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क्यों मनाते हैं बकरीद का त्योहार, जानें क्या है कुर्बानी की अहमियत

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Published : Jul 9, 2022, 10:12 PM IST

Updated : Jul 9, 2022, 10:28 PM IST

वरिष्ठ मुस्लिम धर्मगुरु हजरत मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने बताया कि जब अल्लाह को हजरत इब्राहिम का इम्तिहान लेना था तो 1 दिन हजरत इब्राहीम को सपना आया कि अल्लाह ने उनसे अपनी सबसे प्यारी चीज को कुर्बान करने का हुक्म दिया है. इसके लिए इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया फरंगी महल की ओर से एक अहम एडवाइजरी जारी की गई. इसमें बताया गया है कि ऐसे किसी भी जानवर की कुर्बानी न की जाए जिस पर कानूनी बंदिश हो.

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क्यों मनाते हैं मुसलमान बकरीद का त्योहार

लखनऊ: भारत में 10 जुलाई को ईद उल अजहा यानी बकरीद का त्योहार मनाया जाएगा. बकरीद को लोग कुर्बानी के त्योहार से भी जानते हैं. इसमें मुसलमान अल्लाह की राह में कुछ चुनिंदा जानवरों की कुर्बानी देते हैं. इस त्योहार की मुस्लिम धर्म में काफी अहमियत मानी जाती है.

क्यों मनाया जाता है कुर्बानी का त्योहार

वरिष्ठ मुस्लिम धर्मगुरु हजरत मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने बताया कि जब अल्लाह को हजरत इब्राहिम का इम्तिहान लेना था तो 1 दिन हजरत इब्राहीम को सपना आया कि अल्लाह ने उनसे अपनी सबसे प्यारी चीज को कुर्बान करने का हुक्म दिया है. अल्लाह का हुक्म था, लिहाजा हजरत इब्राहीम ने अपने प्यारे एकलौते बेटे हजरत इस्माइल को कुर्बान करने का बड़ा फैसला कर लिया.

वरिष्ठ मुस्लिम धर्मगुरु हजरत मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली

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हजरत इब्राहिम ने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली और अपने इकलौते बेटे इस्माइल की गर्दन पर छुरी रख दी. लेकिन इस्माइल की जगह एक दुम्बा आ गया. जब हजरत इब्राहिम ने अपनी आंखों से पट्टी हटाई तो उनके बेटे इस्माइल सही सलामत खड़े हुए थे. कहा जाता है कि यह महज एक इम्तिहान था और हजरत इब्राहिम अल्लाह के हुक्म पर अपनी वफादारी दिखाने के लिए बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने को तैयार हो गए थे. इस तरह ईद उल अजहा की शुरुआत हुई.

किन जानवरों पर है कुर्बानी की इजाजत

ऐसे हलाल जानवर जिसे जिस्मानी कोई बीमारी ना हो, सींग या कान कटा और टूटा ना हो, जानवर बहुत छोटा नहीं होना चाहिए और सबसे खास बात यह कि जानवर पर किसी भी तरीके की कोई कानूनी बंदिश नहीं होना चाहिए. इसके लिए इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया फरंगी महल की ओर से एक अहम एडवाइजरी जारी की गई. इसमें बताया गया है कि ऐसे किसी भी जानवर की कुर्बानी न की जाए जिस पर कानूनी बंदिश हो.

मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा कि ऐसे जानवर की हरगिस कुर्बानी न की जाए, जिससे किसी मजहब के मानने वालों को ठेस पहुंचती हो. उन्होंने साफ किया कि गाय पर कुर्बानी हरगिस ना की जाए. मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा कि हमारा मजहब भी इस बात की इजाजत नहीं देता है कि किसी का दिल दुखाया जाए.

मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा कि कुर्बानी से हर साल तकरीबन 40 लाख किसानों को रोजगार मिलता है. कुर्बानी के गोश्त का एक हिस्सा गरीबों में तक्सीम करना होता है. इससे तकरीबन पूरे देश में 40 करोड़ से ज्यादा लोगों को 3 दिन का खाना मिलता है. उन्होंने बताया कि बकरीद पर हर साल तकरीबन 10 हजार करोड़ रुपये का कारोबार जानवरों से होता है.
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Last Updated : Jul 9, 2022, 10:28 PM IST
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