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बिजली विभाग को ई-रिक्शा हर माह लगा रहे करोड़ों का चूना, अब विभाग तैयार कर रहा प्लान

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Published : May 26, 2022, 9:03 PM IST

लखनऊ आरटीओ की बात करें तो 30,000 से ज्यादा ई-रिक्शा रजिस्टर्ड हैं. इसके अलावा शहर की सड़कों पर 10 हजार के करीब अवैध तरीके से ई-रिक्शा का संचालन हो रहा है. कुल मिलाकर यह संख्या 40,000 के आसपास है.

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लखनऊः शहर में संचालित हो रहे ई-रिक्शा हर महीने बिजली विभाग का कई करोड़ रुपये का सीधे तौर पर नुकसान कर रहे हैं. चोरी की बिजली से ई-रिक्शा चार्ज किए जा रहे हैं. हाल ही के अभियान में बिजली विभाग ने बड़े स्तर पर ज्यादातर इलाकों में बिजली की चोरी से ई-रिक्शा चार्ज होते हुए पकड़े हैं. अंदाजा लगाया जा रहा है कि बिजली चोरी से ई-रिक्शा चार्ज होने के चलते हर दिन विभाग को 10 से 11 लाख का नुकसान उठाना पड़ रहा है. अब विभाग ने ई-रिक्शा जिनके भी घर में है उनको घरेलू कनेक्शन के बजाय कमर्शियल कनेक्शन देने की योजना बनाई है. इसके अलावा किसी कंपनी से टाईअप कर शहर में ई-रिक्शा की चार्जिंग के लिए चार्जिंग प्वाइंट बनाने का भी प्लान तैयार किया जा रहा है.

लखनऊ आरटीओ की बात करें तो 30,000 से ज्यादा ई-रिक्शा रजिस्टर्ड हैं. इसके अलावा शहर की सड़कों पर 10 हजार के करीब अवैध तरीके से ई-रिक्शा का संचालन हो रहा है. कुल मिलाकर यह संख्या 40,000 के आसपास है. खास बात यह है कि इन ई-रिक्शों में से ज्यादातर ई रिक्शा चोरी की बिजली से ही चार्ज किए जा रहे हैं या फिर जिन घरों में ई-रिक्शा हैं वहां पर घरेलू कनेक्शन से ही ई-रिक्शा की चार्जिंग होती है. जबकि ई-रिक्शा व्यावसायिक वाहन है. ऐसे में इनके लिए व्यवसायिक कनेक्शन होना चाहिए. राजधानी में बिजली विभाग के 25 खंड में एक भी खंड ऐसा नहीं है जहां कोई भी ई-रिक्शा मालिक कमर्शियल कनेक्शन से ई-रिक्शा की चार्जिंग करता हो, क्योंकि अभी तक शहर भर में ई-रिक्शा के लिए कोई चार्जिंग स्टेशन है ही नहीं. बिजली विभाग के अधिकारियों के पास भी ऐसा कोई आंकड़ा नहीं है कि वह बता सके कि शहर में ई-रिक्शा चार्जिंग के नाम पर भी कोई कमर्शियल कनेक्शन लिया गया है.

संवाददाता अखिल पांडेय
चलता है चेकिंग अभियान तो पकड़ में आते हैं ई-रिक्शा : बिजली विभाग की तरफ से जिन-जिन इलाकों में सघन चेकिंग अभियान चलाया जाता है उन-उन इलाकों में बिजली की चोरी से ई-रिक्शा चार्ज होते हुए जरूर पकड़ में आते हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ खास नहीं होता है. हालांकि पकड़ में आने वाले ई रिक्शा की भी संख्या इतनी ज्यादा नहीं होती है जितने शहर में संचालित होते हैं. हाल ही में मेहंदीगंज में चेकिंग के दौरान जब बिजली विभाग के अधिकारियों ने ई-रिक्शा चार्ज होते हुए पकड़े तो ई-रिक्शा मालिक ने बवाल कर दिया. जिसके बाद अधिकारियों को थाने में तहरीर तक देनी पड़ी. संविदा कर्मी की भूमिका हर इलाके में संदिग्ध : ई-रिक्शा चोरी की बिजली से चार्ज हो रहे हों और कर्मचारियों को खबर न हो इससे भला कैसे इनकार किया जा सकता है. संविदा कर्मियों की इसमें कहीं न कहीं भूमिका संदिग्ध जरूर मानी जा रही है. विभागीय सूत्रों की मानें तो संविदा कर्मियों की शह पर ही ई-रिक्शा चोरी की बिजली से चार्ज होते हैं लाइनमैन की भी इसमें अहम भूमिका होती है. महंगी होती है कमर्शियल बिजली : कमर्शियल कनेक्शन की दर घरेलू बिजली की दर से कहीं ज्यादा है. उदाहरण के तौर पर अगर एक रिक्शा को सात से आठ घंटे तक चार्जिंग की जरूरत होती है तो कम से कम इसमें तीन से चार यूनिट बिजली की खपत होती है. अगर लखनऊ में 30 हजार से 40 हजार ई-रिक्शा चार्ज किए जा रहे हैं तो तकरीबन यह यूनिट डेढ़ लाख से कहीं ज्यादा खर्च हो जाएगी. कमर्शियल कनेक्शन की प्रति यूनिट बिजली का खर्च ₹ सवा सात के आसपास है. इस तरह देखा जाए तो हर रोज 10 से 11 लाख रुपए की बिजली चोरी से ई रिक्शा चार्ज होते हैं. महीने भर में बिजली चोरी का ये आंकड़ा सवा तीन करोड़ रुपए से भी कहीं ज्यादा का है.

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क्या कहते हैं एमवीवीएनएल के एमडी : मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अनिल ढींगरा का कहना है कि शहर में ऐसे कनेक्शन चिन्हित कराए जाएंगे जो घरेलू हैं और उपभोक्ता ने घर पर ई-रिक्शा रखा हुआ है. ऐसे कनेक्शनों को चिन्हित कर घरेलू से कमर्शियल कनेक्शन में बदलने की कार्रवाई की जाएगी. इतना ही नहीं शहर में चार्जिंग प्वाइंट बनाए जाएंगे. जिससे वहीं पर ई-रिक्शा चार्ज हो. इस तरह बिजली चोरी होने से बचाई जा सकेगी. चार्जिंग प्वाइंट के लिए कंपनियों के प्रतिनिधियों से संपर्क किया जा रहा है.

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