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लोकसभा चुनाव 2019: सातवें चरण में पीएम, सीएम सहित कई नेताओं की साख दांव पर

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Published : May 13, 2019, 8:47 PM IST

उत्तर प्रदेश में सातवें और आखिरी चरण की 13 लोकसभा सीटों पर 19 मई को मतदान होना है. यह चरण उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के लिए काफी अहम मायने रखता है. इस चरण में वाराणसी, गोरखपुर सहित कई हाई प्रोफाइल सीटों पर चुनाव होना है. इस चरण के मतदान में कई कद्दावर नताओं की प्रतिष्ठा भी दांव पर है.

एक सीट से पीएम खुद चुनाव मैदान में तो दूसरी से सीएम की प्रतिष्ठा दांव पर

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में सातवें और आखिरी चरण की 13 लोकसभा सीटों पर 19 मई को मतदान होना है. यह चरण उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के लिए काफी अहम मायने रखता है. इसी चरण में वाराणसी संसदीय क्षेत्र से पीएम नरेंद्र मोदी एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं. तो देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के सीएम और गोरक्ष पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ से जुड़े गोरखपुर सीट पर सबकी निगाहें गड़ी हुई हैं. वहीं पीएम नरेंद्र मोदी की सीट में कोई रुकावट नहीं दिख रही है, लेकिन गोरखपुर जीतना बीजेपी के लिए चुनौती दिखती नजर आ रही है.

लोकसभा सीटों के इतिहास की जानकारी देते संवाददाता.

जानिए वाराणसी और गोरखपुर सहित तेरह लोकसभा सीट का इतिहास

वाराणसी संसदीय क्षेत्र से पीएम मोदी दूसरी बार

वाराणसी संसदीय सीट से चंद्रशेखर, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, कमलापति त्रिपाठी और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे कद्दावर नेता चुनकर संसद पहुंच चुके हैं. इस चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं. पार्टी के समक्ष इस सीट को जीतना कोई चुनौती नहीं है लेकिन पार्टी पीएम मोदी के पुराने 2014 के लोकसभा चुनाव में हुई जीत के अंतर को बढ़ाना चाहती है.

गोरखपुर सीट पर योगी की प्रतिष्ठा

गोरखपुर संसदीय सीट पर जब से गोरक्षा पीठ का प्रभाव बढ़ा तबसे कांग्रेस समेत समूचा विपक्ष इसके किनारे भटक तक नहीं सका. वर्ष 1989 के लोकसभा चुनाव में पहली बार गोरक्ष पीठाधीश्वर अवैद्यनाथ यहां से जीतकर संसद पहुंचे. तो वहीं अवैद्यनाथ ने लगातार तीन बार इस सीट से जीत दर्ज की.उसके बाद 1998 में योगी आदित्यनाथ बीजेपी के टिकट पर जीत कर संसद पहुंचे. 2014 के लोकसभा चुनाव तक हर बार बीजेपी इस सीट से जीतती रही. योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद हुए उपचुनाव में बीजेपी को पहली बार शिकस्त मिली .यह उसके लिए करारा झटका है। समाजवादी पार्टी के टिकट पर प्रवीण कुमार निषाद चुनाव जीतकर संसद पहुंचे.इस बार वह बीजेपी के टिकट पर संतकबीरनगर से चुनाव लड़ रहे हैं. बीजेपी ने भोजपुरी अभिनेता रवि किशन को टिकट दिया है.रविकिशन के नामांकन में योगी के नहीं पहुंचने से सवाल उठे.


बाद में योगी ने इस पर मैराथन बैठकें और सभाएं की हैं. पीएम मोदी की सभा भी गोरखपुर में कराई गई. 2017 का विधानसभा चुनाव यहां का पूरी तरह से बीजेपी के पक्ष में रहा सभी पांच विधानसभा सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी.

