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नए भारत के निर्माण में नई शिक्षा नीति अहम पड़ाव : राजनाथ सिंह

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Published : May 1, 2022, 9:52 PM IST

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रक्षामंत्री राजनाथ सिंह

दीनदयाल उपाध्‍याय गोरखपुर विश्‍वविद्यालय (Deendayal Upadhyay Gorakhpur University) के प्रथम राष्‍ट्रीय पुरातन छात्र सम्मेलन (National Alumni Conference) में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh) वर्चुअल माध्‍यम से जुड़े.

गोरखपुर : दीनदयाल उपाध्‍याय गोरखपुर विश्‍वविद्यालय (Deendayal Upadhyay Gorakhpur University) के प्रथम राष्‍ट्रीय पुरातन छात्र सम्मेलन (National Alumni Conference) को संबोधित करते हुए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh) ने कहा कि गुणवत्‍तापरक शिक्षा हमारा उद्देश्‍य है.

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह

वर्चुअल माध्‍यम से जुड़कर मुख्‍य अतिथि के रूप में बोलते हुए गोरखपुर विश्‍वविद्यालय के पुरातन छात्र रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि गुणवत्‍तापरक शिक्षा के लिए सरकार प्रतिबद्ध है. इसके लिए नई शिक्षा नीति को गंभीरता के साथ अमल में लाना होगा. हर दिन दो कॉलेज स्‍थापित हो रहे हैं. इससे गुणवत्‍तापरक शिक्षा प्राप्‍त करने वाले विद्यार्थियों की संख्‍या बढ़ी है. भविष्‍य संवारने के लिए सबसे अच्‍छा तरीका यही है कि खुद से लड़ा जाए. शिक्षा क्षेत्र को मजबूत करना हमारी प्राथमिकता, दायित्‍व और अनिवार्यता भी है. नए भारत के निर्माण में नई शिक्षा नी‍ति एक अहम पड़ाव है.

विश्‍वविद्यालय के प्रथम राष्‍ट्रीय पुरातन छात्र सम्‍मेलन में विशिष्‍ट अति‍थि के रूप में हाईकोर्ट के जज पुरातन छात्र सलिल कुमार राय, राहुल चतुर्वेदी, सांसद जगदंबिका पाल (MP Jagdambika Pal), शिव प्रताप शुक्‍ला, उड़ीसा के पूर्व डीजीपी कुंवर बृजेश सिंह (Former DGP of Odisha Kunwar Brijesh Singh), दक्षिण बिहार के‍ंद्रीय विश्‍वविद्यालय (South Bihar Central University) गया के कुलपति प्रो. केएन सिंह, अमर कंटक के‍ंद्रीय विश्‍वविद्यालय (Amar Kantak Central University) के कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी सम्मिलित हुए. इस अवसर पर 35 पुरातन छात्रों को डिस्टिंग्विश अवार्ड से सम्मानित किया गया.

गोरखपुर के दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के तीन दिवसीय राष्ट्रीय पुरातन छात्र सम्मेलन का रविवार को उद्घाटन रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने मुख्‍य अतिथि के रूप में वर्चुअल माध्यम से जुड़कर किया. उन्‍होंने कहा कि इस पुरातन छात्र सम्‍मेलन में वे नहीं चाहते हैं कि उनकी ये बात नेता का भाषण लगे. उन्‍होंने कहा कि उन्‍होंने दो वर्ष इस विश्‍वविद्यालय में बिताए हैं.

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रक्षामंत्री ने कहा कि रविवार को अंतरराष्‍ट्रीय श्रमिक दिवस (international labor day) मनाया जा रहा है. श्रमिक भाई अपने काम से काम कमाते हैं न कि नाम से काम. प्रधानमंत्री मोदी जी कहते हैं कि नए भारत में कामगारों की अहमियत होगी न कि नामदारों की. कोई भी देश तभी विकसित होता है जब वो अपने श्रमिकों का सम्‍मान करता है. जब हम आत्‍मनिर्भर भारत की बात करते हैं तो हम श्रमिकों से बहुत प्रेरणा ले सकते हैं.

हमारे श्रमिक आत्‍मनिर्भर भारत का सबसे अच्‍छा उदाहरण हैं. किसी भी राष्‍ट्र के आत्‍मनिर्भर बनने की पहली शर्त होती है कि वो पहले शिक्षा में आत्‍मनिर्भर बनें. गोरखपुर में छात्रसंघ के नाम से एक चौराहा है. इससे छात्र शक्ति का अंदाजा लगाया जा सकता है. यहां के छात्रों ने देश और प्रदेश की राजनीति में अपना स्‍थान बनाया है. गोरखपुर विश्‍वविद्यालय का पहला पुरातन छात्र सम्‍मलेन है. इसलिए वे कुलपति प्रो. राजेश सिंह को धन्‍यवाद दिए. विश्‍वविद्यालय के प्रति सम्‍मान होने के नाते वे वचुर्अल माध्‍यम से इस कार्यक्रम में जुड रहे हैं. ये उनकी मातृ संस्‍था है. इस विश्‍वविद्यालय परिवार के प्रति वे तहेदिल से धन्‍यवाद व्‍यक्‍त करते हैं.

दीनदयाल उपाध्‍याय गोरखपुर विश्‍वविद्यालय के भूगोल विभाग के अध्‍यक्ष और राष्‍ट्रीय पुरातन छात्र सम्‍मेलन के अध्‍यक्ष प्रो. शिवाकांत सिंह ने बताया कि यह पहला राष्‍ट्रीय पुरातन छात्र सम्‍मेलन हो रहा है. ये उन लोगों के लिए गौरव का क्षण है. कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने जो दीप जलाया है, पुरातन छात्र देश-दुनिया में अपना परचम लहरा रहे हैं. राजनीति, विज्ञान और प्रशासनिक क्षेत्र में भी यहां के छात्रों ने परचम लहराया है. कई सांसद और विधायक के साथ अन्‍य पुरातन छात्रों का डेटाबेस बहुत मजबूत हुआ है. पौधरोपण का कार्यक्रम हुआ है. वृक्ष और पुत्र को एक समान माना गया है. ये उन सभी लोगों के लिए गौरव का क्षण है. पुरातन छात्रों से मिलकर काफी ऐतिहासिक ये क्षण हो गया है.

दीनदयाल उपाध्‍याय गोरखपुर विश्‍वविद्यालय के संस्‍कृत विभाग पूर्व विभागाध्‍यक्ष और संस्‍कृत विश्‍वविद्यालय नई दिल्‍ली के कुलपति प्रो. मुरली मनोहर पाठक ने कहा कि आज इस विश्‍वविद्यालय के पुरातन छात्र देश और दुनिया में अच्‍छे पदों पर हैं. वे खुद भी 15 वर्ष तक यहां पर अध्‍यापन कार्य कर चुके हैं. यहां पर पौधरोपण का भी आयोजन किया गया है. उन्‍होंने कहा कि जब‍ भी यहां पर कोई आएगा तो खुद के लगाए वृक्ष को देखकर उसमें पानी डालेगा. ये बहुत ही यादगार और अद्भुत क्षण है. इसे हम सभी याद रखेंगे.

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