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ईयरफोन के ज्यादा इस्तेमाल से हो रहा नुकसान, माइग्रेन और बहरेपन का शिकार हुए कई लोग

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Published : Oct 7, 2022, 1:52 PM IST

Updated : Oct 7, 2022, 2:11 PM IST

ईयरफोन का हद से ज्यादा इस्तेमाल करना आपको बीमार बना सकता है. इससे लोगों को माइग्रेन और बहरापन की (Side effects of hearing loud noises in earphones) समस्याएं होने लगती हैं.

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गोरखपुर: गुर्दे की पथरी बेहद सख्त होती है. इसे तोड़ने के लिए ध्वनि तरंगों का ही प्रयोग करते हैं और यही ध्वनि तरंगे जब कान में ईयरफोन, ईयर बड्स और हेडफोन के माध्यम से काफी देर तक गुजरती हैं, तो यह लोगों में कई तरह की समस्याएं भी (Side effects of hearing loud noises in earphones) पैदा करती हैं. इसकी वजह से कान की नसें सूख जाती हैं और उसमें टिन्नीटस की समस्या देखने को मिलती है. इससे कानों में रह रहकर गूजने, सीटियां बजने की आवाज आती है.

जानकारी देतीं ईएनटी सर्जन डॉ. वन्दिता जिला अस्पताल

यह उपकरण सिर्फ कानों पर ही असर नहीं डालते बल्कि इसका दिमाग पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है. इससे फिर माइग्रेन और सिर दर्द की समस्या हो जाती है. कान की नसों के सूखने से कई और भी समस्याएं पैदा हो जाती है. चिकित्सकों की सलाह है कि कान और दिमाग को सुरक्षित रखने के लिए ईयरफोन की बजाय हेडफोन का इस्तेमाल करें और उसमें भी कम आवाज रखें. ईयरफोन में तेज आवाज में सुनने से बहरेपन (what is deafness symptoms) के शिकार भी हो सकते हैं.

जिला अस्पताल के आकड़ों के अनुसार, ज्यादातर युवा ही माइग्रेन (symptoms of migraine) और बहरेपन के शिकार हो रहे हैं. ऐसी बड़ी संख्या में रोगी नाक, कान, गला विशेषज्ञ और न्यूरोलॉजिस्ट के साथ मनोचिकित्सकों के पास पहुंच रहे हैं. विशेषज्ञों के अनुसार कान के अंदर एक पर्दा होता है, जिसे ईयर ड्रम कहते हैं. इसमें कई नसें और अंग होते हैं, जो दिमाग से जुड़े होते हैं. जब ईयर फोन या हेडफोन लगाकर कोई भी तेज आवाज सुनता है तो उसका कंपन दबाव के साथ ईयर ड्रम से टकराता है और उसे हानि पहुंचता है. जिला अस्पताल की ईएनटी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर वन्दिता ने बताया कि हेडफोन का ही इस्तेमाल करें. ईयरफोन कहीं से भी कान के लिए उपयोगी नहीं है. वहीं, इसकी वजह से लोग झुंझुलाहट और अनिद्रा के भी शिकार हो जाते हैं.

पढ़ें- बिजली उपभोक्ताओं की घर बैठे दूर होंगी समस्याएं, इस ऐप और WhatsApp से होगा समाधान

माइग्रेन और बहरेपन से कैसे बचें: जिला अस्पताल के मनोचिकित्सक रमेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि निश्चित रूप से उच्च डेसीबल की क्षमता में सुनी गई आवाज से मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा. हेडफोन का इस्तेमाल हो और उसमें भी थोड़े-थोड़े समय पर अंतराल दिया जाए तो नुकसान से बचा जा सकता है. डॉक्टर वीरेंद्र गुप्ता ने बताया कि गुर्दे की पथरी बहुत कड़ी होती है. जिसे ध्वनि तरंगों से ही तोड़ा जाता है. इसलिए ध्वनि तरंगे तेजी के साथ जब कान में जाती हैं तो इससे नसों को क्षति पहुंचती है. जिससे बहरेपन की समस्या पैदा होती है. न्यूरो फिजिशियन डॉक्टर पवन कुमार सिंह ने बताया कि दिमाग से जुड़ी हुई नसों को इस तेज आवाज की वजह से सीधा नुकसान पहुंचता है. जिससे माइग्रेन (how to prevent migraine) और सिर दर्द चक्कर आने की समस्या बढ़ती है.


