काशी में मोक्ष की राह में अतिक्रमण, मणिकर्णिका घाट की गलियों में रखी लकड़ियों से बड़ा खतरा

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Published : Jul 16, 2022, 1:00 PM IST

etv bharat
मणिकर्णिका घाट अतिक्रमण ()

वाराणसी में प्रसिद्ध मणिकर्णिका घाट की गलियों में लोगों ने कब्जा कर लिया है. यहां गलियों में रखी लकड़ियों से खतरा बना हुआ है. वहीं, प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी आंख बंद किए हुए हैं.

वाराणसी: काशी को मोक्ष की नगरी कहते हैं. यहां बना महाश्मशान मणिकर्णिका घाट को मुक्ति के द्वार नाम से भी जाना जाता है. लोगों की मान्यता है कि अंतिम समय में काशी में हुई मृत्यु शिव लोक में स्थान दिलाती है और महाश्मशान मणिकर्णिका (जलासेन घाट) पर अंतिम संस्कार होने से भी गंगा में प्रवाहित अस्थियों की वजह से मुक्ति का मार्ग खुल जाता है. लेकिन, इस मुक्तिधाम पर कब्जेदारों का आतंक बढ़ता जा रहा है. मोक्ष की राह में हर तरफ सिर्फ अतिक्रमण है.

मणिकर्णिका घाट की सरकारी जमीन पर एक लकड़ी कारोबारी ने कब्जा कर रखा है. इसकी वजह से इस घाट की गलियों में लकड़ियों का अंबार लगा रहता है. इन्हीं लकड़ियों से करीब दो दिन पहले एक हादसा हो गया. तेज हवा चलने से चिता से उठी चिंगारी ने यहां रखी करीब 400 क्विंटल लकड़ियां जलाकर राख कर दी. इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. यहां के पूरे इलाके की हर गली में लकड़ियां रखी नजर आ जाएंगी और इनकी वजह से आग हादसे की बड़ी घटना का खतरा बना हुआ है. इससे कितने लोगों की जान जा सकती है.

जानकारी देते डॉ. एनपी सिंह एसएसए नगर निगम

मणिकर्णिका घाट को नए रूप देने के लिए सरकार प्लान बना कर उसे धरातल पर उतारने में जुटी है. लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की अनदेखी बड़े हादसा होने का इंतजार कर रही हैं. जो कानून और प्रशासन को ताख पर रखकर चलते हैं. ऐसा ही कुछ नजारा वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर देखने को मिला है. इस घाट के ठीक बगल में प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट विश्वनाथ कॉरिडोर का काम हाल में ही पूरा हुआ है. इसी स्थान से कॉरिडोर की शुरुआत की गई है. इसकी वजह से मणिकर्णिका घाट का भी रिनोवेशन किया जा रहा है. तमाम सुविधाएं मुहैया कराने का दावा है, ताकि मोक्ष की राह आसान हो. यहां आने वाले शव यात्रियों और विश्वनाथ धाम पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को किसी तरह की परेशानी ना हो, लेकिन इस रास्ते से गुजरना खतरे से खाली नहीं है. यहां की सकरी गली में लकड़ी कारोबारियों के कब्जे में है.

गलियों में लकड़ी के बड़े-बड़े टीले लगे हुए हैं और यह किसी भी समय कई जिंदगियों पर भारी पड़ सकते हैं. बता दें कि दो दिन पहले इसी सरकारी जमीन पर लकड़ी इकट्ठा कर रखी गई थी. वहीं, चिता से उठी चिंगारी ने लकड़ियों को चपेट में ले लिया. कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया. इस घटना के बाद ईटीवी भारत की टीम ने यहां का रियलिटी चेक किया.

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इस रियलिटी चेक में पता चला कि पूरा मणिकर्णिका घाट ही कब्जे की जद में है. घाट के लिए जाने वाली पतली-सकरी गलियां, पुराने मंदिर और उनकी जमीन भी कब्जे में है. नगर निगम की जमीन पर दुकानें चल रही हैं और लकड़ी तो हर तरफ कब्जा करके रखी गई है. इससे नगर निगम को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हो रहा है. वहीं, आने वाले श्रद्धालु स्थानीय लोगों और शव यात्रियों की जिंदगी से भी खिलवाड़ हो रहा है.

सकरी गलियों में रहने वाले लोगों के लिए यहां रखी लकड़ी खतरे का सबब बन सकती है. इसके बावजूद भी नगर निगम इस तरफ ध्यान नहीं दे रहा है और अवैध कब्जा हटाने में इंटरेस्ट नहीं दिखा रहा है. वहीं, स्थानीय प्रशासन को भी इससे कोई लेना-देना है. यह हाल तब है, जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अतिक्रमण हटाने के लिए काफी सख्त बरत रहे हैं. सीएम योगी समेत अधिकांश वीआईपी मणिकर्णिका का रुख कई बार कर चुके हैं, लेकिन उनकी नजर इस कब्जे पर नहीं पड़ती है.

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