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आगरा: पंचतत्व में विलीन हुए शहीद संतोष, नम आंखों से लोगों ने दी विदाई

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Published : Nov 19, 2019, 3:03 AM IST

जम्मू-कश्मीर में एलओसी के पास आईईडी ब्लास्ट में शहीद हुए गांव पुरा भदौरिया के लाल संतोष कुमार का पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटा सोमवार शाम गांव पहुंचा. नम आंखों से वीर सपूत को लोगों ने अंतिम विदाई दी. शहीद संतोष कुमार के पार्थिव शरीर को उनके बेटे अभय ने मुखाग्नि दी.

पंचतत्व में विलीन में विलीन हुए शहीद संतोष.

आगरा: जम्मू-कश्मीर के अखनूर में एलओसी के पास आईईडी ब्लास्ट में शहीद बाह के लाल संतोष कुमार का पार्थिव शरीर सोमवार शाम गांव पहुंचा. शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए सैकड़ों की संख्या में लोग जमा हुए. शहीद संतोष कुमार को सलामी देने के लिए युवाओं ने तिरंगा यात्रा निकाली. लोगों ने शहीद संतोष कुमार को श्रद्धांजलि अर्पित की और फिर राजकीय सम्मान के साथ शहीद संतोष कुमार की अंतिम यात्रा निकाली गई.

पंचतत्व में विलीन में विलीन हुए शहीद संतोष.


बेटे ने दी मुखाग्नि
शहीद के पार्थिव शरीर को जिला प्रशासन, सांसद, जनप्रतिनिधि और स्थानीय लोगों ने कंधा दिया. नम आंखों से लोगों ने अंतिम विदाई दी. शहीद संतोष कुमार के पार्थिव शरीर को उनके बेटे अभय ने मुखाग्नि दी. अंतिम संस्कार के समय लोगों ने पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए.


बता दें कि रविवार सुबह पेट्रोलिंग के दौरान एलओसी के पास आईईडी ब्लास्ट हुआ था. इस ब्लास्ट में तहसील बाह के पुरा भदौरिया के लाल संतोष कुमार शहीद हो गए. वहीं दो अन्य जवान घायल हो गए. सोमवार दोपहर जम्मू से शहीद संतोष कुमार का पार्थिव शरीर आगरा एयरपोर्ट लाया गया. यहां पर पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने श्रद्धा सुमन अर्पित की. सोमवार शाम संतोष कुमार का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा तो वहां कोहराम मच गया.


गांव को संतोष की शहादत पर गर्व
गांव के लाल की शहादत से हर कोई गमजदा है, लेकिन सभी को संतोष की शहादत पर गर्व है. सन 1997 में संतोष कुमार सेना में भर्ती हुए थे. करीब 10 वर्ष तक जम्मू-कश्मीर की अलग-अलग पोस्टों पर तैनात होकर देश की सेवा की. शहीद संतोष के माता-पिता का साया उनके ऊपर से बचपन में उठ गया था. बड़े भाइयों लालजी सिंह और दिनेश सिंह ने उनका लालन पालन किया. बचपन से ही देश सेवा के लिए सेना में जाने का ख्वाब देखते थे. अब तक करीब 22 साल की सेवा में 10 से 12 साल तक उनकी तैनाती जम्मू कश्मीर में रही. परिजनों ने मुताबिक शुक्रवार को संतोष से बातचीत हुई थी. उन्होंने हाल-चाल लेने के साथ ही अपनी कंपनी के राजस्थान आने की बात बताई थी.

इसे भी पढ़ें:- जम्मू-कश्मीर में हुए IED ब्लास्ट में आगरा के लाल संतोष शहीद

बड़ा होकर सेना में अफसर बनूंगा
पत्नी विमला देवी आगरा में बेटी दीक्षा (17 वर्ष), प्रिया (14 वर्ष) और बेटा अभय ( 12 वर्ष) के साथ रहती हैं. संतोष की शहादत की खबर मिलते ही परिजनों का रो-रोकर हाल बेहाल है. शहीद संतोष कुमार के इकलौते बेटे अभय ने मुखाग्नि के बाद कहा कि वह बड़ा होकर सेना में अफसर बनेंगे और अपने पिता का बदला लेंगे.


सरकार की तरफ से शहीद के परिवार को डीएम आगरा एनजी रवि कुमार और फतेहपुर सीकरी सांसद राजकुमार चाहर ने परिजनों को 25 लाख का चेक दिया. साथ ही शहीद के परिवार को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया. सांसद राजकुमार चाहर ने कहा कि बहुत ही दुख की घड़ी है, लेकिन सरकार ने जो वादा किया है उसे पूरा किया जाएगा.

