लखनऊ: उत्तर प्रदेश में साइबर क्राइम को नियंत्रण करने के लिए प्रदेश सरकार ने प्रदेश भर में साइबर क्राइम थानों का संचालन कराया है. राजधानी में साइबर क्राइम थाना पहले से ही संचालित है. यहां साइबर क्राइम से संबंधित शिकायतों पर एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की जाती रही है. बीते 10 महीनों में राजधानी में साइबर क्राइम से संबंधित पंजीकृत मुकदमों की संख्या 550 से भी अधिक है. एफआईआर दर्ज करने के बाद जनपद के विभिन्न थाना स्तर पर इसकी कार्रवाई की जा रही है.
एसीपी साइबर क्राइम विवेक रंजन राय ने बताया कि 10 महीनों में जबसे कमिश्नरेट लागू हुआ है, तब से तकरीबन 550 से अधिक अभियोग पंजीकृत किए गए हैं. थाने स्तर पर उससे संबंधित विवेचना चल रही है. आईटी एक्ट में सबसे अधिक पंजीकृत मामलों में पैसों की ठगी के मामले देखे गए हैं. इसमें ओटीपी पूछकर पैसे निकाल लेना, बैंक से फ्रॉड करके कैसे निकाल लेना और लिंक भेजकर खाते से पैसे निकाल लेना ऐसे तमाम तरीके के मामले सामने आए हैं. ज्यादातर साइबर क्राइम करने वालों का मोटिव फाइनेंसियल फ्रॉड करना है.
लखनऊ: जानिए... 10 महीनों में कितने साइबर क्राइम के मामले हुए दर्ज
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में साइबर क्राइम को नियंत्रण करने के लिए प्रदेश सरकार ने प्रदेश भर में साइबर क्राइम थानों का संचालन कराया है. राजधानी में साइबर क्राइम थाना पहले से ही संचालित है. यहां साइबर क्राइम से संबंधित शिकायतों पर एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की जाती रही है. बीते 10 महीनों में राजधानी में साइबर क्राइम से संबंधित पंजीकृत मुकदमों की संख्या 550 से भी अधिक है. एफआईआर दर्ज करने के बाद जनपद के विभिन्न थाना स्तर पर इसकी कार्रवाई की जा रही है.
एसीपी साइबर क्राइम विवेक रंजन राय ने बताया कि 10 महीनों में जबसे कमिश्नरेट लागू हुआ है, तब से तकरीबन 550 से अधिक अभियोग पंजीकृत किए गए हैं. थाने स्तर पर उससे संबंधित विवेचना चल रही है. आईटी एक्ट में सबसे अधिक पंजीकृत मामलों में पैसों की ठगी के मामले देखे गए हैं. इसमें ओटीपी पूछकर पैसे निकाल लेना, बैंक से फ्रॉड करके कैसे निकाल लेना और लिंक भेजकर खाते से पैसे निकाल लेना ऐसे तमाम तरीके के मामले सामने आए हैं. ज्यादातर साइबर क्राइम करने वालों का मोटिव फाइनेंसियल फ्रॉड करना है.