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EXCLUSIVE : फिल्म समीक्षक जयप्रकाश चौकसे ने लता के बारे में बताईं वो 10 बातें जिसे बहुत कम लोग जानते हैं

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Published : Feb 6, 2022, 11:04 AM IST

Updated : Feb 6, 2022, 11:36 AM IST

स्वर कोकिला लता मंगेशकर का आज निधन हो गया. उनके निधन से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है. फिल्म समीक्षक जयप्रकाश चौकसे ने ईटीवी भारत के साथ बातचीत में लता मंगेशकर की संगीत विरासत और गीत संगीत के सफर को लेकर विशेष बात की. उन्होंने लता के बारे में कई ऐसी बातें बताईं जो बहुत ही कम लोग जानते होंगे.

jaiprakash chowkse on Lata Mangeshkar
जयप्रकाश चौकसे इंटरव्यू

इंदौर: स्वर कोकिला लता मंगेशकर का आज 92 साल की उम्र में निधन हो गया. उनके निधन से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई. लता का जन्म मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था. लता मंगेशकर की संगीत विरासत और गीत-संगीत के सफर को लेकर फिल्म समीक्षक जयप्रकाश चौकसे ने ईटीवी भारत से विशेष बात की. (jaiprakash chowkse interview)

जयप्रकाश चौकसे ने स्वर कोकिला के बारे में बताई कई बातें

अपने नाटकों में अभिनय करते थे लता और उनके पिता

चर्चित फिल्म समीक्षक जयप्रकाश चौकसे ने बताया कि लता मंगेशकर के पिता दीनानाथ मंगेशकर शहर दर शहर यात्रा करके अपने नाटक का मंचन करते थे. लोग उन्हें नटसम्राट कहा करते थे. ऐसी ही यात्रा के दौरान उनका परिवार इंदौर आया था. उन्होंने यहां के सिख मोहल्ले के पास गली में एक मकान किराए पर लिया था. इंदौर इसलिए प्रसिद्ध नहीं कि यहां पर यशवंत राव होल्कर का महल या राजवाड़ा है, बल्कि इंदौर इसलिए महत्वपूर्ण शहर है, क्योंकि यहां लता मंगेशकर का जन्म हुआ. लता मंगेशकर ने अपने जीवन के प्रारंभिक वर्ष यहीं बिताए. (Lata Mangeshkar health update)

पांच बहनों और एक भाई की जिम्मेदारी निभाई

अपने संघर्ष के दिनों में लता मंगेशकर ने अपने पिता के साथ नाटक में अभिनय भी किया करती थीं. जब उनके पिता की अल्प आयु में मृत्यु हो गई, तो पांच बहनों और एक भाई के जीवन यापन की जिम्मेदारी लता मंगेशकर पर आ गई और उन्होंने बहुत कम उम्र में ही फिल्म जगत में काम शुरू किया. शुरुआती दौर में उन्होंने काम अभिनय से शुरूआत की लेकिन बाद में उनका झुकाव पार्श्व गायन की ओर हो गया.

नूरजहां के स्टाइल को छोड़कर खुद स्थापित हुई

लता मंगेशकर के शुरुआती गायन के दौर में उनके गीतों में नूर जहां की झलक मिलती थी. जब राज कपूर अपनी फिल्म बरसात बना रहे थे, तब राज कपूर ने लता मंगेशकर को सलाह दी कि तुम्हें किसी और गायक की शैली में नहीं गाना है. ईश्वर ने आपको खुद अपनी गायन शैली दी है. उसी शैली को मानो और गीत गाओ. इसके बाद फिल्म बरसात में लता मंगेशकर ने अपने मूल गायन के रूप में गाना गाया और वह एक अलग शख्सियत के तौर पर स्थापित हुईं. उस दौरान बरसात फिल्म की जितनी लागत थी, उससे कहीं अधिक पैसा फिल्म के संगीत की रॉयल्टी से प्राप्त हुआ. माना जाता है कि लता मंगेशकर के गायन ने कई लोगों को अमीर बना दिया. प्रारंभ में उन्होंने एचएमवी कंपनी में अपने गायन के बदले में शेयर खरीदने शुरू किए थे, लेकिन कुछ समय बाद यह कंपनी जब एक व्यापारी को बेची जा रही थी तब उन्होंने अपने शेयर वहां से हटा लिए.

महाराष्ट्र सरकार ने सम्मान में बदल दिया था फ्लाईओवर का स्थान

कुछ साल पहले जब मुंबई महानगर पालिका एक फ्लाईओवर बना रही थी. फ्लाईओवर लता मंगेशकर के बंगले के सामने से गुजर रहा था, जिससे लता मंगेशकर की निजता भंग हो सकती थी. लता मंगेशकर ने ब्रिज का विरोध भी किया. इसके बाद तत्कालीन महाराष्ट्र सरकार ने फ्लाईओवर का रास्ता बदल दिया जिससे लता मंगेशकर की निजता को कोई हानि न पहुंचे.