Intro:आगरा।
जम्मू में अखनूर के प्लावाला में एलओसी के पास
आईईडी ब्लास्ट में शहीद बाह के लाल संतोष कुमार भदौरिया का पार्थिव शरीर सोमवार शाम गांव पहुंच तो कोहराम मच गया। शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए सैकड़ों की संख्या में लोग जमा हुए। शहीद संतोष कुमार के परिजनों का रो रोकर बुरा हाल था। शहीद संतोष कुमार को सलामी देने के लिए युवाओं ने तिरंगा यात्रा निकाली। लोगों ने शहीद संतोष कुमार को श्रद्धांजलि अर्पित की और फिर राजकीय सम्मान के साथ शहीद संतोष कुमार की अंतिम यात्रा निकाली गई। जिसे जिला प्रशासन, सांसद, जनप्रतिनिधि और स्थानीय लोगों ने कंधा दिया। शहीद संतोष कुमार के पार्थिव शरीर को उनके बेटे अभय ने मुखाग्नि दी। अन्तिम संस्कार के समय लोगों ने पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए। नौजवानों की जुबान पर एक ही नारा था, जब तक सूरज चांद रहेगा। संतोष भदौरिया तेरा नाम रहेगा।

Body:बता दें कि, रविवार सुबह पेट्रोलिंग के दौरान
एलओसी के पास आईईडी ब्लास्ट हुआ था। इस ब्लास्ट तहसील बाह के पुरा भदोरिया के लाल संतोष कुमार शहीद हो गए। दो अन्य जवान घायल हो गए। सोमवार दोपहर जम्मू से शहीद संतोष कुमार का पार्थिव शरीर आगरा एयरपोर्ट आया। जहां पर पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने श्रद्धा सुमन अर्पित करके उन्हें श्रद्धांजलि दी। जब सोमवार शाम संतोष कुमार का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा तो कोहराम मच गया।

गांव को संतोष की शहादत पर गर्व

गांव के लाडले की शहादत से हर कोई गमजदा है। लेकिन सभी को संतोष की शहादत पर गर्व है।
सन 1997 में सन्तोष सिंह भदौरिया सेना में भर्ती हुए थे। करीब 10 वर्ष तक जम्मू कश्मीर की अलग अलग पोस्टों पर तैनात होकर देश सेवा की। शहीद सन्तोष भदौरिया के माता पिता का साया उनके ऊपर से बचपन में उठ गया था। बड़े भाइयों लालजी सिंह और दिनेश सिंह ने उनका लालन पालन किया। बचपन से ही देश सेवा के लिए सेना में जाने का ख्बाब देखते थे। अबतक करीब 22 साल की सेवा में 10 से 12 साल आतंकबाद ग्रसित जम्मू कश्मीर को दिए। परिजनों ने मुताबिक शुक्रवार को सन्तोष से बातचीत हुई थी।उन्होंने गांव के हालचाल लेने के साथ ही अपनी कंपनी के राजस्थान आने की बात बताई थी।

पत्नी विमला देवी आगरा में रहती हैं। उनके साथ बेटी दीक्षा (17),प्रिया (14) और बेटा अभय ( 12) रहता है। बच्चे आगरा में पढ़ते हैं। पिता की शहादत की खबर मिलते ही बच्चों का रो रोकर हाल बेहाल है। पत्नी विमला कई बार बेहोश भी गई। शहीद संतोष कुमार चाहते थे, बेटा अभय बड़ा होकर सेना में अ़फसर बने। इस पर भी खूब चर्चा हुई। प्रिया ने बताया कि, पिताजी उसे डॉक्टर बनना चाहते थे। और मेरा सपना भी डॉक्टर बनने का है। अब पिताजी के सपना पूरा करने के लिए मैं मन लगाकर के पढ़ाई करूंगी। पाकिस्तान को बस मेरा एक ही कहना है, कि उन्होंने तो धोखे से हमारे पिताजी पर हमला किया। लेकिन हमारी सेना के जवान उनके 100- 100 लोगों को मारेंगे. शहीद संतोष कुमार के इकलौते बेटे अभय ने मुखाग्नि के बाद कहा कि वह बड़ा होकर के इस सेना में अफसर बनेंगे और अपने पिता का बदला लेंगे।


Conclusion:सरकार की तरफ से शहीद के परिवार को डीएम आगरा एनजी रवि कुमार और फतेहपुर सीकरी सांसद राजकुमार चाहर ने परिजनों को 25 लाख का चेक दिया गया। साथ ही शहीद के परिवार को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। सांसद राजकुमार चाहर ने कहा कि बहुत ही दुख की घड़ी है, लेकिन सरकार ने जो वादा किया है उसे पूरा किया जाएगा।

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पहली बाइट प्रिया , शहीद संतोष कुमार भदौरिया की बेटी।
दूसरी बाइट अभय, शहीद संतोष कुमार का बेटा।
तीसरी बाइट राज कुमार चाहर, सांसद फतेहपुर सीकरी।

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श्यामवीर सिंह
आगरा
8387893357
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