महाराजगंज लोकसभा सीट

महाराजगंज संसदीय सीट पर पिछली बार भाजपा ने चार लाख 71 हजार 542 मत हासिल कर जीत दर्ज की थी. पार्टी प्रत्याशी पंकज ने बसपा प्रत्याशी काशी नाथ शुक्ला को दो लाख 40 हजार 458 मतों से पराजित किया था. समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को 2,13,974 मत प्राप्त हुए. सपा-बसपा के मतों को जोड़ लिया जाए तो इस सीट पर गठबंधन के पास चार लाख 44 हजार मत होते हैं जोकि भाजपा के प्रत्याशी से काफी कम है. जबकि कांग्रेस चौथे स्थान पर रही है. इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के निवर्तमान सांसद पंकज चौधरी को बीजेपी ने एक बार फिर चुनाव मैदान में उतारा है.


बुद्ध की धरती कुशीनगर पर क्या होगा

पिछले लोकसभा चुनाव में कुशीनगर सीट से भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी राजेश पांडे को जीत मिली थी. कांग्रेस प्रत्याशी आरपीएन सिंह दूसरे स्थान पर रहे. तीसरे पर बसपा और चौथे पर समाजवादी पार्टी रही थी. वहीं बसपा को एक लाख 32 हजार 881 और सपा को एक लाख 11 हजार 256 मत प्राप्त हुए थे. दोनों दलों के मत को जोड़ लिए जाएं तो भी बीजेपी से काफी पीछे है. बीजेपी को यहां तीन लाख 70 हजार मत प्राप्त हुए थे. भाजपा ने इस बार उनके स्थान पर विजय दुबे को टिकट दिया है .वहीं समाजवादी पार्टी के नथुनी प्रसाद कुशवाहा बीजेपी को कड़ी टक्कर दे रहे हैं. कांग्रेस ने एक बार फिर इस सीट से आरपीएन सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है.

कलराज की सीट देवरिया में रमापति खिला पाएंगे कमल

भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता कलराज मिश्र पिछले लोकसभा चुनाव में देवरिया से सांसद चुनकर लोकसभा पहुंचे थे. उनके स्थान पर इस बार बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रमापति राम त्रिपाठी चुनाव मैदान में हैं.माना जा रहा की विधायक पर जूता बरसाने वाले सांसद और पुत्र शरद त्रिपाठी का टिकट काटने के स्थान पर पार्टी नेतृत्व ने उन्हें यहां से लड़ाया है. गठबंधन की तरफ से बसपा प्रत्याशी विनोद कुमार जायसवाल और कांग्रेस प्रत्याशी नियाज अहमद इस सीट पर बराबर की टक्कर दे रहे हैं.

बांसगांव से कमलेश पासवान लगा पाएंगे हैट्रिक

भारतीय जनता पार्टी ने लगातार तीसरी बार कमलेश पासवान पर भरोसा जताया है. कमलेश पासवान ही इस सीट से चुनकर संसद पहुंचे थे. उन्होंने अपने नजदीकी प्रतिद्वंदी बसपा प्रत्याशी सदल प्रसाद को एक लाख 89 हजार 516 मतों से हराया था .गठबंधन की ओर से बसपा प्रत्याशी सदल प्रसाद एक बार फिर कमलेश पासवान को चुनौती दे रहे हैं .वहीं कांग्रेस ने कुश सौरभ को टिकट दिया है.

घोसी से दूसरी बार हरिनारायण राजभर

घोसी संसदीय सीट पर 2014 के लोकसभा चुनाव में पहली बार बीजेपी ने जीत दर्ज की. बीजेपी प्रत्याशी हरिनारायण राजभर ने एक लाख 46 हजार 15 मतों से बसपा प्रत्याशी दारा सिंह चौहान को पराजित किया था. 2017 के विधानसभा चुनाव में दारा सिंह चौहान भाजपा में शामिल होकर विधानसभा चुनाव जीते और वह योगी सरकार में मंत्री हैं. बीजेपी ने एक बार फिर हरिनारायण राजभर को टिकट दिया है वहीं गठबंधन की तरफ से बसपा प्रत्याशी अतुल राय और कांग्रेसी प्रत्याशी बाल कृष्ण चौहान चुनाव मैदान ताल ठोक रहे हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में भूत ही संसदीय क्षेत्र की सभी पांच सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी.

