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AI की मदद से दिव्यांगों को मिलेगा नया हाथ, मांसपेशियों से जुड़कर करेगा काम

डॉ.आंबेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी फॉर हैंडीकैप्ड के छात्रों ने दिव्यांगों के लिए खास किस्म का प्रोस्थेटिक हैंड (कृत्रिम हाथ) (AI Based Prosthetic Hand) तैयार किया है. यह दिव्यांगों के लिए काफी कारगर हो सकता है.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 31, 2023, 7:04 PM IST

कानपुर के एआईटीएच ने खास किस्म का कृत्रिम हाथ तैयार किया है.

कानपुर : जिन दिव्यांगों के एक ही हाथ हैं, उन्हें रोजमर्रा के काम करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. दिव्यांगों की इन्हीं समस्याओं को देखते हुए डॉ.आंबेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी फॉर हैंडीकैप्ड ने खास किस्म का प्रोस्थेटिक हैंड (कृत्रिम हाथ) तैयार किया है. यह काफी उपयोगी है. छात्रों की ओर से बनाए गए इस कृत्रिम हाथ की कीमत भी काफी कम है. अब इसे पेटेंट कराने की तैयारी की जा रही है.

जैसे एक हाथ चलेगा, वैसे ही काम करेगा प्रोस्थेटिक हैंड : डॉ.आंबेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी फॉर हैंडीकैप्ड की प्रोफेसर श्वेता त्रिपाठी ने बताया कि जिस तरह हमारा एक हाथ प्राकृतिक तौर पर काम करता है, उपयोग करने पर ठीक वैसे ही प्रोस्थेटिक हैंड भी काम करने लगता है. इसमें सेंसर्स व मोटर लगी हैं. ऑड्रिनो की प्रोग्रामिंग की गई है. इसका परीक्षण सबसे पहले कार्डबोर्ड पर किया गया था.डेढ़ से दो साल की अवधि में प्लास्टिक व अन्य वायरों की मदद से प्रोस्थेटिक हैंड तैयार किया गया.

कृत्रिम हाथ काफी कारगर है.
कृत्रिम हाथ काफी कारगर है.

ऐसे करता है काम : प्रोफेसर ने बताया कि इसके उपयोग से पहले दिव्यांग को ग्लब्स (कृत्रिम हाथ) पहनना होता है. इस कृत्रिम हाथ में कई वायर हैं. हाथ की मसल्स के साथ इन्हें अटैच कर दिया जाता है. शरीर में मौजूद प्राकृतिक हाथ जिस तरह से काम करता है, उसी तरह प्रोस्थेटिक हैंड भी काम करेगा. इसे बनाने में करीब पांच हजार रुपये की लागत आई है. जल्द ही यह प्रोस्थेटिक हैंड बाजार में भी उपलब्ध हो जाएगा.

कृत्रिम हाथ से कंकरीट से जुड़े काम भी किए जा सकते हैं : एआई लैब फाइनल ईयर के छात्र अमित सिंह ने बताया कि प्रोस्थेटिक हैंड को एआईटीएच की आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) लैब में बनाया गया. जिस तरह से हम शरीर में मौजूद नैचुरली हाथ की अंगुलियों को घुमाते हैं, वैसे ही प्रोस्थेटिक हैंड में लगी उंगलिया भी घूमने लगती हैं. खास बात ये है कि दिव्यांग इसे पहनकर कंकरीट मिलाने से जुड़े सभी काम भी कर सकते हैं. इस प्रोस्थेटिक हैंड को बनाने वालों की टीम में अमित के साथ तृप्ति सिंह व एक अन्य छात्रा भी शामिल है.

कृत्रिम हाथ ने कीमत भी कम है.
कृत्रिम हाथ ने कीमत भी कम है.

इस तरह आया प्रोस्थेटिक हैंड बनाना का आइडिया : डॉ.आंबेडकर इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी फॉर हैंडीकैप्ड (एआईटीएच) के छात्रों ने बताया कि उन्होंने संस्थान के ही एक फैकल्टी मेंबर को एक हाथ से काम करते देखा, वह एक हाथ से दिव्यांग हैं. यहीं से प्रोस्थेटिक हैंड बनाने के विचार ने जन्म लिया. इसके बाद उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ.श्वेता त्रिपाठी के मार्गदर्शन में इस पर कार्य करना शुरू किया. प्रोफेसर ने बताया कि प्रोस्थेटिक हैंड के प्रोटोटाइप को पेटेंट कराने के लिए दौड़भाग जारी है. शहर के प्रतिष्ठित एलिम्को संस्थान के विशेषज्ञों को भी इसकी जानकारी दी गई है.

