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चित्रकूट: जहां कण-कण में बसे हैं तुलसी के राम

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Published : Jun 17, 2019, 12:03 PM IST

चित्रकूट, जहां कण-कण में बसे हैं तुलसी के राम

चित्रकूट धाम मंदाकिनी नदी के किनारे बसा भारत के सबसे प्राचीन हिंदू तीर्थस्थलों में से एक है. सदियों से हिंदुओं की आस्था का केंद्र चित्रकूट वही स्थान है, जहां भगवान श्रीराम ने देवी सीता और लक्ष्मण जी के साथ 11 वर्ष वनवास के दौरान बिताए थे.

चित्रकूट: हिंदुओं का बहुत ही प्राचीन धार्मिक तीर्थस्थल है. जहां देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु और पर्यटक घूमने आते हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान श्रीराम ने अपने वनवास के दौरान 11 वर्ष चित्रकूट में ही बिताए थे. यह तीर्थ स्थल मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है. वहीं तीर्थस्थल की दूसरी मान्यता यह भी है कि स्वयं ब्रह्मा जी ने श्राप से बचने के लिए 360 यज्ञ करवाए थे.

चित्रकूट धाम जहां तुलसीदास जी को भगवान श्री राम ने दिए दर्शन.

आइये जानते है चित्रकूट धार्मिक स्थल के बारे में-

  • मर्यादा पुरुषोत्तम राम की तपोभूमि कहे जाने वाले चित्रकूट रामघाट की महिमा अतुलनीय है.
  • पौराणिक ग्रन्थों में वर्णन है कि राम घाट पर पर प्रभु राम नित स्नान किया करते थे.
  • मां मंदाकिनी नदी के तट पर बने रामघाट पर अनेक धार्मिक रहस्य छिपे हुए हैं और इसी रामघाट में हिंदुओं के धार्मिक स्थान हैं.
  • रामघाट का दर्शन करने देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं.
  • रामघाट पर ब्रह्मा जी की यज्ञ वेदी स्थित है, जहां स्वयं ब्रह्मा जी ने पृथ्वी परउतर कर अपना श्राप समाप्त करने के लिए 360 यज्ञ करवाए थे, जिससे यह रामघाट और पावन हो जाता है
  • रामघाट में ही स्थित है तुलसी स्मारक स्थित है. जहां गोस्वामी तुलसी दास जी ने अपने आराध्य श्री राम के दर्शन पाने के लिए तपस्या की थी.
  • भगवान श्री राम ने गोस्वामी तुलसीदास जी को दर्शन दिए थे. इसी संबंध में एक दोहा भी प्रचलित है.

चित्रकूट के घाट में भई संतन की भीर ।

तुलसीदास चंदन घिसे तिलक देत रघुवीर । ।

  • रामघाट पर तुलसी स्मारक बनवाया गया है ताकि बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को इसका इतिहास पता चले.
  • वहीं ईटीवी भारत से बात करते हुए श्रद्धालुओं ने कहा कि ये हिंदुओं का बहुत ही प्राचीन तीर्थ स्थल है और यहां कि बहुत मान्यता है.

वास्तव में में रामघाट चित्रकूट का ह्रदय स्थल है. क्योंकि सबसे पहले भगवान श्री राम का आगमन राम घाट पर हुआ. तभी से इसका घाट का नाम राम घाट पड़ गया. अभी लगभग 500 वर्ष पूर्व गोस्वामी तुलसीदास श्री राम के दर्शन के लिए बाहर वर्ष काशी, वृंदावन, अयोध्या में घूमते रहें लेकिन काशी में हनुमान जी ने तुलसीदास जी को प्रेरणा दी कि ये कलयुग चल रहा है और दैवीय शक्तियों का लोप हो चुका है. केवल एक ही ऐसा स्थल है जहां आपको श्री राम के दर्शन हो सकते हैं, वो है चित्रकूट. यहां तुलसीदास जी आए और फिर तुलसीदास जी को यहीं श्री राम जी के दर्शन प्राप्त हो हुए.
-दिव्य जीवनदास, महंत, भरत मंदिर

Intro:एंकर- जिला चित्रकूट बुंदेलखंड उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित एक हिंदू धार्मिक स्थल है जहां पर देश विदेश से लाखो श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं हिंदू मानता के अनुसार यहां पर रामचंद जी ने अपने 11 वर्ष वनवास के दौरान कांटे है
हिंदुओं की आस्था का केंद्र यह तीर्थ स्थल मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है
रामघाट में ही यज्ञ वेदी स्थल है जहां पर स्वयं ब्रह्मा जी ने श्राप से बचने के लिए 360 यज्ञ करवाए जिससे इस धार्मिक स्थल की मानता और भी बढ़ जाती है
मत्स्य गयेन्द्र नाथ स्वामी का स्थान इसी रामघाट में ही स्थित है। यह वही मत्स्येंद्रनाथ स्वामी का स्थान है जिनके आज्ञा लेकर ही श्री रामचंद्र जी ने 11 वर्ष चित्रकूट में बिताए हैं
रामघाट की महिमा इससे और भी बढ़ जाती है कि आज से लगभग 500 वर्ष पूर्व श्री तुलसी दास ने अपने आराध्य रामचंद जी की पूजा तपस्या यहां पर की और उसके फल स्वरुप उनको मर्यादा पुरुषोत्तम राम चंद्र जी के दर्शन का सौभाग्य इसी रामघाट में प्राप्त था



Body:वीओ-- मर्यादा पुरुषोत्तम राम की तपोभूमि कहे जाने वाले चित्रकूट रामघाट की महिमा अतुलनीय है राम घाट जहां पर प्रभु राम नित स्नान किया करते थे मा मंदाकिनी नदी के तट पर बने रामघाट में अनेक धार्मिक रहस्य छिपाए हैं और इसी रामघाट में हिंदुओं के धार्मिक स्थान हैं जिनको श्रद्धालु बड़ी भक्ति भावना लिए देश और विदेशों से चित्रकूट पहुंचकर दर्शन करते रामघाट ने स्थित ब्रह्मा जी यज्ञ वेदी जहां पर स्वयं ब्रह्मा धरती में उतर कर अपना श्राप समाप्त करने के लिए 360 यज्ञ किये थे ।जिससे यह रामघाट और पावन हो जाता है रामघाट से बहने वाली मां मंदाकिनी नदी का उद्गम सती अनसूया के पास से है कहा जाता है की सती अनसूया ऋषि अत्रि की पत्नी ने अपने तपोबल से मां मंदाकिनी को जन्म दिया था और रामचंद्र जी अपने वनवास काल में इस नदी के इर्द-गिर्द ही रहा करते थे रामघाट में ही स्थित है तुलसी स्मारक तुलसी स्मारक यहां पर तुलसी दास अपने आराध्य देव रामचंद्र जी की तपस्या की थी जिससे प्रसन्न होकर रामचंद जी ने उनको दर्शन गीत जिसके चलते यह दोहा भी प्रचलित है चित्रकूट के घाट में भई संतन की भीर तुलसीदास चंदन घिसे तिलक देत रघुवीर । यहां पर तुलसी स्मारक बनवाया गया है ताकि बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को इसका इतिहास पता चले ।

बाइट-रमेश (श्रद्धालु राजस्थान)
बाइट-शांता देवी(श्रद्धालु राजस्थान)
बाइट-दिव्य जीवनदास( महंत भरत मंदिर)


Conclusion:
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