सलेमपुर संसदीय क्षेत्र का संसद में कौन करेगा प्रतिनिधित्व

अस्तित्व में आने के बाद से भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार 2014 में सलेमपुर संसदीय क्षेत्र से पर जीत दर्ज की थी. बीजेपी प्रत्याशी रविंद्र कुशवाहा ने बसपा प्रत्याशी रविशंकर सिंह को दो 32 हजार 342 मतों से पराजित किया था.इस सीट पर भी सपा बसपा का वोट जोड़ लेने के बाद भी बीजेपी के बराबर नहीं हो रहा है.कांग्रेस प्रत्याशी भोला पांडे किसी पर चौथे स्थान पर थे.बीजेपी ने रवींद्र कुशवाहा को एक बार फिर चुनाव मैदान में उतारा है गठबंधन की तरफ से बसपा प्रत्याशी आर एस कुशवाहा और कांग्रेस के प्रत्याशी राजेश मिश्रा मजबूती से लड़ रहे हैं.2017 के विधानसभा चुनाव में सलेमपुर की तीन सीटों पर भाजपा और दो सीटों पर सपा ने जीती थी.

बलिया से पूर्व पीएम चंद्रशेखर आठ बार पहुंचे थे संसद

बलिया संसदीय क्षेत्र का पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने आठ बार संसद में नेतृत्व किया. 1977 से 2004 के बीच 1984 के लोकसभा चुनाव को छोड़कर बाकी हर बार उन्होंने जीत दर्ज की. चंद्रशेखर के बाद समाजवादी पार्टी के टिकट पर उनके बेटे नीरज शेखर दो बार यहां से चुने गए .2014 के लोकसभा चुनाव में पहली बार भाजपा ने जीत दर्ज की. बीजेपी प्रत्याशी भरत सिंह ने 139434 मतों से नीरज शेखर को पराजित किया था. बीजेपी ने भरत सिंह के जगह पर वीरेंद्र सिंह मस्त हो मैदान में उतारा है वहीं नीरज शेखर इस बार चुनाव मैदान में नहीं हैं. गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में समाजवादी पार्टी से सनातन पांडे चुनाव मैदान में हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा बसपा के मतों को जोड़ लिया जाए तो बीजेपी से करीब दो हजार मत अधिक रहे हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में बलिया की सभी सीटों पर बीजेपी और उसके सहयोगी दलों ने जीत दर्ज की थी.

गाजीपुर से केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा की परीक्षा

गाजीपुर संसदीय क्षेत्र से पिछली बार भारतीय जनता पार्टी ने के प्रत्याशी मनोज सिन्हा ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने सपा प्रत्याशी शिवकन्या कुशवाहा को 32452 मतों से पराजित किया था.गाजीपुर में सपा-बसपा के मतों को जोड़ दिया जाए तो पांच लाख से ऊपर का आंकड़ा छू जाता है .इस हिसाब से गठबंधन प्रत्याशी अफजाल अंसारी केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा पर भारी पड़ सकते हैं. कांग्रेस प्रत्याशी अजीत प्रताप कुशवाहा चुनावी ताल ठोक रहे हैं. कांग्रेस से कुशवाहा के लड़ने से लड़ाई दिलचस्प हो गयी है. सुकन्या कुशवाहा इस बार कांग्रेस के टिकट पर चंदौली से लड़ रही हैं.

