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ज्ञानवापी मामला: मुस्लिम पक्ष की दलीलें पूरी, हिंदू पक्ष ने कहा-नमाज पढ़ने से कोई जगह मस्जिद नहीं हो जाती

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Published : Jul 12, 2022, 8:30 AM IST

Updated : Jul 12, 2022, 6:56 PM IST

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ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी प्रकरण मामले को लेकर आज जिला जज के न्यायालय में एक बार फिर से सुनवाई हुई. आज मुस्लिम पक्ष की बहस के बाद हिन्दू पक्ष की बहस विष्णु शंकर जैन ने पूरी की. आगे की बहस कल होगी.

वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद श्रृंगार गौरी मामले में आज की सुनवाई पूरी हो गई. जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में मुस्लिम पक्ष ने अपनी बहस पूरी की और दलीलें दी कि ज्ञानवापी मामले में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट (स्पेशल प्रॉविजंस), 1991 लागू होता है. मतलब 1947 में आजादी के समय धार्मिक स्थलों की जो स्थिति थी, उसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है. इसके साथ ही कानूनी नजीरें भी पेश की. जिसमें कहा गया कि हिंदू पक्ष का मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है और उसे खारिज कर दिया जाए.

जानकारी देते अधिवक्ता.

इसके बाद हिंदू पक्ष ने अपनी बहस शुरू की. कहा कि नमाज पढ़ने से कोई जगह मस्जिद नहीं हो जाती है. हमारा मुकदमा सुनवाई योग्य है. ज्ञानवापी प्रकरण में वर्शिप एक्ट लागू नहीं होता है. दलीलों को सुनने के बाद जिला जज की कोर्ट ने कहा कि आगे की सुनवाई बुधवार की दोपहर बजे से होगी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कोर्ट हिंदू और मुस्लिम पक्ष की दलीलें सुन रही है. इससे पहले 4 जुलाई को सुनवाई हुई थी, तब मुस्लिम पक्ष ने हिंदू पक्ष के 51 बिंदुओं पर अपनी दलीलें रखी थी.

हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने चार वादी महिलाओं की तरफ से आज कोर्ट में पक्ष रखा है. विष्णु शंकर जैन ने बताया कि 'उन्होंने अपनी तरफ से बहस शुरू कर दी है. आज कोर्ट में यह बात कही गई है कि किसी भी जगह पर नमाज पढ़ने से कोई जगह मुस्लिम पक्ष की या मस्जिद की नहीं हो जाती है. उन्होंने कुछ पुराने केस का हवाला भी दिया है. जिसमें माना गया है कि सिर्फ नमाज पढ़ने से कोई स्थान मस्जिद नहीं कहा जा सकता है.'

वहीं, मुस्लिम पक्ष के वकील अभय नाथ यादव का कहना है कि 'हिंदू पक्ष की दलीलें बेबुनियाद है. वह अपनी ही बातों में फस रहे हैं. उन्होंने स्वयं यह बात कही है कि वह स्थान मस्जिद है, वहां पर मस्जिद मौजूद है. उन्होंने कहीं भी बेदखली या मुसलमानों को हटाने की बात नहीं कही है तो किस आधार पर वह पूजा का अधिकार मांग रहे हैं.' अभय यादव का कहना है कि 'इन लोगों की तरफ से यह भी कहा गया है कि कॉरिडोर के निर्माण के दौरान मस्जिद की तरफ से 1000 स्क्वायर फीट अपनी जमीन मंदिर को दी गई. मंदिर प्रशासन ने उसके बदले उतनी ही जमीन मस्जिद को दी है. जब वह खुद मस्जिद की मिल्कियत मान रहे हैं तो फिर मुकदमा तो ऐसे ही मान्य नहीं होगा.'


वहीं, विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन ने कहा कि एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ज्ञानवापी प्रकरण के हमारे मुकदमे को खारिज कराने पर तुले हुए हैं. विष्णु शंकर जैन इंडिया इस्लामिक कल्चर सेंटर के एक लाइफ टाइम मेंबर से जुड़े हैं और पूरी तरह से उसके प्रभाव में हैं. उस शख्स का नाम तो नहीं खोलूंगा, लेकिन उनकी मेंबरशिप संख्या 1289 है. उन्होंने विष्णु शंकर जैन को अपनी कठपुतली बना रखा है. इंडिया इस्लामिक कल्चर सेंटर ने ज्ञानवापी प्रकरण को हाइजैक कर लिया है. सेंटर की संरक्षण कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं. इंडिया इस्लामिक कल्चर सेंटर किसी भी तरह से हिंदुओं का हितैषी नहीं है और वह लगातार हमारे खिलाफ साजिश रच रहा है.

बता दें कि ज्ञानवापी प्रकरण में चल रही सुनवाई पहले सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत में चल रही थी. जहां पर उन्होंने 2021 में दायर की गई इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट कमिशन की कार्यवाही का निर्देश दिया था. जिसमें पहले एक कोर्ट कमिश्नर फिर बाद में दो अन्य कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किए गए थे 4 दिनों तक चली वीडियोग्राफी की कोर्ट कमिशन कार्यवाही पूरी करने के बाद रिपोर्ट कोर्ट में सबमिट हुई और कमीशन की कार्यवाही का वीडियो लीक भी हो गया. इस मामले में सबसे पहली वादी विश्व वैदिक सनातन संघ की तरफ से राखी सिंह थी लेकिन बाद में रेखा पाठक, सीता साहू, लक्ष्मी देवी और मंजू व्यास समेत कुल चार अन्य महिलाओं ने भी श्रृंगार गौरी में नियमित दर्शन की मांग को लेकर याचिका दायर की.

इस पर सुनवाई एक साथ की जा रही है. इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में भी दायर किया गया जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सिविल जज सीनियर डिविजन की अदालत से इस प्रकरण को जिला जज न्यायालय को ट्रांसफर करने का आदेश दिया था जिसके बाद से लगातार जिला जज न्यायालय में इस प्रकरण की सुनवाई चल रही है. जिला जज ने मुस्लिम पक्ष की तरफ से मुकदमे को सुनवाई योग्य है कि नहीं इस पर सुनवाई शुरू करते हुए मुस्लिम पक्ष को पहले अपनी दलीलें प्रस्तुत करने का आदेश दिया था, इस पर कार्यवाही चल रही है. वहीं, ज्ञानवापी परिसर में वजू खाने के अंदर मिले तथाकथित शिवलिंग में पूजन अर्चन व परिसर पहुंचने को लेकर भी एक अन्य याचिका अलग से दायर की गई है. जिस पर अलग से सुनवाई जारी है.

फिलहाल इस प्रकरण में जितेंद्र सिंह बिसेन यानी विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख ने अपनी संस्था को अलग करके सेपरेट कानूनी लड़ाई आगे बढ़ाने की तैयारी की है. वही सारे कानूनी मामलों को एक साथ आगे बढ़ाने के लिए हिंदू पक्ष की तरफ से भी कल एक नया ट्रस्ट तैयार कर दिया गया है. इस ट्रस्ट का नाम श्री आदि महादेव काशी धर्मालय मुक्ति न्यास ट्रस्ट रखा गया है. जिसमें वकील हरिशंकर जैन उनके बेटे विष्णु जैन समेत चार वाली महिलाएं और उनके पैरों कार समेत अन्य लोग शामिल हैं.

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Last Updated :Jul 12, 2022, 6:56 PM IST
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