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Navratri 2022 Durga Ashtami: महाअष्टमी पर कन्या पूजन के साथ संधि पूजा से होगा विशेष लाभ

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Published : Oct 3, 2022, 10:02 AM IST

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महाअष्टमी पर कन्या पूजन

महाअष्टमी पर कन्या पूजन (Navratri 2022 Durga Ashtami) के साथ संधि पूजा से होगा विशेष लाभ होता है. ईटीवी भारत ने पूजा के महत्व को लेकर वाराणसी ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी से ख़ास बातचीत की.

वाराणसी: नवरात्र के हर दिन देवी के अलग अलग स्वरूप की आराधना के साथ आज माता के अष्टमी (Navratri 2022 Durga Ashtami) का पर्व धूमधाम के साथ मनाया जाएगा. महाअष्टमी के दिन माता की विशेष पूजा होती है और कन्या पूजन के साथ ही संधी पूजा का आयोजन किया जाता है. ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि अष्टमी तिथि में अन्नपूर्णा परिक्रमा करने का सुबह 6:32 से लेकर शाम 4 बजे तक का मुहूर्त है. संधिपूजा के लिए आज दिन में 4:24 के बाद पूजन का मुहूर्त है. रात 2:21 बजे से सर्वार्थ सिद्धि योग लगेगा. इस योग में पूजा करने से श्रद्धालुओं की समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं.



ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि अष्टमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है. अष्टमी के दिन कन्या पूजन (durga ashtami kanya pujan vidhi) करने से हर प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती ह. विशेष सावधानी यह बरतनी चाहिए कि पुराणों के अनुसार अष्टमी के दिन नारियल खाना मना है. इसी तरह से नवमी के दिन गोल लौकी खाने को मना किया गया है. नवमी या महानवमी नवरात्रि का नौवां दिन है. महानवमी पर देवी दुर्गा की महिषासुर मर्दिनी के रूप में पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि महानवमी के दिन मां दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का वध किया था. नवरात्रि के नौवें दिन भक्त मां दुर्गा के नौवें अवतार मां सिद्धिदात्री की पूजा भी करते हैं. कुछ भक्त नवमी पर भी कन्या पूजा करते हैं. इस साल नवमी 4 अक्टूबर मंगलवार को है.

दुर्गा अष्टमी पूजा शुभ मुहूर्त: हिंदू पंचांग के अनुसार नवमी तिथि 3 अक्टूबर को शाम 4:03 बजे शुरू होगी और 4 अक्टूबर को दोपहर 1:32 बजे समाप्त होगी इसके अलावा ब्रह्म मुहूर्त 4 अक्टूबर की सुबह 4:38 बजे शुरू होगा और 5:27 बजे समाप्त होगा. अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:46 बजे से दोपहर 12:33 बजे तक रहेगा. इस प्रकार से नवमी में हवन करने के लिए दिन में 1:32 बजे तक हवन करने का विशेष मुहूर्त है.

दुर्गा अष्टमी पूजा विधि: हवन के लिए नवमी तिथि ही सर्वोत्तम है. नवरात्रि व्रत का पारण 5 अक्टूबर को सुबह किया जाएगा. इसके बाद विजयादशमी स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना जाता है. इसमें से शमी पूजन करने का विधान है. अपराजिता पूजन दशमी को करने का विधान है. साथ में नीलकंठ के दर्शन का बहुत बड़ा विधान है.

विजय यात्रा एवं शस्त्रों के पूजन का भी विजयादशमी के दिन बड़ा महत्व है. शस्त्र पूजन मुहूर्त 4 अक्टूबर को दोपहर में 1:58 से लेकर के 2:44 तक सर्वोत्तम है. इसके बाद मां भगवती मुर्गा वाहन पर सवार होकर प्रस्थान करेंगी. देवी भगवती का मुर्गा वाहन पर सवार होकर प्रस्थान करना अच्छा नहीं माना जाता है. इससे दुर्घटनाएं बढ़ेंगी.

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