चंदौली सीट से बीजेपी अध्यक्ष महेंद्र पांडे चुनाव मैदान में

चंदौली लोकसभा सीट से पिछली बार बीजेपी प्रत्याशी डॉ. महेंद्र नाथ पांडे ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने बसपा प्रत्याशी अनिल कुमार मौर्य को एक लाख 56 हजार 756 मतों से पराजित किया था .गठबंधन से डॉक्टर पांडे को कड़ी चुनौती मिल रही है.गठबंधन की तरफ से समाजवादी पार्टी के टिकट पर संजय चौहान चुनावी ताल ठोक रहे हैं. तो कांग्रेस की टिकट पर पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा की पत्नी शिवकन्या कुशवाहा चुनाव मैदान में हैं.

मिर्जापुर सीट से अनुप्रिया पटेल एक बार फिर लड़ रहीं चुनाव

बीजेपी के सहयोगी पार्टी अपना दल के प्रत्याशी अनुप्रिया सिंह पटेल ने पिछले लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी. अनुप्रिया ने दो लाख 19 हजार 79 मतों से बसपा प्रत्याशी समुद्र बिंद को पराजित किया था. मिर्जापुर सीट पर पिछले चुनाव में सपा-बसपा को मिले वोट जोड़ने के बाद भी यह आंकड़ा अपना दल से काफी पीछे है. अनुप्रिया पटेल एक बार फिर एनडीए की तरफ से चुनाव मैदान में हैं. गठबंधन की तरफ से सपा के टिकट पर रामचरित्र निषाद तो कांग्रेस की तरफ से ललितेश पति त्रिपाठी कड़ी टक्कर दे रहे हैं.

राबर्ट्सगंज पर सबकी निगाहें

उत्तर प्रदेश की आखरी लोकसभा सीट राबर्ट्सगंज पर पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने जीत दर्ज की थी.बीजेपी प्रत्याशी छोटेलाल ने बसपा प्रत्याशी शारदा प्रसाद को एक लाख 90 हजार 486 मतों से पराजित किया था.राबर्ट्सगंज सीट पर भी पिछले लोकसभा चुनाव में सपा बसपा को मिले वोट बीजेपी प्रत्याशी प्राप्त मतों से कम रहे हैं.राबर्ट्सगंज सुरक्षित सीट पर इस बार भाजपा के बजाए सहयोगी पार्टी अपना दल चुनाव मैदान में है.अपना दल ने यहां से पकौड़ी लाल कोल को अपना प्रत्याशी बनाया है. गठबंधन की तरफ से सपा के प्रत्याशी भाई लाल कोल चुनाव मैदान में हैं.तो कांग्रेस प्रत्याशी भगवती प्रसाद चौधरी चुनावी ताल ठोक रहे हैं.

सातवें चरण में दो करोड़ 32 लाख मतदाता

सातवें एवं अंतिम चरण के 13 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के मतदान में कुल दो करोड़ 32 लाख 71314 मतदाता हैं. इसमें एक करोड़ 26 लाख 46हजार 278 पुरुष मतदाता, एक करोड़ छह लाख 23 हजार 47 महिला मतदाता औ र6 थर्ड जेंडर के मतदाता शामिल हैं. इस चरण के मतदान के लिए कुल 13हजार 979 मतदान केंद्र और5 हजार 874 मतदेय स्थल बनाए गए हैं.

Intro:लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सातवें और आखिरी चरण की 13 लोकसभा सीटों पर 19 मई को मतदान होगा। यह चरण उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के लिए काफी अहम मायने रखता है। इसी चरण में वाराणसी संसदीय क्षेत्र से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं। तो देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री व गोरक्ष पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ से जुड़े गोरखपुर सीट पर सबकी निगाहें गड़ी हुई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीट में कोई रुकावट नहीं दिख रही है गोरखपुर जीतना बीजेपी के लिए चुनौती है। उपचुनाव में गोरखपुर की सीट हार चुकी बीजेपी के रणनीतिकार इस सीट को जीतने के लिए रणनीतिकार सारे समीकरण साधने में जुटे हुए हैं। आखिरी चरण में महाराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, बांस गांव, घोसी, सलेमपुर, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, मिर्जापुर और रावर्ट्सगंज संसदीय क्षेत्र शामिल है।


