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दुर्लभ पक्षियों की चहचहाहट से गुलजार होगी चंबल की धरती

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Published : May 9, 2021, 8:21 AM IST

प्रकृति और पक्षी प्रेमियों के लिए अच्छी खबर है. चंबल की वादियों में लुप्त हो रहे पक्षियों के 500 से ज्यादा घोंसले, जिसमें प्रत्येक में दो से तीन अंडे देखे जा सकते हैं. उम्मीद है कि इस माह तक इन अंडों से बच्चे निकलेंगे और इनकी चहचहाहट से चंबल गुलजार होगा.

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वन विभाग कर रहा निगरानी

आगरा: जिले की चंबल नदी क्षेत्र में इन दिनों लुप्त हो रही दुर्लभ पक्षियों का संरक्षण किया जा रहा है. इसकी जिम्मेदारी वन विभाग को सौंपी गई है. यहां करीब 500 से ज्यादा दुर्लभ पक्षियों के घोंसले और अंडे हैं, जिनकी देख रेख में वनकर्मी लगे हुए हैं.

कई पक्षियों ने बनाया घोंसला.
कई पक्षियों ने बनाया घोंसला.

पक्षियों का बढ़ रहा कुनबा
चंबल नदी क्षेत्र में प्रकृति और पक्षी प्रेमियों के लिए एक अच्छी खबर है. दुनिया से लुप्त हो रहे रिवर टर्न, ब्लैक बेलीड टर्न और इंडियन स्कीमर पक्षियों का कुनबा बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि यहां करीब पांच सौ से ज्यादा घोंसले और हर में दो से तीन अंडे मौजूद है. चंबल नदी क्षेत्र में रेतीले स्थानों पर इस समय इनके अंडों से बच्चे निकलेगें. करीब तीन सौ प्रजाातियों के पक्षियों से गुलजार चंबल में इनकी चहचहाट भी शामिल हो जाएगी.

बाह के रेंजर आरके सिंह राठौड ने बताया कि पांच सौ से ज्यादा घौंसलों में इन लुप्त प्राय पक्षियों के बच्चे निकलने हैं. वन विभाग का अमला दिन रात घौंसलों की रखवाली कर रहा है, ताकि इन पक्षियों का कुनबा चंबल में बढ़ सके. यहां की वादियों में इनकी चहचाहट हमेशा गूंजती रहे.

रिवर टर्न पक्षी की लंबाई 39-42 सेमी और पंखों का फैलाव 80-85 सेमी होता है. पेट का रंग सफेद, टांग पैर का रंग लाल होता है. ब्लैक बैलीड टर्न की लंबाई 32-35 सेमी, पंखों का फैलाव 60-65 सेमी होता है. पेट का रंग काला, टांग पैर का रंग पीला नारंगी होता है. इंडियन स्कीमर की लंबाई 40-45 सेमी, पंखों का फैलाव 100-110 सेमी होता है. पेट का रंग सफेद, पैर लाल रंग के होते हैं.

मानवीय गतिविधियों से खतरा
इन पक्षियों की आबादी घटने का सबसे बड़ा कारण इनके घौंसलों को नुकसान पहुंचना है. नदी किनारे और टापू पर बढ़ती मानवीय गतिनिधियों से इनके वास स्थल उजड़ रहे हैं. यही बजह है कि चंबल की बालू पर घौंसले बनाकर दिए गए अंडों के पास मानवीय गतिविधियां रोकने और सियार आदि से अंडों को बचाने की कवायद की जा रही है. इसके लिए वनकर्मी नियमित निगरानी कर रहे है.

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