यह भी पढ़ें : जापान के विशेषज्ञ CSA में तैयार करेंगे मॉडल खेत, सब्जियां और फसलें भी उगाएंगे

ऑस्टियोआर्थराइटिस के इलाज के लिए आईआईटी कानपुर ने तैयार किया खास केमिकल, चूहों पर परीक्षण सफल

कानपुर के एआईटीएच ने खास किस्म का कृत्रिम हाथ तैयार किया है.

कानपुर : जिन दिव्यांगों के एक ही हाथ हैं, उन्हें रोजमर्रा के काम करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. दिव्यांगों की इन्हीं समस्याओं को देखते हुए डॉ.आंबेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी फॉर हैंडीकैप्ड ने खास किस्म का प्रोस्थेटिक हैंड (कृत्रिम हाथ) तैयार किया है. यह काफी उपयोगी है. छात्रों की ओर से बनाए गए इस कृत्रिम हाथ की कीमत भी काफी कम है. अब इसे पेटेंट कराने की तैयारी की जा रही है.

जैसे एक हाथ चलेगा, वैसे ही काम करेगा प्रोस्थेटिक हैंड : डॉ.आंबेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी फॉर हैंडीकैप्ड की प्रोफेसर श्वेता त्रिपाठी ने बताया कि जिस तरह हमारा एक हाथ प्राकृतिक तौर पर काम करता है, उपयोग करने पर ठीक वैसे ही प्रोस्थेटिक हैंड भी काम करने लगता है. इसमें सेंसर्स व मोटर लगी हैं. ऑड्रिनो की प्रोग्रामिंग की गई है. इसका परीक्षण सबसे पहले कार्डबोर्ड पर किया गया था.डेढ़ से दो साल की अवधि में प्लास्टिक व अन्य वायरों की मदद से प्रोस्थेटिक हैंड तैयार किया गया.

कृत्रिम हाथ काफी कारगर है.
कृत्रिम हाथ काफी कारगर है.

ऐसे करता है काम : प्रोफेसर ने बताया कि इसके उपयोग से पहले दिव्यांग को ग्लब्स (कृत्रिम हाथ) पहनना होता है. इस कृत्रिम हाथ में कई वायर हैं. हाथ की मसल्स के साथ इन्हें अटैच कर दिया जाता है. शरीर में मौजूद प्राकृतिक हाथ जिस तरह से काम करता है, उसी तरह प्रोस्थेटिक हैंड भी काम करेगा. इसे बनाने में करीब पांच हजार रुपये की लागत आई है. जल्द ही यह प्रोस्थेटिक हैंड बाजार में भी उपलब्ध हो जाएगा.

कृत्रिम हाथ से कंकरीट से जुड़े काम भी किए जा सकते हैं : एआई लैब फाइनल ईयर के छात्र अमित सिंह ने बताया कि प्रोस्थेटिक हैंड को एआईटीएच की आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) लैब में बनाया गया. जिस तरह से हम शरीर में मौजूद नैचुरली हाथ की अंगुलियों को घुमाते हैं, वैसे ही प्रोस्थेटिक हैंड में लगी उंगलिया भी घूमने लगती हैं. खास बात ये है कि दिव्यांग इसे पहनकर कंकरीट मिलाने से जुड़े सभी काम भी कर सकते हैं. इस प्रोस्थेटिक हैंड को बनाने वालों की टीम में अमित के साथ तृप्ति सिंह व एक अन्य छात्रा भी शामिल है.

कृत्रिम हाथ ने कीमत भी कम है.
कृत्रिम हाथ ने कीमत भी कम है.

इस तरह आया प्रोस्थेटिक हैंड बनाना का आइडिया : डॉ.आंबेडकर इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी फॉर हैंडीकैप्ड (एआईटीएच) के छात्रों ने बताया कि उन्होंने संस्थान के ही एक फैकल्टी मेंबर को एक हाथ से काम करते देखा, वह एक हाथ से दिव्यांग हैं. यहीं से प्रोस्थेटिक हैंड बनाने के विचार ने जन्म लिया. इसके बाद उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ.श्वेता त्रिपाठी के मार्गदर्शन में इस पर कार्य करना शुरू किया. प्रोफेसर ने बताया कि प्रोस्थेटिक हैंड के प्रोटोटाइप को पेटेंट कराने के लिए दौड़भाग जारी है. शहर के प्रतिष्ठित एलिम्को संस्थान के विशेषज्ञों को भी इसकी जानकारी दी गई है.

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