरों पर मस्जिदें बनवाईं और मूर्तियों और विग्रहों को मस्जिदों के नीचे दब आया था. जोधपुर के राजा जसवंत सिंह की जब अफगानिस्तान में मृत्यु हो गई थी. तब उनका बेटा अजीत सिंह नाबालिग था. औरंगजेब ने उसे अपने पास रखा था और उसे इस्लाम में दीक्षित करने की बात कही थी. लेकिन, दुर्गादास राठौड़ आगरा के किले से साहस पूर्वक अजीत सिंह को ले गए. गुपचुप अजीत सिंह का लानन-पालन हुआ और औरंगजेब ने जोधपुर पर कब्जा कर लिया. वहां पर मौजूद सभी मंदिरों को ध्वस्त कराया और उनके ऊपर मस्जिदें बनवाईं. औरंगजेब ही नहीं, अन्य मुगल शासक ने मंदिर ध्वस्त कराए थे. शाहजहां के काल में जयपुर में ही 76 मंदिर ध्वस्त किए गए थे.

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