ETV Bharat / international

मां के दूध से नहीं फैलता कोरोना संक्रमण : डब्ल्यूएचओ

author img

By

Published : Jun 3, 2020, 3:31 PM IST

Updated : Jun 3, 2020, 4:12 PM IST

breast feeding mother
शिशु के लिए स्तनपान है फायदेमंद

डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ महिलाओं को कोविड-19 महामारी के दौरान स्तनपान के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. संगठन ने जानकारी दी है कि कोरोना संक्रमित महिलाएं भी शिशुओं को स्तनपान करा सकती हैं. इसके साथ ही संगठन ने मां के दूध के विकल्पों की अनुचित मार्केटिंग को नुकसानदेह बताया है. जानें डब्ल्यूएचओ के मुताबिक क्या है स्तनपान के फायदे और शिशुओं में यह किस हद तक कोरोना संक्रमण के खतरे को कम कर सकता है...

हैदराबाद : विश्व स्वास्थ्य संगठन और इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क की एक नई रिपोर्ट से पता चलता है कि मां के दूध के विकल्प के प्रचार-प्रसार को रोकने के प्रयासों के बावजूद, अभिभावकों को भ्रामक जानकारी से बचाने में कई देश अब भी बहुत पीछे हैं.

कोरोना जैसी महामारी ने मां के दूध के विकल्प के झूठे दावों के खिलाफ मजबूत कानून की जरूरत पर प्रकाश डाला है. मां का दूध बच्चे के जीवन के लिए अहम है, क्योंकि यह बच्चों को एंटाबॉडी प्रदान करता है और उन्हें कई तरह की बीमारियों से बचाता है.

डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ कोरोना महामारी के दौरान महिलाओं को स्तनपान कराने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक मां के दूध से संक्रमण फैलने का खतरा नहीं है. कोरोना वायरस से संक्रमित मां या जिनमें इसके लक्षण हैं, वह भी अपने बच्चे को स्तनपान करा सकती हैं.

इसके साथ ही रिपोर्ट के मुताबिक, जिन बच्चों को स्तनपान नहीं कराया जाता, उनकी मौत का खतरा स्तनपान करने वाले बच्चों की तुलना में 14 गुना बढ़ जाता है. इस स्थिति में मांओं को कोरोना वायरस के डर से बच्चों को स्तनपान कराना बंद नहीं करना चाहिए, वरना यह बच्चों के स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकता है.

स्तनपान के हैं कई फायदे
शिशु के लिए स्तनपान के कई फायदे हैं, जो कोरोना और उससे जुड़ी अन्य बीमारियों के जोखिम को काफी हद तक कम कर देते हैं. इससे परे अगर बाजार का दूध शिशु को दिया जाए, तो वह काफी हद तक असुरक्षित माना जाता है.

अहम है स्तनपान
स्तनपान को लेकर आज के समय में भी लोग जागरूक नहीं हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में सिर्फ 41 प्रतिशत बच्चों को ही छह महीने तक स्तनपान कराया जाता है.

डब्लूएचओ के पोषण और खाद्य सुरक्षा विभाग के निदेशक डॉ फ्रांसेस्को ब्रांका कहते हैं कि मां के दूध के विकल्पों की बड़ी तादाद में मार्केटिंग एक समस्या है. वह भी ऐसी कंपनियों द्वारा, जिनपर मां-बाप काफी भरोसा करते हैं.

पढ़ें-कोरोना वायरस की जानकारी देने में चीन ने देरी की : डब्ल्यूएचओ

ब्रांका ने आगे कहा कि स्वास्थ्य व्यवस्था को चाहिए कि वह मां-बाप के बीच स्तनपान के प्रति विश्वास को बढ़ावा दे.

डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ सलाह देते हैं कि शिशुओं को पहले छह महीने में मां के दूध के अलावा कुछ भी नहीं दिया जाना चाहिए. इसके बाद भी स्तनपान जारी रखना चाहिए. इसके साथ ही दो साल की उम्र तक और उसके बाद भी शिशु को अन्य पौष्टिक आहार दिया जाना चाहिए.

शोध में पता चला है कि जिन शिशुओं को विशेष रूप से स्तनपान कराया जाता है, उनकी मृत्यु दर अन्य शिशुओं की तुलना में 14 प्रतिशत कम होती है. हालांकि, आज के समय में स्तनपान कराए जाने वाले शिशुओं का आंकड़ा काफी कम है. इन आंकड़ों को ड्ब्ल्यूएचओ के सभी सदस्यों ने 2025 तक 50 फीसदी करने का लक्ष्य रखा है.

इन सभी बातों के अलावा स्तनपान के विकल्पों ने डब्ल्यूएचओ की चिंता बढ़ा दी है. इन उत्पादों की अनुचित मार्केटिंग जारी है, जो शिशुओं में कोरोना संक्रमण के खतरे को बढ़ा रहा है.

कोरोना संक्रमण के बीच शिशु को स्तनपान कराते समय इन बातों का खयाल जरूर रखा जाना चाहिए:

  • स्तनपान कराने से पहले हाथों को अच्छी तरह साबुन या सैनिटाइजर से साफ कर लें
  • स्तनपान कराते समय मास्क का इस्तेमाल जरूर करें
  • खांसी या सर्दी होने पर टिशू का इस्तेमाल करना न भूलें
  • इस्तेमाल किए हुए टिशू को डिस्पोज करें और उसके बाद हाथों को दोबारा धोएं
Last Updated :Jun 3, 2020, 4:12 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.