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Gaming companies On Tax: 30 प्रतिशत कर वसूलने की गूगल की जागीरदारी की गेमिंग कंपनियों ने की निंदा

भारतीय रियल मनी गेमिंग कंपनियों ने इन-ऐप खरीदारी के लिए Google Play Store द्वारा चार्ज किए गए 30 प्रतिशत कमीशन की आलोचना की.

Gaming companies On Tax
30 प्रतिशत कर वसूलने की गूगल की जागीरदारी की गेमिंग कंपनियों ने की निंदा
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Published : Apr 24, 2023, 10:43 PM IST

नई दिल्ली: अग्रणी गेमिंग प्लेटफॉर्मो के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) ने देश में गेमिंग एप पर गूगल द्वारा लगाए गए 30 प्रतिशत कर पर गंभीर चिंता व्यक्त (Gaming companies condemn Google vassalage) की. इन-एप खरीददारी की अनिवार्यता के कारण मजबूरन उपभोक्ताओं को गूगल की भुगतान प्रणाली से भुगतान करना पड़ता है जिसमें 30 प्रतिशत तक कमीशन काट लिया जाता है. मोबाइल प्रीमियर लीग (एमपीएल) के सह-संस्थापक और सीईओ साई श्रीनिवास ने इस बात पर प्रकाश डाला कि 30 प्रतिशत कमीशन अमेरिका जैसे उन्नत बाजारों में व्यवहार्य हो सकता है, लेकिन भारत के लिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि भारतीय गेम डेवलपर्स को निवेश करने के लिए अधिक राजस्व प्राप्त हो ताकि वे खेल का विकास कर सकें तथा और अधिक खेलों का निर्माण करें.

यदि कोई डेवलपर 100 रुपये शुल्क लेता है, तो 30 रुपये प्ले स्टोर या ऐप स्टोर में जाते हैं और 70 रुपये डेवलपर के पास जाते हैं. उस 70 रुपये में से उन्हें होस्टिंग, उपयोगकर्ता अधिग्रहण और अन्य खचरें के लिए भुगतान करना होगा. श्रीनिवास ने सोमवार को लॉ एंड टेक्नोलॉजी सोसाइटी (एल-टेक) द्वारा ऑल इंडिया गेम डेवलपर्स फोरम के साथ मिलकर नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी में आयोजित 'कॉन्सिलिएंस 2023' में आयोजित एक पैनल चर्चा में कहा, मेरा विचार है कि हमें भारतीय गेम डेवलपर्स को गेम डेवलपमेंट में निवेश करने और अधिक गेम बनाने के लिए अधिक राजस्व प्रदान करना चाहिए.

इंडियाजीजी के सह-संस्थापक मनीष अग्रवाल ने कहा कि गेमिंग एप पर 30 फीसदी टैक्स अनुचित है. उन्होंने कहा, 30 प्रतिशत 'जागीरदारी' कर एक जबरन वसूली है. मेरा मानना है कि भारत में हमें किसी को भी ऐसा करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए, खासकर तब जब आप भारतीय कंपनी नहीं हैं. वही अग्रवाल ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के ऊपर अतिरिक्त 30 प्रतिशत कर जोड़ना उपभोक्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण खर्च है, जो गेमर के नजरिए से अनुत्पादक है. पिछले सप्ताह भारत में गूगल की कथित एकाधिकार प्रथाओं के खिलाफ चल रही लड़ाई में, एलायंस फॉर डिजिटल इंडिया फाउंडेशन (Alliance for Digital India Foundation) को दक्षिण कोरियाई सांसद जुंगमिन होंग का समर्थन मिला. होंग ने हाल ही में एआईडीएफ के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया और भारत की स्थिति की तुलना दक्षिण कोरिया से की.

गूगल की प्रतिस्पर्धा-रोधी प्रथाओं के साथ दक्षिण कोरिया के अपने अनुभव के कारण दुनिया का पहला 'आईएपी अधिनियम' आया, जो अनिवार्य रूप से इन-ऐप खरीदारी पर प्रतिबंध लगाता है. दक्षिण कोरिया का कानून उपभोक्ताओं की रक्षा करने और अनुप्रयोग पारिस्थितिकी तंत्र को बड़ी तकनीक के एकाधिकार प्रभुत्व से बचाने के लिए बनाया गया था. हाल ही में देश के निष्पक्ष व्यापार नियामक, कोरिया फेयर ट्रेड कमिशन ने प्रतिस्पर्धी मंच पर खेलों की रिलीज को रोकने के लिए गूगल पर 3.2 करोड़ डॉलर का जुमार्ना भी लगाया. पैनल चर्चा में, क्राफ्टन इंडिया के सीईओ सीन ह्यूनिल सोहन ने सरकार द्वारा उचित हस्तक्षेप करने का आह्वान किया और उपभोक्ताओं द्वारा समर्थित तीसरे पक्ष के स्टोर से प्रतिस्पर्धा के विकास को प्रोत्साहित किया.