Body:वाराणसी संसदीय क्षेत्र से पीएम मोदी दूसरी बार

वाराणसी संसदीय सीट से चंद्रशेखर, डॉ मुरली मनोहर जोशी, कमलापति त्रिपाठी और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे कद्दावर नेता चुनकर संसद पहुंच चुके हैं। इस चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं। पार्टी के समक्ष इस सीट को जीतना कोई चुनौती नहीं है लेकिन पार्टी पीएम मोदी के पुराने 2014 के लोकसभा चुनाव में हुई जीत के अंतर को बढ़ाना चाहती है। कांग्रेस ने इस बार राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी को वाराणसी से चुनाव लड़ाने का मन बनाया था। लेकिन बाद में पैर पीछे खींच लिए गए। कांग्रेस ने एक बार फिर अजय राय को टिकट दिया है। वहीं गठबंधन से शालिनी यादव मोदी को टक्कर देना चाहती हैं।

गोरखपुर सीट पर योगी की प्रतिष्ठा

गोरखपुर संसदीय सीट पर जब से गोरक्षा पीठ का प्रभाव बढ़ा तबसे कांग्रेस समेत समूचा विपक्ष इसके किनारे भटक तक नहीं सका। वर्ष 1989 के लोकसभा चुनाव में पहली बार गोरक्ष पीठाधीश्वर अवैद्यनाथ यहां से जीतकर संसद पहुंचे। अवैद्यनाथ ने लगातार तीन बार इस सीट से जीत दर्ज की। उसके बाद 1998 में योगी आदित्यनाथ बीजेपी के टिकट पर जीत कर संसद पहुंचे। 2014 के लोकसभा चुनाव तक हर बार बीजेपी इस सीट से जीतती रही। योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद हुए उपचुनाव में बीजेपी को पहली बार शिकस्त मिली। यह उसके लिए करारा झटका है। समाजवादी पार्टी के टिकट पर प्रवीण कुमार निषाद चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। इस बार वह बीजेपी के टिकट पर संतकबीरनगर से चुनाव लड़ रहे हैं। बीजेपी ने भोजपुरी अभिनेता रवि किशन को टिकट दिया है। रविकिशन के नामांकन में योगी के नहीं पहुंचने से सवाल उठे। बाद में योगी ने इस पर मैराथन बैठकें और सभाएं की हैं। पीएम मोदी की सभा भी गोरखपुर में कराई गई। 2017 का विधानसभा चुनाव यहां का पूरी तरह से बीजेपी के पक्ष में रहा सभी पांच विधानसभा सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी।

महाराजगंज लोकसभा सीट

महाराजगंज संसदीय सीट पर पिछली बार भाजपा ने चार लाख 71 हजार 542 मत हासिल कर जीत दर्ज की थी। पार्टी प्रत्याशी पंकज ने बसपा प्रत्याशी काशी नाथ शुक्ला को दो लाख 40 हजार 458 मतों से पराजित किया था। समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को 213974 मत प्राप्त हुए। सपा बसपा के मतों को जोड़ लिया जाए तो इस सीट पर गठबंधन के पास चार लाख 44 हजार मत होते हैं जोकि भाजपा के प्रत्याशी से काफी कम है। जबकि कांग्रेस चौथे स्थान पर रही है। इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के निवर्तमान सांसद पंकज चौधरी को बीजेपी ने एक बार फिर चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं सपा ने भी अपने प्रत्याशी नहीं बदले हैं जबकि कांग्रेस ने सुप्रिया श्रीनेत्र को टिकट दिया है। 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी महाराजगंज संसदीय क्षेत्र की चार सीटों पर जीत दर्ज की थी। एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी अमनमणि त्रिपाठी के खाते में गयी। 2014 और 2017 के परिणामों को देखते हुए साफ तौर पर या लगता है कि इस सीट पर काफी दिलचस्प चुनाव होने वाला है।

