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यूपी पुलिस में IG थे नसीरुद्दीन शाह के मामा, जानिए किस नाम से बुलाते थे लोग

राज्यसभा के टीवी शो 'गुफ्तगू' में नसीरुद्दीन ने बताया था, 'मेरी अम्मी के चार भाई थे' बहुत लंबे-चौड़े थे' उन्हें शिकार करने का बहुत शौक था. अक्सर वह शिकार पर जाया भी करते थे. तस्वीरों में तो वो हॉलीवुड के हीरो जैसे लगते थे बिल्कुल, सभी भाइयों में सबसे बड़े आगा मोहिउद्दीन शाह साहब थे, बाद में वो उत्तर प्रदेश के आईजी भी बन गए थे.

यूपी पुलिस में IG थे नसीरुद्दीन शाह के मामा
यूपी पुलिस में IG थे नसीरुद्दीन शाह के मामा
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Published : Sep 6, 2021, 8:02 PM IST

हैदराबाद : नसीरुद्दीन शाह हिन्दी फ़िल्मों के एक प्रसिद्ध अभिनेता हैं. नसीरुद्दीन शाह, जिन्हें हिंदी फ़िल्म उद्योग में अदाकारी का एक पैमाना कहा जाए तो शायद ही किसी को एतराज हो. नसीर की काबिलियत का सबसे बड़ा सबूत है, सिनेमा की दोनों धाराओं में उनकी कामयाब. नसीर का नाम अगर पैरेलल सिनेमा के सबसे बेहतरीन अभिनेताओं की सूची में शामिल हुआ तो बॉलीवुड की मुख्य धारा या व्यापारिक फ़िल्मों में भी उन्होंने बड़ी कामयाबी हासिल की है.

नसीर अपने शानदार अंदाज से मुख्य धारा के चहेते सितारे बन गए, ऐसा सितारा जिसने हर तरह के किरदार को बेहतरीन अभिनय से जिंदा कर दिया. ये सितार जब भी स्क्रीन पर आया देखने वाले के दिल पर उस किरदार की यादगार छाप छोड़ गया. उसकी कॉमेडी ने पब्लिक को खूब गुदगुदाया तो एक्शन में भी उसका अलग ही अंदाज नजर आया.

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राज्यसभा के टीवी शो 'गुफ्तगू' में नसीरुद्दीन ने बताया था, 'मेरी अम्मी के चार भाई थे' बहुत लंबे-चौड़े थे' उन्हें शिकार करने का बहुत शौक था. अक्सर वह शिकार पर जाया भी करते थे. तस्वीरों में तो वो हॉलीवुड के हीरो जैसे लगते थे बिल्कुल, सभी भाइयों में सबसे बड़े आगा मोहिउद्दीन शाह साहब थे, बाद में वो उत्तर प्रदेश के आईजी भी बन गए थे. एक समय तो ऐसा भी आया था कि लोग उन्हें डाकू मार के नाम से भी जानने लगे थे, क्योंकि जहां भी डाकुओं का खतरा होता था उन्हें भेज दिया जाता था, सब डाकूओं का सफाया कर देते थे।'

नानी तो अंधा होने की एक्टिंग करती थी.

नसीरुद्दीन शाह आगे बताते हैं, 'मोहिउद्दीन साहब के सामने उनके सभी भाई बिल्कुल अलग नज़र आते थे, क्योंकि उनकी तो पर्सनालिटी ही बिल्कुल अलग थी तो मुझे लगता है कि ये सिर्फ आत्मविश्वास की बात है, जीवन की घटनाओं से लोगों की शख्सियत ही पूरी तरह बदल जाती है. उनके साथ भी शायद ऐसा ही रहा होगा. मेरी नानी तो अंधा होने की एक्टिंग किया करती थी, जानें क्यों वो ऐसा किया करती थीं।’

वह आगे बताते हैं, 'मेरी एक फूफी तो भीख मांगा करती थी बस स्टैंड पर तो ये सभी हम कह सकते हैं कि नवाबों की बिगड़ी हुई औलादें हैं, तो इन सभी लोगों का मेरे जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव रहा है. दूसरी तरफ नसीरुद्दीन शाह ने अपने परिवार का जिक्र बायोग्राफी में भी किया है. नसीरुद्दीन शाह ने बताया था कि उनके वालिद की भारत में नौकरी थी इसलिए विभाजन के बाद भी वह पाकिस्तान नहीं गए और भारत में रुके. उनके दादा तो फौज में थे. जबकि नसीरुद्दीन शाह अपने परिवार में पहले ऐसे शख्स थे जिन्होंने एक्टिंग में कदम रखा.

ये भी पढ़ें : VIRAL VIDEO : पापा से सौतेली मां लाने की जिद पर अड़ी बेटी, बोलीं-करीना कपूर जैसी चाहिए मम्मी

वर्क्र फ्रंट की बात करें तो, नसीरूद्दीन शाह ने अपने कॅरियर की शुरुआत फ़िल्म निशांत से की थी, जिसमें उनके साथ स्मिता पाटिल और शबाना आजमी जैसी अभिनेत्रियां थीं. 'निशांत' एक आर्ट फ़िल्म थी. यह फ़िल्म कमाई के हिसाब से तो पीछे रही पर फ़िल्म में नसीरुद्दीन शाह के अभिनय की सबने सराहना की. इस के बाद नसीरुद्दीन शाह ने आक्रोश, 'स्पर्श', 'मिर्च मसाला', 'अलबर्ट पिंटों को गुस्सा क्यों आता है’, 'मंडी', 'मोहन जोशी हाज़िर हो', 'अर्द्ध सत्य', 'कथा' आदि कई आर्ट फ़िल्में कीं थी. नसीरूद्दीन शाह ने एक फ़िल्म का निर्देशन भी किया है. हाल ही में वह 'इश्किया', 'राजनीति' और 'जिंदगी ना मिलेगी दुबारा' जैसी फ़िल्मों में अपने अभिनय का जादू बिखेर चुके हैं.