(आईएएनएस)

ये भी पढ़ें: Google AI Chatbot: कोड जेनरेट करने, डीबग करने में मदद करेगा गूगल का एआई चैटबॉट 'बार्ड'

नई दिल्ली: अग्रणी गेमिंग प्लेटफॉर्मो के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) ने देश में गेमिंग एप पर गूगल द्वारा लगाए गए 30 प्रतिशत कर पर गंभीर चिंता व्यक्त (Gaming companies condemn Google vassalage) की. इन-एप खरीददारी की अनिवार्यता के कारण मजबूरन उपभोक्ताओं को गूगल की भुगतान प्रणाली से भुगतान करना पड़ता है जिसमें 30 प्रतिशत तक कमीशन काट लिया जाता है. मोबाइल प्रीमियर लीग (एमपीएल) के सह-संस्थापक और सीईओ साई श्रीनिवास ने इस बात पर प्रकाश डाला कि 30 प्रतिशत कमीशन अमेरिका जैसे उन्नत बाजारों में व्यवहार्य हो सकता है, लेकिन भारत के लिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि भारतीय गेम डेवलपर्स को निवेश करने के लिए अधिक राजस्व प्राप्त हो ताकि वे खेल का विकास कर सकें तथा और अधिक खेलों का निर्माण करें.

यदि कोई डेवलपर 100 रुपये शुल्क लेता है, तो 30 रुपये प्ले स्टोर या ऐप स्टोर में जाते हैं और 70 रुपये डेवलपर के पास जाते हैं. उस 70 रुपये में से उन्हें होस्टिंग, उपयोगकर्ता अधिग्रहण और अन्य खचरें के लिए भुगतान करना होगा. श्रीनिवास ने सोमवार को लॉ एंड टेक्नोलॉजी सोसाइटी (एल-टेक) द्वारा ऑल इंडिया गेम डेवलपर्स फोरम के साथ मिलकर नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी में आयोजित 'कॉन्सिलिएंस 2023' में आयोजित एक पैनल चर्चा में कहा, मेरा विचार है कि हमें भारतीय गेम डेवलपर्स को गेम डेवलपमेंट में निवेश करने और अधिक गेम बनाने के लिए अधिक राजस्व प्रदान करना चाहिए.

इंडियाजीजी के सह-संस्थापक मनीष अग्रवाल ने कहा कि गेमिंग एप पर 30 फीसदी टैक्स अनुचित है. उन्होंने कहा, 30 प्रतिशत 'जागीरदारी' कर एक जबरन वसूली है. मेरा मानना है कि भारत में हमें किसी को भी ऐसा करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए, खासकर तब जब आप भारतीय कंपनी नहीं हैं. वही अग्रवाल ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के ऊपर अतिरिक्त 30 प्रतिशत कर जोड़ना उपभोक्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण खर्च है, जो गेमर के नजरिए से अनुत्पादक है. पिछले सप्ताह भारत में गूगल की कथित एकाधिकार प्रथाओं के खिलाफ चल रही लड़ाई में, एलायंस फॉर डिजिटल इंडिया फाउंडेशन (Alliance for Digital India Foundation) को दक्षिण कोरियाई सांसद जुंगमिन होंग का समर्थन मिला. होंग ने हाल ही में एआईडीएफ के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया और भारत की स्थिति की तुलना दक्षिण कोरिया से की.

गूगल की प्रतिस्पर्धा-रोधी प्रथाओं के साथ दक्षिण कोरिया के अपने अनुभव के कारण दुनिया का पहला 'आईएपी अधिनियम' आया, जो अनिवार्य रूप से इन-ऐप खरीदारी पर प्रतिबंध लगाता है. दक्षिण कोरिया का कानून उपभोक्ताओं की रक्षा करने और अनुप्रयोग पारिस्थितिकी तंत्र को बड़ी तकनीक के एकाधिकार प्रभुत्व से बचाने के लिए बनाया गया था. हाल ही में देश के निष्पक्ष व्यापार नियामक, कोरिया फेयर ट्रेड कमिशन ने प्रतिस्पर्धी मंच पर खेलों की रिलीज को रोकने के लिए गूगल पर 3.2 करोड़ डॉलर का जुमार्ना भी लगाया. पैनल चर्चा में, क्राफ्टन इंडिया के सीईओ सीन ह्यूनिल सोहन ने सरकार द्वारा उचित हस्तक्षेप करने का आह्वान किया और उपभोक्ताओं द्वारा समर्थित तीसरे पक्ष के स्टोर से प्रतिस्पर्धा के विकास को प्रोत्साहित किया.

(आईएएनएस)

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