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तकनीक के मास्टर हैं रोडवेज के ड्राइवर, एक हाथ से थामते हैं स्टीयरिंग दूसरे से वाइपर, वीडियो वायरल

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Published : Oct 8, 2022, 7:40 PM IST

मेरठ रीजन के सोहराब गेट डिपो की बस (Sohrab Gate Depot Bus) संख्या यूपी 15 बीटी 2162 का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है और इसे देखते ही लोगों को हंसी भी आ रही है और ड्राइवर के दिमाग की उपज पर मुंह से तारीफ भी निकल रही है. हालांकि यही वीडियो रोडवेज के अधिकारियों के दिमाग का फ्यूज उड़ाने वाला भी साबित हो रहा है.

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लखनऊ. कहते हैं कि आवश्यकता अविष्कार की जननी होती है. जरूरत पड़ने पर इंसान किसी न किसी तरीके से अपना काम निकाल ही लेता है. रोडवेज के ड्राइवर ने भी बारिश के दौरान एक ऐसा ही आविष्कार कर डाला जो पूरे रोडवेज में चर्चा का विषय बना हुआ है. बस का वाइपर टूटकर शीशे पर लटक रहा था तो ड्राइवर ने सुतली से वाइपर बांध दिया और एक पानी से भरी बोतल लटका दी. एक हाथ से स्टीयरिंग और दूसरे हाथ से वाइपर थामे ड्राइवर बस चलाता रहा. ड्राइवर की इस अनोखी खोज से अब उसके साथी उसे इंजीनियर का दर्जा दे रहे हैं. हालांकि रोडवेज के अधिकारी ड्राइवर की इस अनोखी खोज को देखकर खुश नहीं हैं, क्योंकि इससे उनकी प्रदेश भर में फजीहत हो रही है.

मेरठ रीजन के सोहराब गेट डिपो की बस (Sohrab Gate Depot Bus) संख्या यूपी 15 बीटी 2162 का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है और इसे देखते ही लोगों को हंसी भी आ रही है और ड्राइवर के दिमाग की उपज पर मुंह से तारीफ भी निकल रही है. हालांकि यही वीडियो रोडवेज के अधिकारियों के दिमाग का फ्यूज उड़ाने वाला भी साबित हो रहा है. दरअसल, शुक्रवार को सोहराब गेट डिपो की ये बस टूटे वाइपर के साथ ही डिपो से रवाना कर दी गई. बारिश तेज हो रही थी. लिहाजा, ड्राइवर ने अलग ही तकनीक विकसित कर ली. बाकायदा टूटे वाइपर को एक सुतली से बांधा और एक तरफ पानी की भरी बोतल लटका दी जिससे वजन पड़ता रहे. सुतली को अपने पास स्टीयरिंग तक खींच लिया और एक हाथ से स्टीयरिंग थाम बस दौड़ाता रहा और दूसरे हाथ से सुतली खींचकर वाइपर चलाता रहा. लोगों ने ड्राइवर की इस कलाकारी का वीडियो बनाकर वायरल कर दिया.

मेरठ रीजन के सोहराब गेट डिपो की बस का वीडियो वायरल




अधिकारियों की कार्यशैली पर उठे सवाल : भले ही ड्राइवर ने वाइपर को सुतली से बांधकर काम निकाल लिया हो, लेकिन इस तकनीक ने भी अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल जरूर खड़े कर दिए. सवाल यह कि जब बारिश से पहले यह आदेश सभी कार्यशालाओं को जारी किया जाता है कि बस की सीलिंग जरूर दुरुस्त करा लें और शीशे पर बिना वाइपर लगे बस को डिपो से बाहर न भेजा जाए, तो आखिर यात्रियों की जान से खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है? रोडवेज के प्रबंध निदेशक ने सभी कार्यशालाओं को हाल ही में दो-दो करोड़ रुपए बसों की मरम्मत के लिए भेजे तो आखिर यह पैसे गए कहां? जब इतने छोटे से उपकरण बसों में नहीं लगाए जा पा रहे हैं तो महंगे उपकरण भला कहां से लगाए जा रहे होंगे. बड़ा सवाल यह है कि बारिश में अगर यही वाइपर हादसे का सबब बनता तो इसके लिए जिम्मेदार कौन होता?

नींबू रगड़कर निकाला था वाइपर का हल : साल 2016 में भी कानपुर डिपो की एक बस का वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें भारी बारिश के दौरान बस पर वाइपर ही नहीं लगा था और बस यात्रियों को लेकर सड़क पर दौड़ रही थी. अचानक ड्राइवर ने बस सड़क के किनारे लगाई और नींबू लेकर बस के शीशे पर रगड़ने लगा. पूरे शीशे पर नींबू रगड़ने के बाद ड्राइवर ने बारिश में बस भगानी शुरू कर दी. यह देखकर यात्री भी हैरत में पड़ गए कि आखिर नींबू शीशे पर क्यों रगड़ा, लेकिन जब बारिश की एक बूंद भी शीशे पर नहीं रुक रही थी तब यात्रियों को ड्राइवर की ये कारीगरी समझ आई.

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मेरठ रीजन के सेवा प्रबंधक सत्यनारायण का कहना है कि बस का वाइपर काम नहीं कर रहा था, इसलिए ड्राइवर ने यह तकनीक निकाल ली. किसी तरह बस को स्टेशन तक पहुंचाया. जैसे ही इसकी जानकारी हुई बस को वापस डिपो में लाकर वाइपर दुरुस्त करा दिया गया. नया वाइपर लगाने के बाद ही बस का संचालन कराया जा रहा है.

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