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निशक्त संतान की आय कम होने पर जीवन भर पेंशन देगी योगी सरकार, शासनादेश जारी

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Published : Jun 16, 2022, 8:13 AM IST

Updated : Jun 16, 2022, 10:48 AM IST

शासन ने यूपी सरकार के सेवानिवृत्त या मृत कर्मचारियों और पेंशनरों की मानसिक या शारीरिक निशक्तता से ग्रस्त संतान को पारिवारिक पेंशन के संबंध में आय के मानदंड तय किए हैं. नए शासनादेश के अनुसार दिवंगत सरकारी कर्मचारी या पेंशनभोगी की निशक्त संतान जीवन भर पारिवारिक पेंशन की हकदार होगी.

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश शासन ने राज्य सरकार के सेवानिवृत्त या मृत कर्मचारियों और पेंशनरों की मानसिक या शारीरिक निशक्तता से ग्रस्त संतान को पारिवारिक पेंशन के संबंध में आय के मानदंड तय किए हैं. इस शासनादेश में लिखा गया है कि दिवंगत सरकारी कर्मचारी या पेंशनभोगी की निशक्त संतान जीवन भर पारिवारिक पेंशन की हकदार होगी.

आदेश के अनुसार यदि निशक्त संतान की समग्र आय साधारण दर पर स्वीकार्य पारिवारिक पेंशन व उस पर स्वीकार्य महंगाई राहत से कम है, तो उसे यह लाभ मिलेगा. ऐसे मामलों में वित्तीय लाभ इस शासनादेश के जारी होने की तिथि से देय होगा और सरकारी कर्मचारी, पेंशनभोगी या पूर्व पेंशनभोगी की मृत्यु की तारीख से शुरू होने वाली अवधि के लिए कोई बकाया स्वीकृत नहीं होगा.

गुरुवार को सीएम योगी ने ट्वीट करके कहा कि प्रधानमंत्री की मंशा के अनुसार 'अग्निपथ योजना' युवाओं को राष्ट्र और समाज की सेवा के लिए तैयार किया जाएगा. उन्हें गौरवपूर्ण भविष्य का अवसर प्रदान किया जाएगा. यूपी सरकार आश्वस्त करती है कि 'अग्निवीरों' को सेवा के उपरांत पुलिस और पुलिस के सहयोगी बलों में समायोजित करने में प्राथमिकता देगी.

  • आदरणीय प्रधानमंत्री जी के मंशानुरूप 'अग्निपथ योजना' युवाओं को राष्ट्र व समाज की सेवा हेतु तैयार करेगी, उन्हें गौरवपूर्ण भविष्य का अवसर प्रदान करेगी। @UPGovt आश्वस्त करती है कि 'अग्निवीरों' को सेवा के उपरांत पुलिस व पुलिस के सहयोगी बलों में समायोजित करने में प्राथमिकता दी जाएगी।

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जमीन दान करने वालों के नाम पर होगा अस्पतालों का नाम: स्वास्थ्य विभाग अब आबादी क्षेत्र में जमीन खरीद कर नया अस्पताल बना सकेगा. यदि कोई व्यक्ति अपनी जमीन अस्पताल के लिए दान करता है तो संबंधित अस्पताल का नामकरण उसके या उसके परिजन के नाम पर किया जा सकेगा. इस संबंध में नई नियमावली बनाई गई है. इस नियमावली को मंगलवार को कैबिनेट बैठक में मंजूरी दे दी गई है.

प्रदेश में अब तक सरकारी अस्पतालों का निर्माण ग्राम समाज अथवा अन्य सरकारी जमीन पर किया जाता है. यह जमीन आबादी क्षेत्र से काफी दूर होती है. ऐसे में यहां चिकित्सक व चिकित्साकर्मी रहने से कतराते हैं. सुनसान इलाके में अस्पताल होने से उनकी सुरक्षा भी प्रभावित होती है. स्वास्थ्य विभाग के सर्वे में यह बात सामने आई कि यदि आबादी क्षेत्र में अस्पताल रहे तो उसके रखरखाव व सुरक्षा की बेहतर व्यवस्था हो सकेगी और स्टॉफ भी रुकने से परहेज नहीं करेगा. इसके मद्देनजर स्वस्थ्य विभाग ने अस्पताल निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण एवं क्रय किए जाने के संबंध में नई नियमावली तैयार की है. इस नियमावली के तहत आबादी क्षेत्र में अब स्वास्थ्य विभाग जमीन खरीद कर अस्पताल बनवा सकेगा.

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इसी तरह यह भी विकल्प दिया गया है कि यदि कोई व्यक्ति आबादी क्षेत्र की जमीन दान में देता है तो संबंधित अस्पताल का नामकरण उसके या उसके परिजन के नाम से किया जा सकेगा. भू स्वामी अस्पताल के लिए आबादी क्षेत्र की जमीन दान करके उतनी ही सरकारी जमीन दूर दराज हासिल भी कर सकता है. नई नियमावली में यह भी व्यवस्था की गई है कि नए अस्पताल का निर्माण कराते वक्त यह देखा जाएगा कि संबंधित क्षेत्र के एक किलोमीटर के दायरे में पहले से कोई सरकारी अस्पताल न हो. इसी तरह सामुदायिक एवं जिला अस्पताल से भी दूरी के मानक तय किए गए हैं.

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Last Updated : Jun 16, 2022, 10:48 AM IST
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