बुद्ध की धरती कुशीनगर पर क्या होगा

पिछले लोकसभा चुनाव में कुशीनगर सीट से भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी राजेश पांडे को जीत मिली थी। कांग्रेस प्रत्याशी आरपीएन सिंह दूसरे स्थान पर रहे तीसरे पर बसपा और चौथे पर समाजवादी पार्टी। बसपा को एक लाख 32 हजार 881 और सपा को एक लाख 11 हजार 256 मत प्राप्त हुए थे। दोनों दलों के मत को जोड़ लिए जाएं तो भी बीजेपी से काफी पीछे है। बीजेपी को यहां तीन लाख 70 हजार मत प्राप्त हुए थे। भाजपा ने इस बार उनके स्थान पर विजय दुबे को टिकट दिया है। वहीं समाजवादी पार्टी के नथुनी प्रसाद कुशवाहा बीजेपी को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। कांग्रेस ने एक बार फिर इस सीट से आरपीएन सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है। 2017 के विधानसभा चुनाव में कुशीनगर की सभी सीटों पर बीजेपी और उसके सहयोगी दल को जीत मिली थी।

कलराज की सीट देवरिया में रमापति खिला पाएंगे कमल

भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता कलराज मिश्र पिछले लोकसभा चुनाव में देवरिया से सांसद चुनकर लोकसभा पहुंचे थे। उनके स्थान पर इस बार बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ रमापति राम त्रिपाठी चुनाव मैदान में हैं। माना जा रहा की विधायक पर जूता बरसाने वाले सांसद व पुत्र शरद त्रिपाठी का टिकट काटने के स्थान पर पार्टी नेतृत्व ने उन्हें यहां से लड़ाया है। गठबंधन की तरफ से बसपा प्रत्याशी विनोद कुमार जायसवाल और कांग्रेस प्रत्याशी नियाज अहमद इस सीट पर बराबर की टक्कर दे रहे हैं। इस सीट पर भी 2014 के चुनाव परिणाम में सपा और बसपा का वोट जोड़ने के बाद भी भाजपा से काफी दूर है। 2017 के विधानसभा चुनाव में देवरिया संसदीय क्षेत्र की 4 विधानसभा सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी। एक सीट कांग्रेस के खाते में गई थी।

बांसगांव से कमलेश पासवान लगा पाएंगे हैट्रिक

भारतीय जनता पार्टी ने लगातार तीसरी बार कमलेश पासवान पर भरोसा जताया है कमलेश पासवान ही इस सीट से चुनकर संसद पहुंचे थे उन्होंने अपने नजदीकी प्रतिद्वंदी बसपा प्रत्याशी सदल प्रसाद को एक लाख 89 हजार 516 मतों से हराया था। गठबंधन की ओर से बसपा प्रत्याशी सदल प्रसाद एक बार फिर कमलेश पासवान को चुनौती दे रहे हैं। वहीं कांग्रेस ने कुश सौरभ को टिकट दिया है। बांसगांव सीट पर 2014 में सपा बसपा प्रत्याशियों को मिले वोट जोड़ने के बाद भी बीजेपी से कम हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में चार सीटों पर बीजेपी और एक पर बीएसपी ने जीत दर्ज की थी।

