ETV Bharat / city

हारी हुई सीटों पर जीत पक्की करने के लिए बीजेपी ने निकाला है ये फॉर्मूला

author img

By

Published : Nov 8, 2021, 7:33 PM IST

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में करीब 80 सीटें ऐसी हैं, जिन पर पार्टी विशेषज्ञों को मौजूदा विधायक को मौका देने पर हारने की संभावना दिख रही है. ऐसे में बीजेपी 2017 के विधानसभा में हारी हुई सीटों पर एंटी इनकंबेंसी का फायदा उठाना चाहती है.

bjp-trying-to-encash-anti-incumbency-factor-on-80-seats-in-up-assembly-elections-2022
bjp-trying-to-encash-anti-incumbency-factor-on-80-seats-in-up-assembly-elections-2022

लखनऊ: 2022 विधानसभा चुनाव में हारने की संभावना वाली सीटों पर जीत सुनिश्चित करने के लिए भारतीय जनता पार्टी सियासी बाजीगरी करना चाह रही है. भाजपा को इस चुनाव में आशंका है कि लगभग 80 सीटें ऐसी हैं, जहां उनके विजय विधायकों का परफॉर्मेंस इतना खराब है कि वो सीट हार सकते हैं. इसलिए भाजपा 2017 में उन हारी हुई सीटों पर अधिक फोकस कर रही है, जहां लहर के बावजूद उसके प्रत्याशी हार गए थे.

जानकारी देते राजनीतिक विश्लेषक राजकुमार सिंह

भाजपा वहां के मौजूदा विधायकों की एंटी इनकंबेंसी का फायदा उठाना चाहती है. इसको लेकर भाजपा जोरदार तैयारियां कर रही है. भाजपा को लग रहा है कि उसको जो नुकसान अपने वर्तमान विधायकों से नाराजगी कारण हो सकता है, उसकी भरपाई वह हारी हुई सीटों को जीतकर कर सकती है.

सीएम योगी के साथ पीएम नरेंद्र मोदी
सीएम योगी के साथ पीएम नरेंद्र मोदी
भारतीय जनता पार्टी ने सहयोगी दलों के साथ मिलकर 2017 में कुल 325 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसमें से भाजपा की 311 सीटें थी. उत्तर प्रदेश की विधानसभा में सीटों की कुल संख्या 403 हैं. ऐसे में बड़ी संख्या में ऐसी सीटें हैं, जिनको इस बार भाजपा जीतने की कोशिश कर रही है. मेरठ, सरेनी, रायबरेली, इटावा की कुछ सीटों के अलावा सीतापुर में सिधौली, लखनऊ की मोहनलालगंज ऐसी ही कुछ विधानसभा सीट हैं, जहां भाजपा की हार हुई थी.

ये भी पढ़ें- आजम के गढ़ रामपुर में सीएम योगी की ललकार, करीब 64 करोड़ रुपये के परियोजनाओं की दी सौगात



इन सीटों पर जीत भाजपा को इसलिए भी आसान लग रही है क्योंकि यहां के विधायकों से कमोवेश जनता नाराज है. इसका लाभ भाजपा को साफ नजर आ रहा है. लहर के बावजूद भाजपा के प्रत्याशी इन सीटों पर क्यों नहीं जीत पाए थे. उन आंकड़ों की पड़ताल महामंत्री संगठन सुनील बंसल के स्तर पर की जा रही है. माना जा रहा है कि यह तथ्य जातिपरक भी हो सकते हैं. कहीं-कहीं हिंदू मुस्लिम ध्रुवीकरण और स्थानीय प्रत्याशी के प्रति लोगों की नाराजगी का विषय भी एक बड़ा पहलू हो सकता है. इस पर भाजपा विचार करके यहां से जिताऊ प्रत्याशियों की तलाश कर रही है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक राजकुमार सिंह ने कहा कि भाजपा हारी हुई सीटों पर इसलिए भी ज्यादा जोर दे रही है, क्योंकि यह एक तरह का डैमेज कंट्रोल है. भाजपा को आशंका है कि उसके 70 से 80 विधायक हारने की हालत में हैं. इस स्थिति में अगर भाजपा अपनी हारी हुई 80 से अधिक सीटों पर जोर दे तो वह उनको जीत सकती है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.