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IMF की नजर में सही ट्रैक पर है भारतीय अर्थव्यवस्था, ऐसे हैं सकारात्मक संकेत

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Published : Jan 7, 2023, 1:40 PM IST

आईएमएफ ने चालू वित्त वर्ष में जीडीपी ग्रोथ रेट (GDP Growth Rate) 6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया है. आईएमएफ की रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब NSO की रिपोर्ट ने वित्त वर्ष 2022-23 में Gross Domestic Product वृद्धि दर 7 प्रतिशत रहने की उम्मीद जताई है. यह संकेत भारत के लिए सकारात्मक माने जा रहे हैं...

international monetary fund
प्रतिकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली : भले ही विश्व अर्थव्यवस्था वैश्विक परिस्थितियों और रूस-यूक्रेन संघर्ष के बीच मंदी के रुझानों को देख रही है. लेकिन अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (international monetary fund) ने भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में सकारात्मक रवैया दिखाया है. साथ ही यह भी कहा है कि जीडीपी (GDP) चालू वित्त वर्ष में 6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है. जबकि 2023-24 में इसके 6.1 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है. वहीं NSO ने अपनी ताजा रिपोर्ट में भारतीय जीडीपी ग्रोथ रेट 7 प्रतिशत रहने की उम्मीद जताई है.

28 नवंबर को IMF के कार्यकारी बोर्ड ने भारत के साथ अनुच्छेद आईवी परामर्श पूरा किया. जहां यह नोट किया गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था गहरी महामारी से संबंधित मंदी से उबर गई है. उन्होंने कहा, '2021-22 में वास्तविक जीडीपी में 8.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिससे कुल उत्पादन पूर्व-महामारी के स्तर से ऊपर आ गया. इस वित्तीय वर्ष में विकास जारी रहा है, श्रम बाजार में सुधार और निजी क्षेत्र में ऋण में वृद्धि से समर्थित है.'आईएमएफ ने आगे कहा, 'अंतरराष्ट्रीय निकाय के अनुसार, भारत सरकार की नीतियां नई आर्थिक बाधाओं को दूर कर रही हैं. इनमें मुद्रास्फीति के दबाव, कड़ी वैश्विक वित्तीय स्थिति, यूक्रेन में युद्ध के परिणाम और रूस पर संबंधित प्रतिबंध और चीन और उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में महत्वपूर्ण रूप से धीमी वृद्धि शामिल हैं.'

IMF ने आगे कहा, 'अधिकारियों ने कमजोर समूहों का समर्थन करने और मुद्रास्फीति पर उच्च कमोडिटी की कीमतों के प्रभाव को कम करने के लिए राजकोषीय नीति उपायों के साथ प्रतिक्रिया दी है. मौद्रिक नीति आवास को धीरे-धीरे वापस ले लिया गया है और 2022 में अब तक मुख्य नीति दर में 190 आधार अंकों की वृद्धि की गई है.' भारत के विकास पथ पर विस्तार से बताते हुए आईएमएफ ने कहा, कम अनुकूल दृष्टिकोण और सख्त वित्तीय स्थितियों को दर्शाते हुए विकास में सुधार की उम्मीद है. वास्तविक जीडीपी क्रमश: 2022-23 और 2023-24 में 6.8 प्रतिशत और 6.1 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है.'

व्यापक-आधारित मूल्य दबावों को दर्शाते हुए, मुद्रास्फीति को 2022-2023 में 6.9 प्रतिशत पर अनुमानित किया गया है और अगले वर्ष में केवल धीरे-धीरे कम होने की उम्मीद है. आउटलुक के आस-पास अनिश्चितता अधिक है, जोखिम नीचे की ओर झुका हुआ है. निकट अवधि में तीव्र वैश्विक विकास मंदी व्यापार और वित्तीय चैनलों के माध्यम से भारत को प्रभावित करेगी. यूक्रेन में युद्ध से फैलते प्रभाव से भारत पर महत्वपूर्ण प्रभाव के साथ वैश्विक खाद्य और ऊर्जा बाजारों में व्यवधान पैदा हो सकता है.

मध्यम अवधि में अंतरराष्ट्रीय सहयोग में कमी व्यापार को और बाधित कर सकती है और वित्तीय बाजारों में अस्थिरता बढ़ा सकती है. वहीं बात करें घरेलू स्तर पर तो बढ़ती मुद्रास्फीति (Inflation) घरेलू मांग को और कम कर सकती है और कमजोर समूहों को प्रभावित कर सकती है. आईएमएफ के कार्यकारी निदेशकों ने विचार-विमर्श के दौरान सहमति व्यक्त की कि भारत सरकार ने कमजोर समूहों का समर्थन करने के लिए राजकोषीय नीति उपायों के साथ महामारी के बाद के आर्थिक झटकों का उचित जवाब दिया है. उच्च मुद्रास्फीति को दूर करने के लिए मौद्रिक नीति (Monetary policy) को कड़ा किया है.

निदेशकों ने एक अधिक महत्वाकांक्षी और अच्छी तरह से संप्रेषित मध्यम अवधि के राजकोषीय समेकन को प्रोत्साहित किया. जो मजबूत राजस्व संग्रहण और व्यय दक्षता में और सुधार पर आधारित है. जबकि बुनियादी ढांचे, शिक्षा और स्वास्थ्य पर उच्च गुणवत्ता वाले खर्च की रक्षा की जाती है. उन्होंने यह भी देखा कि सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन, वित्तीय संस्थानों और पारदर्शिता में और सुधार समेकन प्रयासों का समर्थन करेंगे. निदेशकों ने नोट किया कि अतिरिक्त मौद्रिक नीति कसने को सावधानीपूर्वक कैलिब्रेट किया जाना चाहिए और मुद्रास्फीति के उद्देश्यों और आर्थिक गतिविधियों पर प्रभाव को संतुलित करने के लिए स्पष्ट रूप से सूचित किया जाना चाहिए.

(आईएएनएस)

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