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कोरोना की तीसरी लहर आर्थिक विकास को नहीं करेगी प्रभावित : सरकार

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Published : Sep 10, 2021, 2:13 AM IST

Updated : Sep 10, 2021, 4:02 AM IST

केंद्र सरकार का मानना है कि कोरोना की तीसरी लहर आने पर भी देश की आर्थिक वृद्धि प्रभावित नहीं होगी. क्योंकि देश में हर दिन भारी संख्या में लोगों को कोरोना की वैक्सीन लग रही है. इस पर पढ़िए ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता कृष्णानंद त्रिपाठी की यह रिपोर्ट.

कोरोना की तीसरी लहर
कोरोना की तीसरी लहर

नई दिल्ली : केंद्र सरकार का मानना है कि कोरोना की तीसरी लहर आने पर भी देश की आर्थिक वृद्धि प्रभावित नहीं होगी, क्योंकि देश में हर दिन भारी संख्या में लोगों को कोरोना की वैक्सीन लग रही है. इस महामारी की वजह से दो साल से भी कम समय में अब तक 4,40,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.

आर्थिक मामलों के विभाग ने इस साल अगस्त के लिए अपनी मासिक रिपोर्ट में कहा कि देश में तेजी से टीकाकरण हो रहा है, जो यह आत्मविश्वास प्रदान कर रहा है कि कोरोना की तीसरी लहर में भी अर्थव्यवस्था में रिकवरी जारी रखी जा सकती है.

देश में कोरोना टीकाकरण
देश में गुरुवार तक कोविड-19 रोधी टीके की 72 करोड़ से अधिक खुराक दी जा चुकी है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह जानकारी दी.
मंत्रालय ने कहा कि गुरुवार को शाम सात बजे तक टीके की 73,80,510 खुराक दी गई. देर रात जारी होने वाली अंतिम रिपोर्ट में दैनिक टीकाकरण की संख्या बढ़ने की उम्मीद है. मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, शाम सात बजे तक की रिपोर्ट के मुताबिक 54,58,47,706 लाभार्थियों को पहली खुराक और 16,94,06,447 लाभार्थियों को दूसरी खुराक दी जा चुकी है.

टीकाकरण अभियान की शुरुआत से लेकर अब तक 18 से 44 आयु वर्ग के 28,57,04,140 लोगों को पहली खुराक और 3,85,99,523 लोगों को दूसरी खुराक दी गई है.

कुछ स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा सितंबर-अक्टूबर में शुरू होने वाले त्योहारी सीजन में कोरोना नियमों का पालन नहीं करता है. तो अगले कुछ महीनों में कोरोना की तीसरी लहर देश में आ सकती है, क्योंकि लोग त्योहारों और शादियों के कारण रिश्तेदारों और दोस्तों से मिलने जाते हैं, जिससे वायरस फैलने का खतरा बढ़ जाता है.

दूसरी लहर ने अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित नहीं किया
रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था के 20.1 प्रतिशत की दर से बढ़ने से ‘भीषण दूसरी लहर के बावजूद भारत की लचीली वी-आकार की भरपाई का पता चलता है. पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान कोरोना वायरस महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुई अर्थव्यवस्था में 24.4 प्रतिशत की गिरावट आई थी।

बता दें कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में 20.1 प्रतिशत की जोरदार वृद्धि दर्ज की गई है. हालांकि, पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही का तुलनात्मक आधार नीचे होने की वजह से इस साल ऊंची वृद्धि हासिल होने में मदद मिली है.

सरकार ने पिछले साल कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिये देशव्यापी 'लॉकडाउन' लगाया था. इस साल अप्रैल के मध्य में कोविड महामारी की विनाशकारी दूसरी लहर की रोकथाम के लिये राज्यों के स्तर पर पाबंदियां लगायी गई थीं. हालांकि, इतनी वृद्धि के बाद भी अर्थव्यवस्था कोविड से पहले की स्थिति में नहीं पहुंच पाई है.

2021-22 की पहली तिमाही के दौरान महामारी की दूसरी लहर की रोकथाम के लिये स्थानीय स्तर पर और सोच-विचाकर लॉकडाउन लगाये गये. इसके तहत जरूरी गतिविधियों को छोड़कर अन्य कार्यों के साथ लोगों की आवाजाही पर भी पाबंदी लगायी गई.

अप्रैल-जून तिमाही में कोरोना अपने चरम पर था. लोग ऑक्सीजन की कमी से मरे रहे थे. अस्पतालों में विस्तर उपलब्ध नहीं थे. श्मशान घाटों में शवों को जलाने के लिए लोगों को इंतजार करना पड़ता था. इस दौरान अपने प्रियजनों को बचाने के लिए लोगों ने अपनी संपत्ति तक बेच दी. इस दौरान लगभग 2.5 से 2.8 मिलियन भारतीयों की मौत हो गई.

यह सांख्यिकीय आंकड़ा दर्द को नकारने का काम कर सकती है, लेकिन जीडीपी में पिछले एक साल की तुलना में 20.1 की जोरदार वृद्धि हुई है. यह वृद्धि किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था में विस्तार को मात दे सकती है. क्योंकि 2020 में सेम तिमाही में अर्थव्यवस्था में 24 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी. देखा जाए तो कोरोना महामारी से पहले भी अर्थव्यवस्था धीमी थी. जीडीपी में यह वृद्धि दूसरी लहर की पीड़ा को नहीं छिपा सकती है.

रिपोर्ट में आगे कहा गया कि इस साल अब तक मानसून नौ प्रतिशत कम है, इसके बावजूद तीन सितंबर तक खरीफ की बुवाई सामान्य स्तर के मुकाबले 101 प्रतिशत हो चुकी थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि धान की रिकॉर्ड खरीद और ट्रैक्टर की बिक्री में बढ़ोतरी से आने वाले महीनों में मजबूत ग्रामीण मांग के लिए अच्छी संकेत मिलता है.

रिपोर्ट के मुताबिक कि बिजली की खपत, रेल भाड़ा, राजमार्ग टोल संग्रह, ई-वे बिल, डिजिटल लेनदेन, हवाई यातायात और मजबूत जीएसटी संग्रह से सुधार स्पष्ट है. विनिर्माण और सेवाओं, दोनों क्षेत्रो में भारत का पीएमआई आर्थिक विस्तार की शुरुआत का संकेत देता है.

पीएमआई में तेज वृद्धि
भारत की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाने वाला सेवा क्षेत्र पिछले 4 महीने में पहली बार बढ़ा है और यह अगस्त में 18 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गया. अगस्त महीने में सूचकांक 56.7 पर पहुंच गया, जो इससे पहले महीने में 45.4 पर था. यह आंकड़ा सरकार को विश्वास दिलाता है कि आर्थिक विकास की गति को बनाए रखा जाएगा.

इन कारकों के अलावा, सरकार का मानना ​​है कि इस साल जनवरी-मार्च के दौरान पूंजी और बुनियादी ढांचे के खर्च में वृद्धि, जिसने निवेश को जीडीपी अनुपात में 32% तक बढ़ा दिया, आने वाले महीनों में विकास को बनाए रखेगा.

निर्यात में मजबूत वृद्धि
इस साल देश के निर्यात में मजबूत वृद्धि हुई है. इस वर्ष अप्रैल-अगस्त के दौरान भारत का व्यापारिक निर्यात लगभग 164 बिलियन डॉलर था, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के निर्यात से 67% अधिक है और वित्त वर्ष 2019-20 की इसी अवधि की तुलना में 23% अधिक, जब देश में महामारी नहीं आई थी.

Last Updated :Sep 10, 2021, 4:02 AM IST
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