पढ़ें- गीडा के लिए लिंक एक्सप्रेसवे महत्त्वपूर्ण कड़ी, धुरियापार में बनेगी इंडस्ट्रियल टाउनशिप

गोरखपुर: गुर्दे की पथरी बेहद सख्त होती है. इसे तोड़ने के लिए ध्वनि तरंगों का ही प्रयोग करते हैं और यही ध्वनि तरंगे जब कान में ईयरफोन, ईयर बड्स और हेडफोन के माध्यम से काफी देर तक गुजरती हैं, तो यह लोगों में कई तरह की समस्याएं भी (Side effects of hearing loud noises in earphones) पैदा करती हैं. इसकी वजह से कान की नसें सूख जाती हैं और उसमें टिन्नीटस की समस्या देखने को मिलती है. इससे कानों में रह रहकर गूजने, सीटियां बजने की आवाज आती है.

जानकारी देतीं ईएनटी सर्जन डॉ. वन्दिता जिला अस्पताल

यह उपकरण सिर्फ कानों पर ही असर नहीं डालते बल्कि इसका दिमाग पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है. इससे फिर माइग्रेन और सिर दर्द की समस्या हो जाती है. कान की नसों के सूखने से कई और भी समस्याएं पैदा हो जाती है. चिकित्सकों की सलाह है कि कान और दिमाग को सुरक्षित रखने के लिए ईयरफोन की बजाय हेडफोन का इस्तेमाल करें और उसमें भी कम आवाज रखें. ईयरफोन में तेज आवाज में सुनने से बहरेपन (what is deafness symptoms) के शिकार भी हो सकते हैं.

जिला अस्पताल के आकड़ों के अनुसार, ज्यादातर युवा ही माइग्रेन (symptoms of migraine) और बहरेपन के शिकार हो रहे हैं. ऐसी बड़ी संख्या में रोगी नाक, कान, गला विशेषज्ञ और न्यूरोलॉजिस्ट के साथ मनोचिकित्सकों के पास पहुंच रहे हैं. विशेषज्ञों के अनुसार कान के अंदर एक पर्दा होता है, जिसे ईयर ड्रम कहते हैं. इसमें कई नसें और अंग होते हैं, जो दिमाग से जुड़े होते हैं. जब ईयर फोन या हेडफोन लगाकर कोई भी तेज आवाज सुनता है तो उसका कंपन दबाव के साथ ईयर ड्रम से टकराता है और उसे हानि पहुंचता है. जिला अस्पताल की ईएनटी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर वन्दिता ने बताया कि हेडफोन का ही इस्तेमाल करें. ईयरफोन कहीं से भी कान के लिए उपयोगी नहीं है. वहीं, इसकी वजह से लोग झुंझुलाहट और अनिद्रा के भी शिकार हो जाते हैं.

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माइग्रेन और बहरेपन से कैसे बचें: जिला अस्पताल के मनोचिकित्सक रमेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि निश्चित रूप से उच्च डेसीबल की क्षमता में सुनी गई आवाज से मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा. हेडफोन का इस्तेमाल हो और उसमें भी थोड़े-थोड़े समय पर अंतराल दिया जाए तो नुकसान से बचा जा सकता है. डॉक्टर वीरेंद्र गुप्ता ने बताया कि गुर्दे की पथरी बहुत कड़ी होती है. जिसे ध्वनि तरंगों से ही तोड़ा जाता है. इसलिए ध्वनि तरंगे तेजी के साथ जब कान में जाती हैं तो इससे नसों को क्षति पहुंचती है. जिससे बहरेपन की समस्या पैदा होती है. न्यूरो फिजिशियन डॉक्टर पवन कुमार सिंह ने बताया कि दिमाग से जुड़ी हुई नसों को इस तेज आवाज की वजह से सीधा नुकसान पहुंचता है. जिससे माइग्रेन (how to prevent migraine) और सिर दर्द चक्कर आने की समस्या बढ़ती है.


पढ़ें- गीडा के लिए लिंक एक्सप्रेसवे महत्त्वपूर्ण कड़ी, धुरियापार में बनेगी इंडस्ट्रियल टाउनशिप

Last Updated : Oct 7, 2022, 2:11 PM IST
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