घोसी से दूसरी बार हरिनारायण राजभर

घोसी संसदीय सीट पर 2014 के लोकसभा चुनाव में पहली बार बीजेपी ने जीत दर्ज की। बीजेपी प्रत्याशी हरिनारायण राजभर ने एक लाख 46 हजार 15 मतों से बसपा प्रत्याशी दारा सिंह चौहान को पराजित किया था। 2017 के विधानसभा चुनाव में दारा सिंह चौहान भाजपा में शामिल होकर विधानसभा चुनाव जीते और वह योगी सरकार में मंत्री हैं। बीजेपी ने एक बार फिर हरिनारायण राजभर को टिकट दिया है वहीं गठबंधन की तरफ से बसपा प्रत्याशी अतुल राय और कांग्रेसी प्रत्याशी बाल कृष्ण चौहान चुनाव मैदान ताल ठोक रहे हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में भूत ही संसदीय क्षेत्र की सभी पांच सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी।

सलेमपुर संसदीय क्षेत्र का संसद में कौन करेगा प्रतिनिधित्व

अस्तित्व में आने के बाद से भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार 2014 में सलेमपुर संसदीय क्षेत्र से पर जीत दर्ज की थी। बीजेपी प्रत्याशी रविंद्र कुशवाहा ने बसपा प्रत्याशी रविशंकर सिंह को दो 32 हजार 342 मतों से पराजित किया था। इस सीट पर भी सपा बसपा का वोट जोड़ लेने के बाद भी बीजेपी के बराबर नहीं हो रहा है। कांग्रेस प्रत्याशी भोला पांडे किसी पर चौथे स्थान पर थे। बीजेपी ने रवींद्र कुशवाहा को एक बार फिर चुनाव मैदान में उतारा है गठबंधन की तरफ से बसपा प्रत्याशी आर एस कुशवाहा और कांग्रेस के प्रत्याशी राजेश मिश्रा मजबूती से लड़ रहे हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में सलेमपुर की तीन सीटों पर भाजपा और दो सीटों पर सपा ने जीती थी।

बलिया से पूर्व पीएम चंद्रशेखर आठ बार पहुंचे थे संसद

बलिया संसदीय क्षेत्र का पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने आठ बार संसद में नेतृत्व किया। 1977 से 2004 के बीच 1984 के लोकसभा चुनाव को छोड़कर बाकी हर बार उन्होंने जीत दर्ज की। चंद्रशेखर के बाद समाजवादी पार्टी के टिकट पर उनके बेटे नीरज शेखर दो बार यहां से चुने गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में पहली बार भाजपा ने जीत दर्ज की। बीजेपी प्रत्याशी भरत सिंह ने 139434 मतों से नीरज शेखर को पराजित किया था बीजेपी ने भरत सिंह के जगह पर वीरेंद्र सिंह मस्त हो मैदान में उतारा है वही नीरज शेखर इस बार चुनाव मैदान में नहीं हैं। गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में समाजवादी पार्टी से सनातन पांडे चुनाव मैदान में हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा बसपा के मतों को जोड़ लिया जाए तो बीजेपी से करीब दो हजार मत अधिक रहे हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में बलिया की सभी सीटों पर बीजेपी और उसके सहयोगी दलों ने जीत दर्ज की थी।

गाजीपुर से केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा की परीक्षा

गाजीपुर संसदीय क्षेत्र से पिछली बार भारतीय जनता पार्टी ने के प्रत्याशी मनोज सिन्हा ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने सपा प्रत्याशी शिवकन्या कुशवाहा को 32452 मतों से पराजित किया था। गाजीपुर में सपा बसपा के मतों को जोड़ दिया जाए तो पांच लाख से ऊपर का आंकड़ा छू जाता है। इस हिसाब से गठबंधन प्रत्याशी अफजाल अंसारी केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा पर भारी पड़ सकते हैं। कांग्रेस प्रत्याशी अजीत प्रताप कुशवाहा चुनावी ताल ठोक रहे हैं। कांग्रेस से कुशवाहा के लड़ने से लड़ाई दिलचस्प हो गयी है। शिवकन्या कुशवाहा इस बार कांग्रेस के टिकट पर चंदौली से लड़ रही हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में गाजीपुर की 3 सीटों पर बीजेपी और उसके सहयोगी दलों ने जीत दर्ज की वहीं 2 सीटें सपा के खाते में गई।

