यूपी की जनसंख्या नीति की खास बातें, दो से अधिक संतान होने पर नहीं मिलेगा योजनाओं का लाभ

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Published : Jul 11, 2021, 3:12 PM IST

यूपी की जनसंख्या नीति के ड्राफ्ट की खास बातें

सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने उत्तर प्रदेश की जनसंख्या नीति का ड्राफ्ट (Uttar Pradesh Population Policy Draft) जारी कर दिया है. इस ड्राफ्ट में क्या कुछ खास है जानिए इस रिपोर्ट में...

लखनऊ: सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने रविवार को उत्तर प्रदेश की जनसंख्या नीति 2021 का ड्राफ्ट (Uttar Pradesh Population Policy Draft - 2021) जारी किया. योगी सरकार ने नई पॉपुलेशन पॉलिसी को को जारी करते हुए 19 जुलाई तक जनता से इस पर राय मांगी गई है. इस जनसंख्या नीति में मुख्य रूप से दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी नौकरियों में आवेदन से लेकर स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने पर रोक लगाए जाने का प्रस्ताव रखा गया है.


उत्तर प्रदेश की जनसंख्या नीति 2021 के ड्राफ्ट में दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी योजनाओं का भी लाभ न दिए जाने का जिक्र है. ड्राफ्ट के अनुसार दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी नौकरियों में आवेदन और पदोन्नति का मौका नहीं मिलेगा. इसके साथ ही दो से अधिक बच्चे होने वालों को राज्य सरकार की 70 से अधिक सरकारी योजनाओं व अनुदान से भी वंचित रखने का प्रावधान ड्राफ्ट में किया गया है. इसके साथ ही स्थानीय निकाय व पंचायत चुनाव लड़ने वाले जनप्रतिनिधियों को यह शपथ पत्र देना होगा कि वह इसका उल्लंघन नहीं करेंगे. दो बच्चे से अधिक होने पर उन्हें स्थानीय निकाय या पंचायत चुनाव में शामिल नहीं किया जा सकेगा.

दो बच्चे होने पर मिलेगा ये फायदा

जनसंख्या नीति के ड्राफ्ट में दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति रोकने और बर्खास्त किए जाने तक की भी सिफारिश का प्रस्ताव शामिल है. साथ ही नई जनसंख्या नीति के ड्राफ्ट में नसबंदी कराने पर इंक्रीमेंट तथा प्रमोशन का लाभ भी दिए जाने की बात मुख्य रूप से कही गई है. इसके अनुसार परिवार के मुखिया अगर सरकारी नौकरी में है और अपनी नसबंदी कराते हैं तो उन्हें अतिरिक्त इंक्रीमेंट, पदोन्नति और सरकारी आवास के साथ योजनाओं में छूट, पीएफ में एंपलॉयर कंट्रीब्यूशन जैसी कई सुविधाएं देने की भी सिफारिश की गई है. इसी तरह जिन परिवारों में मुखिया के सिर्फ दो बच्चे हैं और वह सरकारी नौकरी में नहीं है तो उन्हें बिजली पानी हाउस टैक्स और होम लोन में छूट के साथ अन्य सुविधाएं दिए जाने का प्रस्ताव भी जनसंख्या नीति के ड्राफ्ट में शामिल है.

एक बच्चे के बाद नसंबदी कराने पर मिलेगा ये लाभ

इसके साथ ही एक संतान पर खुद से नसबंदी कराने वाले अभिभावकों को संतान के 20 वर्ष तक मुफ्त इलाज, फ्री शिक्षा, बीमा, शिक्षण संस्था व सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता दिए जाने की भी सिफारिश की गई है. इसी तरह सरकारी नौकरी वाले दंपत्ति को चार अतिरिक्त इंक्रीमेंट देने का भी सुझाव शामिल किया गया है और अगर दंपत्ति गरीबी रेखा के नीचे हैं और उनके एक संतान ही है और वह नसबंदी कराते हैं तो उनके बेटे के लिए 80 हजार और बेटी के लिए 1 लाख रुपये एकमुश्त दिए जाने का भी प्रावधान ड्राफ्ट में किया गया है.


इसके अलावा ड्राफ्ट में कानून के उल्लंघन करने पर कई तरह के कड़े प्रावधान भी शामिल किए गए हैं. जनसंख्या नीति के ड्राफ्ट में कहा गया है कि 1 वर्ष में सभी सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों स्थानीय निकाय में चुने हुए जनप्रतिनिधियों को शपथ पत्र देना होगा कि वह इसका उल्लंघन नहीं करेंगे. साथ ही उल्लंघन करने सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति रोकना और पद से बर्खास्त करने की सिफारिश है. हालांकि कानून लागू होते समय गर्भधारण होना या दूसरा गर्भधारण में जुड़वा बच्चे होने पर यह कानून लागू नहीं होगा. साथ ही अगर किसी का पहला या दूसरा या दोनों बच्चे निशक्त है तो उसे भी तीसरी संतान पर सुविधाओं से वंचित नहीं किया जा सकेगा. इसके अलावा तीसरे बच्चे को गोद लेने पर भी रोक लगाए जाने का इस ड्राफ्ट के अंतर्गत प्रावधान किया गया है.


इसके अलावा इस जनसंख्या नीति के ड्राफ्ट के अंतर्गत बहुविवाह पर भी प्रावधान किए गए हैं. ड्राफ्ट के अनुसार धार्मिक या पर्सनल लॉ के तहत एक से अधिक शादी करने वाले दंपतियों के लिए खास प्रावधान शामिल किए गए हैं. इसके अनुसार अगर कोई व्यक्ति एक से अधिक विवाह करता है और सभी पत्नियों से मिलाकर उसके दो से अधिक संतान हैं तो वह भी सुविधाओं से वंचित होगा. सुविधाओं का लाभ ले सकेगा लेकिन अगर महिला एक से अधिक विवाह करती है और अलग-अलग पतियों से मिला कर दो से अधिक बच्चे होने पर उसे भी सुविधाएं नहीं मिलेंगी.

दो से अधिक संस्थान होने पर इस तरह की कटौती का प्रावधान

योगी सरकार की नई जनसंख्या नीति के ड्राफ्ट में दो से अधिक संतान होने पर इस तरह की कटौती का भी प्रावधान किया गया है. इनमें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलने की बात कही गई है. राशन कार्ड में 4 से अधिक सदस्य नहीं बनाए जाने का प्रावधान शामिल किया गया है. स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव नहीं लड़ने का प्रावधान मुख्य रूप से किया गया है. इसी तरह सरकारी नौकरियों में भी मौका नहीं दिए जाने की बात इस जनसंख्या नीति के ड्राफ्ट में कही गई है.

यूपी में जनसंख्या की स्थिति

उत्तर प्रदेश में वर्ष 2011 में हुई जनगणना के अनुसार करीब 20 करोड़ आबादी थी. वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश की अनुमानित जनसंख्या लगभग 24 करोड मानी जा रही है. धर्म के आधार पर 2011 में उत्तर प्रदेश में हिंदुओं की आबादी करीब 16 करोड़ बताई गई है. यह कुल आबादी का करीब 80 फ़ीसदी है. वहीं मुसलमानों की आबादी की बात करें तो करीब चार करोड़ के आसपास बताई जा रही है. ईसाइयों की संख्या करीब 4 लाख, सिख समुदाय के लोगों की संख्या करीब साढ़े छह लाख और जैन समुदाय की जनसंख्या करीब 2 लाख 30 हजार के आसपास बताई जा रही है.

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