मुंबई के स्टूडियो में ही करती थी गानों की रिकॉर्डिंग

लता को लेकर यह भी चर्चित था कि वह अपने गानों की रिकॉर्डिंग सिर्फ मुंबई में ही करती थी. एक बार की बात है, बोनी कपूर अनिल कपूर और माधुरी दीक्षित अभिनीत फिल्म पुकार बना रहे थे जिसमें एआर रहमान का म्यूजिक था. लता मंगेशकर की तरह ही संगीतकार ए आर रहमान अपने गानों की रिकॉर्डिंग चेन्नई में करते थे. यह बात जब बोनी कपूर ने लता मंगेशकर को बताई तो उन्होंने स्पष्ट कह दिया कि उनके स्थान पर किसी और गायिका से गाने का गायन करवा लें. जब बोनी कपूर ने यह बात रहमान को बताई तो रहमान ने अपना पूरा सेटअप चेन्नई से मुंबई में शिफ्ट कराया और वह गाने की रिकॉर्डिंग कराने मुंबई ही पहुंचे. यह पहला मौका था जब लता मंगेशकर के लिए रहमान को अपने संगीत की रिकॉर्डिंग के लिए मुंबई जाना पड़ा. इस तरह से ए आर रहमान ने लता मंगेशकर के प्रति सम्मान प्रकट किया था.

गाने का फिल्मांकन लता मंगेशकर पर

पुकार फिल्म के दौरान बोनी कपूर ने लता मंगेशकर से एक गाना गवाया था. इस गाने का फिल्मांकन भी बोनी कपूर लता मंगेशकर पर ही करना चाहते थे. इसके बाद लता मंगेशकर ने अपने ऊपर फिल्माये जाने वाले गाने की शूटिंग की सहमति भी दे दी थी, लेकिन लता मंगेशकर की शर्त थी कि शूटिंग उनके हिसाब से तय होगी. इस फिल्म में एक गाना है जो लता जी का गाया हुआ है और लता पर ही उसका फिल्मांकन हुआ है.

12 हजार से ज्यादा गानों का रिकॉर्ड

लता मंगेशकर ने अपने जीवन में अलग-अलग भाषाओं में 12000 से ज्यादा गाने गाए. इन गानों में कुछ गाने इंग्लिश में भी हैं. जबकि कुछ गाने भारतीय भाषाओं के अलावा विदेशी भाषाओं में भी हैं, जिनके रिकॉर्ड दुर्लभ हैं.

आरके स्टूडियो की सभी फिल्मों में किया गायन

राज कपूर और लता मंगेशकर एक दूसरे का बहुत सम्मान करते थे. जब हिना फिल्म में गाना गाने का मौका आया, तो कुछ लोगों ने राज कपूर को सलाह दी कि फिल्म की पाकिस्तानी नायिका का गाना पाकिस्तानी गायिका रेशमा से करा लिया जाए. तब राज कपूर ने इनकार करते हुए कहा था कि मेरी फिल्म की नायिका कहीं की भी हो, लेकिन गाना तो लता मंगेशकर ही गाएंगी.

लता जी के टाइम पर राज कपूर को पहुंचना होता था स्टूडियो

राज कपूर दोपहर में 2:00 बजे उठते थे और 3:00 बजे तक आरके स्टूडियो पहुंचते थे. जिस दिन लता मंगेशकर के गाने की रिकॉर्डिंग होती थी उस समय उन्हें भी सुबह 10:30 बजे पहुंचना होता था क्योंकि 5:00 बजे तक लता मंगेशकर स्टूडियो छोड़ देती थीं. राज कपूर को डर रहता था कि यदि वह समय पर नहीं पहुंचे तो लता मंगेशकर गाना छोड़कर चली जाएंगी.

लता मंगेशकर ने प्रोड्यूस की थीं दो फिल्में

लता मंगेशकर ने मराठी फिल्म जैत रे जैत के अलावा एक अन्य फिल्मकार के साथ भी फिल्म प्रोड्यूस की थी. जयप्रकाश चौकसे बताते हैं कि लता मंगेशकर एक मात्र ऐसी गायिका थीं जो एक बार में ही परफेक्ट गाने गाती थीं. उनके गाने के दौरान कोई रिटेक नहीं होता था. इसके लिए संगीत और अन्य वाद्य यंत्रों की टीम को भी पहले से ही तैयारियां करनी होती थीं. जब तमाम तैयारियां हो जाती थीं तब वाे एक ही बार में गाना रिकॉर्ड करती थीं.

गाने को सुनकर नेहरू जी भी रोए थे

भारत पर चीन के हमले के दौरान उज्जैन के बड़नगर में रहने वाले कवि प्रदीप का गाना 'ए मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो' पानी लता मंगेशकर ने गाया था. उस दौरान मंच पर उपस्थित प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी गाना सुनकर रो पड़े थे. तब उन्होंने कहा था कि लता आज तुम्हारे कारण मेरी आंखों से भी आंसू आ गए जिसके बाद जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें महान गायक बताया.

भाई के प्रति बहुत प्रेम

लता मंगेशकर के मन में अपने छोटे भाई हृदयनाथ मंगेशकर के लिए बहुत प्रेम था. लता मंगेशकर खुद मानती थीं कि उनके भाई की जितनी प्रतिभा है वे उसका प्रोफेशनल तरीके से प्रदर्शन नहीं कर पाये. इसलिए वे हृदय नाथ के प्रति ज्यादा सहानुभूति रखती थीं. एक मौका ऐसा भी आया जब खुद जयप्रकाश चौकसे अपनी शायर नामक फिल्म के लिए गाने की रिकॉर्डिंग की ख्वाहिश लिए लता मंगेशकर के पास पहुंचे थे. तब लता मंगेशकर की तबीयत खराब होने के कारण उन्होंने जयप्रकाश की फिल्म के लिए उषा मंगेशकर को जिम्मेदारी दी थी, इसके बाद उषा मंगेशकर ने फिल्म के गाने गाए थे.

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Last Updated : Feb 6, 2022, 11:36 AM IST
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