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Haemophilia Victim Death: आगरा मेडिकल कॉलेज में हीमोफीलिया पीड़ित को नहीं मिला इंजेक्शन, रास्ते में मौत

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Published : Jan 16, 2023, 12:28 PM IST

आगरा
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आगरा से लखनऊ रेफर किए गए एक शख्स की रास्ते में मौत हो गई. यह शख्स हीमोफीलिया के पीड़ित था. इसको फिरोजाबाद में हादसे में घायल होने पर आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज लाया गया था. लेकिन, यहां इंजेक्शन न मिलने के कारण लखनऊ रेफर कर दिया गया था.

आगरा: एसएन मेडिकल कॉलेज में हीमोफीलिया से पीड़ित युवक की इंजेक्शन न मिलने से मौत हो गई. हादसे में घायल होने पर परिजन फिरोजाबाद से युवक को एसएन मेडिकल कॉलेज लेकर आए थे. उसका खून बहना बंद नहीं हो रहा था. खून बंद करने के लिए फैक्टर लगाया जाना था. लेकिन, वह एसएन मेडिकल कॉलेज में नहीं था. इस वजह से चिकित्सकों ने युवक को लखनऊ रेफर कर दिया था. रास्ते में अधिक रक्तस्राव होने से रविवार सुबह युवक की मौत हो गई.

इस बारे में हीमोफीलिया सोसाइटी आगरा के सचिव मनोज शर्मा का कहना है कि इंजेक्शन महंगा है. यह वजन के हिसाब से हीमोफीलिया पीड़ित मरीज को लगाया जाता है. इसकी डोज करीब 50 हजार रुपये की होती है. इस बारे में लगातार एसएन मेडिकल कॉलेज प्रशासन से इंजेक्शन उपलब्ध कराने के लिए मिल रहे हैं और पत्राचार भी कर रहे हैं. फिर भी एसएन मेडिकल कॉलेज में एक सप्ताह से इंजेक्शन नहीं है.

फिरोजाबाद के थाना मटसैना क्षेत्र में स्थित गांव डौकेली निवासी आनंद कुमार ने बताया कि चाचा अवधेश कुमार (25) हीमोफीलिया से पीड़ित थे. शनिवार शाम कोटला रोड पर हादसे में वे घायल हो गए थे. उन्हें निजी ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया. इसके बाद यह घर आ गए. लेकिन, अवधेश कुमार का रक्तस्राव बंद नहीं हुआ. इस पर शनिवार देर रात तीन बजे उन्हें एसएन मेडिकल कॉलेज लेकर आए, जिससे उनका रक्तस्राव रोकने के लिए इंजेक्शन (फैक्टर) लगाया जा सके. इंजेक्शन से खून का थक्का जमने से रक्तस्राव रुक जाता है. लेकिन, एसएन मेडिकल कॉलेज में इंजेक्शन उपलब्ध नहीं था. इसलिए, उन्हें गंभीर हालत में लखनऊ रेफर कर दिया गया. रास्ते में अवधेश कुमार की मक्खनपुर के पास मौत हो गई.

हीमोफीलिया सोसायटी आगरा के सचिव मनोज शर्मा ने बताया कि आगरा में हीमोफीलिया पीड़ितों की संख्या 250 है. अक्सर, एसएन मेडिकल कॉलेज में इंजेक्शन और अन्य दवाओं की कमी रहती है. इस बारे में शनिवार को एसएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. प्रशांत गुप्ता से मिले और इंजेक्शन उपलब्ध कराने को लेकर बातचीत हुई थी. इस बारे में इलाहाबाद हाईकोर्ट में सन 2008 में जनहित याचिका दायर की गई थी. हाईकोर्ट के आदेश पर हीमोफीलिया से पीड़ितों के उपचार के लिए 26 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष मिलते हैं. इतना फंड मिलने पर भी हीमोफीलिया पीड़ित को समय पर इंजेक्शन नहीं मिलने से मौत होना बेहद दुखद है. क्योंकि, इंजेक्शन खत्म होने के बाद ही उसकी डिमांड भेजी जाती है.

एसएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. प्रशांत गुप्ता ने बताया कि इंजेक्शन खत्म होने पर डिमांड एसजीपीजीआई लखनऊ भेज दी गई थी. अभी तक इंजेक्शन नहीं आए हैं. डिलीवरी में देर होने से हीमोफीलिया के मरीज परेशान हैं.

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