चंदौली सीट से बीजेपी अध्यक्ष महेंद्र पांडे चुनाव मैदान में

चंदौली लोकसभा सीट से पिछली बार बीजेपी प्रत्याशी डॉ महेंद्र नाथ पांडे ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने बसपा प्रत्याशी अनिल कुमार मौर्य को एक लाख 56 हजार 756 मतों से पराजित किया था। गठबंधन से डॉक्टर पांडे को कड़ी चुनौती मिल रही है। गठबंधन की तरफ से समाजवादी पार्टी के टिकट पर संजय चौहान चुनावी ताल ठोक रहे हैं। तो कांग्रेस के टिकट पर पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा की पत्नी शिवकन्या कुशवाहा चुनाव मैदान में हैं। गत विधानसभा चुनाव में चंदौली क्षेत्र की चार सीटों पर बीजेपी और उसके सहयोगी दलों ने जीत दर्ज की एक सीट सपा के खाते में गई थी।

मिर्जापुर सीट से अनुप्रिया पटेल एक बार फिर लड़ रहीं चुनाव

बीजेपी के सहयोगी पार्टी अपना दल के प्रत्याशी अनुप्रिया सिंह पटेल ने पिछले लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी अनुप्रिया ने दो लाख 19 हजार 79 मतों से बसपा प्रत्याशी समुद्र बिंद को पराजित किया था। मिर्जापुर सीट पर पिछले चुनाव में सपा बसपा को मिले वोट जोड़ने के बाद भी यह आंकड़ा अपना दल से काफी पीछे है। अनुप्रिया पटेल एक बार फिर एनडीए की तरफ से चुनाव मैदान में हैं। गठबंधन की तरफ से सपा के टिकट पर रामचरित्र निषाद तो कांग्रेस की तरफ से ललितेश पति त्रिपाठी कड़ी टक्कर दे रहे हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी दलों ने मिलकर सभी पांच सीटों पर जीत दर्ज की थी। एक सीट अपना दल और चार सीटें बीजेपी के खाते में गयी थीं।

रॉबर्ट्सगंज पर सबकी निगाहें

उत्तर प्रदेश की आखरी लोकसभा सीट राबर्ट्सगंज पर पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। बीजेपी प्रत्याशी छोटेलाल ने बसपा प्रत्याशी शारदा प्रसाद को एक लाख 90 हजार 486 मतों से पराजित किया था। राबर्ट्सगंज सीट पर भी पिछले लोकसभा चुनाव में सपा बसपा को मिले वोट बीजेपी प्रत्याशी प्राप्त मतों से कम रहे हैं। राबर्ट्सगंज सुरक्षित सीट पर इस बार भाजपा के बजाए सहयोगी पार्टी अपना दल चुनाव मैदान में है। अपना दल ने यहां से पकौड़ी लाल कोल को अपना प्रत्याशी बनाया है। गठबंधन की तरफ से सपा के प्रत्याशी भाई लाल कोल चुनाव मैदान में हैं। तो कांग्रेस प्रत्याशी भगवती प्रसाद चौधरी चुनावी ताल ठोक रहे हैं।

सातवें चरण में दो करोड़ 32 लाख मतदाता

सातवें एवं अंतिम चरण के 13 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के मतदान में कुल दो करोड़ 32 लाख 71314 मतदाता हैं। इसमें एक करोड़ 26 लाख 46हजार 278 पुरुष मतदाता, एक करोड़ छह लाख 23हज़ार 647 महिला मतदाता तथा 1416 थर्ड जेंडर के मतदाता शामिल है। इस चरण के मतदान के लिए कुल 13हजार 979 मतदान केंद्र तथा 25 हजार 874 मतदेय स्थल बनाए गए हैं।


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