हैदराबाद : नसीरुद्दीन शाह हिन्दी फ़िल्मों के एक प्रसिद्ध अभिनेता हैं. नसीरुद्दीन शाह, जिन्हें हिंदी फ़िल्म उद्योग में अदाकारी का एक पैमाना कहा जाए तो शायद ही किसी को एतराज हो. नसीर की काबिलियत का सबसे बड़ा सबूत है, सिनेमा की दोनों धाराओं में उनकी कामयाब. नसीर का नाम अगर पैरेलल सिनेमा के सबसे बेहतरीन अभिनेताओं की सूची में शामिल हुआ तो बॉलीवुड की मुख्य धारा या व्यापारिक फ़िल्मों में भी उन्होंने बड़ी कामयाबी हासिल की है.

नसीर अपने शानदार अंदाज से मुख्य धारा के चहेते सितारे बन गए, ऐसा सितारा जिसने हर तरह के किरदार को बेहतरीन अभिनय से जिंदा कर दिया. ये सितार जब भी स्क्रीन पर आया देखने वाले के दिल पर उस किरदार की यादगार छाप छोड़ गया. उसकी कॉमेडी ने पब्लिक को खूब गुदगुदाया तो एक्शन में भी उसका अलग ही अंदाज नजर आया.

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राज्यसभा के टीवी शो 'गुफ्तगू' में नसीरुद्दीन ने बताया था, 'मेरी अम्मी के चार भाई थे' बहुत लंबे-चौड़े थे' उन्हें शिकार करने का बहुत शौक था. अक्सर वह शिकार पर जाया भी करते थे. तस्वीरों में तो वो हॉलीवुड के हीरो जैसे लगते थे बिल्कुल, सभी भाइयों में सबसे बड़े आगा मोहिउद्दीन शाह साहब थे, बाद में वो उत्तर प्रदेश के आईजी भी बन गए थे. एक समय तो ऐसा भी आया था कि लोग उन्हें डाकू मार के नाम से भी जानने लगे थे, क्योंकि जहां भी डाकुओं का खतरा होता था उन्हें भेज दिया जाता था, सब डाकूओं का सफाया कर देते थे।'

नानी तो अंधा होने की एक्टिंग करती थी.

नसीरुद्दीन शाह आगे बताते हैं, 'मोहिउद्दीन साहब के सामने उनके सभी भाई बिल्कुल अलग नज़र आते थे, क्योंकि उनकी तो पर्सनालिटी ही बिल्कुल अलग थी तो मुझे लगता है कि ये सिर्फ आत्मविश्वास की बात है, जीवन की घटनाओं से लोगों की शख्सियत ही पूरी तरह बदल जाती है. उनके साथ भी शायद ऐसा ही रहा होगा. मेरी नानी तो अंधा होने की एक्टिंग किया करती थी, जानें क्यों वो ऐसा किया करती थीं।’

वह आगे बताते हैं, 'मेरी एक फूफी तो भीख मांगा करती थी बस स्टैंड पर तो ये सभी हम कह सकते हैं कि नवाबों की बिगड़ी हुई औलादें हैं, तो इन सभी लोगों का मेरे जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव रहा है. दूसरी तरफ नसीरुद्दीन शाह ने अपने परिवार का जिक्र बायोग्राफी में भी किया है. नसीरुद्दीन शाह ने बताया था कि उनके वालिद की भारत में नौकरी थी इसलिए विभाजन के बाद भी वह पाकिस्तान नहीं गए और भारत में रुके. उनके दादा तो फौज में थे. जबकि नसीरुद्दीन शाह अपने परिवार में पहले ऐसे शख्स थे जिन्होंने एक्टिंग में कदम रखा.

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वर्क्र फ्रंट की बात करें तो, नसीरूद्दीन शाह ने अपने कॅरियर की शुरुआत फ़िल्म निशांत से की थी, जिसमें उनके साथ स्मिता पाटिल और शबाना आजमी जैसी अभिनेत्रियां थीं. 'निशांत' एक आर्ट फ़िल्म थी. यह फ़िल्म कमाई के हिसाब से तो पीछे रही पर फ़िल्म में नसीरुद्दीन शाह के अभिनय की सबने सराहना की. इस के बाद नसीरुद्दीन शाह ने आक्रोश, 'स्पर्श', 'मिर्च मसाला', 'अलबर्ट पिंटों को गुस्सा क्यों आता है’, 'मंडी', 'मोहन जोशी हाज़िर हो', 'अर्द्ध सत्य', 'कथा' आदि कई आर्ट फ़िल्में कीं थी. नसीरूद्दीन शाह ने एक फ़िल्म का निर्देशन भी किया है. हाल ही में वह 'इश्किया', 'राजनीति' और 'जिंदगी ना मिलेगी दुबारा' जैसी फ़िल्मों में अपने अभिनय का जादू बिखेर चुके हैं.

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