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आग के शिकार मरीजों को राजधानी के अस्पतालों में नहीं मिल पा रहीं सुविधाएं

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Published : May 13, 2019, 8:11 AM IST

बढ़ती गर्मी के प्रकोप से एक ओर जहां आग से जले हुए मरीजों की संख्या बढ़ रही है. वहीं राजधानी के अस्पतालों में मरीजों के लिए कोई सुविधाएं उपलब्ध नहीं है. जिसके चलते मरीजों को लगातार समस्या का सामना करना पड़ रहा है.

संसाधनों की कमी से जूझ रहे राजधानी के अस्पताल

लखनऊ: गर्मी बढ़ने के साथ-साथ अस्पतालों के बर्न यूनिट में मरीजों की संख्या दोगुनी हो गई है. अस्पतालों में आने वाले मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. वहीं अस्पताल में बर्न यूनिट और बर्न वार्डों की बेडों की संख्या कम पड़ने लगी है. संसाधनों की कमी की वजह से अस्पताल में मरीजों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

संसाधनों की कमी से जूझ रहे राजधानी के अस्पताल

राजधानी का सिविल अस्पताल

  • सिविल इकलौता सरकारी अस्पताल है जिसकी बर्न यूनिट में सबसे ज्यादा मरीजों को इलाज किया जाता है.
  • गर्मी आते ही अस्पताल के बर्न यूनिट में मरीजों की संख्या बढ़ गई है. जिससे सिविल अस्पताल का यूनिट ओवरलोड हो गया है.
  • यूनिट में करीब 50 बेड उपलब्ध है, लेकिन मरीजों की संख्या अधिक होने की वजह से इन मरीजों को दूसरे वार्ड में शिफ्ट किया जा रहा है.
  • एक ओर जहां बर्न यूनिट की व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है. वहीं पूरी यूनिट एक सर्जन के भरोसे चल रहा है.
  • इतना ही नहीं यहां के बर्न यूनिट में एयर कंडीशन की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है.

राजधानी का बलरामपुर अस्पताल

  • बलरामपुर अस्पताल में तो आग के शिकार हुए मरीजों को राहत देने के लिए बर्न यूनिट तक उपलब्ध नहीं है.
  • यहां एक वार्ड को बर्न वार्ड बनाया गया, लेकिन उसमें आग के शिकार हुए मरीजों के लिए मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं.
Intro:राजधानी लखनऊ के अस्पतालों में गर्मी बढ़ने के साथ-साथ बर्न यूनिट में मरीजों की संख्या भी दोगुनी हो गई है। अस्पतालों में आने वाले मरीजों की संख्या लगातार बढ़ोतरी हो रही है। लेकिन इसके लिए अस्पताल बर्न यूनिट और बर्न वार्डों की संख्या कम पड़ने लगी है। संसाधनों की कमी की वजह से मरीजों की दिक्कत आने वाले दिनों में बढ़ने वाली है। इसी में आज हमने बलरामपुर अस्पताल और सिविल अस्पताल में पूरी पड़ताल की।


Body:सिविल अस्पताल में एक बार यूनिट फुल हो गई है। इस यूनिट में सिर्फ गंभीर मरीजों को ही भर्ती किया जा रहा है। समस्या है इसलिए भी है क्योंकि सिविल इकलौता सरकारी अस्पताल है जिसकी बर्न यूनिट में सबसे ज्यादा मरीजों को इलाज किया जाता है। हालांकि सिविल अस्पताल के अवसर पर यूनिट के समान मरीजों का इलाज 7 की पुरानी बिल्डिंग के समान वर्ल्ड को वर्ल्ड बनाकर कर रहे हैं यहां पर 15 से अधिक मरीज भर्ती हैं। बर्न यूनिट में गंभीर मरीजों के लिए जगह बनाने की कोशिश की जा रही है। गर्मी आते ही सिविल अस्पताल में बर्न यूनिट में मरीजों की संख्या बढ़ गई है। जिससे सिविल अस्पताल का यूनिट ओवरलोड हो गया है। सिविल अस्पताल में यूनिट में करीब 50 वोटों की संख्या उपलब्ध है। लेकिन अब मरीजों की संख्या 50 के ऊपर बढ़ गई है। जिसकी वजह से इन मरीजों को अब उनकी जगह वार्ड में शिफ्ट किया जाने लगा है। जिससे मरीजों को इलाज दिया जा सके। हालात ऐसे हो चले हैं कि अब सिविल अस्पताल में रोजाना करीब 5 से 6 मरीजों की संख्या वार्ड में भर्ती की जा रही है। जिससे साफ है की सिविल अस्पताल की बर्न यूनिट की व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। इन भर्ती मरीजों की संख्या के बीच वही सिविल अस्पताल की बर्न यूनिट में सिर्फ एक सर्जन मरीजों की देख रेख के लिए उपलब्ध है। सभी मरीज सिर्फ एक सर्जन के भरोसे ही सिविल अस्पताल में मौजूद हैं।

इसके साथ ही बलरामपुर अस्पताल में आग के शिकार हुए मरीजों को राहत देने के लिए बर्न यूनिट तक उपलब्ध नहीं है। बलरामपुर अस्पताल में सिर्फ बर्न वार्ड बनाए गए हैं। जिसमें इन मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने का दावा किया जाता है। हालांकि यहां पर करीब 10 से 15 वोटों की संख्या मरीजों के लिए उपलब्ध है। जिनमें करीब 5 बेड अभी भी खाली है। लेकिन बलरामपुर अस्पताल में इन मरीजों के लिए कोई बर्न यूनिट तक नहीं बनाई गई है। यहां पर मरीजों को सिर्फ बर्न वार्ड में ही रखा जाता है अव्यवस्था की वजह से मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि गर्मी होने की वजह से आग लगने की घटनाएं भी इस बीच काफी तेज हो गई है।जिसकी वजह से अस्पतालों मे जलने वाले मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।

सिविल अस्पताल की बर्न यूनिट में एसी तक नही

सिविल अस्पताल में बड़ी मुश्किल से जब मरीजों को किसी तरह यहां पर इलाज मिलने की संभावनाएं बन भी पाती हैं तो उनका इलाज पहले तो एक सर्जन के भरोसे ही किसी तरह चलता रहता है। लेकिन उसके बाद यहां पर बर्न यूनिट मे उन्हें और दर्द तब मिलता है। जब इन वार्डो में किसी भी तरह के एयर कंडीशन की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है। बढ़ती गर्मी के प्रकोप में आग से जले हुए मरीजों को जहां ठंडक आराम देगी तो लेकिन वहां पर सिविल अस्पताल में यह अव्यवस्था मरीजों के जले पर नमक छिड़कने का काम कर रही।

वाक थ्रू- सिविल हॉस्पिटल से
बाइट- एच एस दानू, निदेशक, सिविल अस्पताल
बाइट- राजीव लोचन, निदेशक, बलरामपुर अस्पताल



Conclusion:एन्ड पीटीसी
शुभम पाण्डेय
7054605976
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