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कृष्णानंद राय के वकील बोले, दो गवाह और एक कॉल रिकॉर्डिंग बदल सकता था केस का रुख

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Published : Jul 4, 2019, 12:10 AM IST

गाजीपुर के कृष्णानंद राय हत्याकांड में वकील रहे वरिष्ठ अधिवक्ता रामाधार राय ने ईटीवी भारत से बातचीत की. उन्होंने कहा कि केस में जो अहम गवाह थे उनकी गवाही नहीं होने की वजह से सभी आठ आरोपी बरी हो गए.

वरिष्ठ अधिवक्ता रामाधार राय

गाजीपुर: बहुचर्चित कृष्णानंद राय हत्याकांड में बुधवार को दिल्ली की एक कोर्ट ने मुख्तार अंसारी और गाजीपुर के मौजूदा सांसद अफजाल अंसारी समेत आठ लोगों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है. वहीं इस वाद में वकील रहे वरिष्ठ अधिवक्ता रामाधार राय से ईटीवी भारत ने बातचीत की तो उन्होंने कहा कि इस मामले में जो अहम गवाह थे, उन्होंने अपनी गवाही पूरी नहीं की जिससे केस हल्का हो गया और ये लोग छूट गए.

वरिष्ठ अधिवक्ता रामाधार राय ने ईटीवी भारत से की बातचीत.

मामले में अहम गवाह रहे शशिकांत राय और मनोज गौड़

वकील रामाधार ने कहा कि ये दोनों गवाह पूरे केस का रुख बदलने का माद्दा रखते थे. शशिकांत राय वारदात के बाद गाड़ी में ही घायल पड़े हुए थे. उनकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. बाद में जिंदा बचे मनोज गौड़ जो वारदात के वक्त खेत में काम कर रहा था. उसकी भी हत्या संदिग्ध परिस्थितियों में हो जाने से गवाही नहीं हुई. जिसके चलते इस केस में अंसारी बंधुओं को काफी फायदा पहुंचा.

फैजाबाद जेल में माफिया डॉन अभय सिंह की कॉल रिकॉर्डिंग थी अहम कड़ी

कॉल रिकॉर्डिंग इस पूरे केस का रुख बदलने का माद्दा रखती थी. इस कॉल रिकॉर्डिंग को शासन ने उपलब्ध कराया था. रिकॉर्डिंग में आरोपी मुख्तार अंसारी द्वारा पूरे घटनाक्रम का सबूत मांगा जा रहा था. कॉल पर मौजूद अभय सिंह ने कृष्णानंद राय की चोटी काटकर सबूत स्वरूप रखने की बात कही थी. इस हत्याकांड के बाद विधायक कृष्णानंद राय की चुटिया यानी शिखा को वारदात को अंजाम देने वालों ने काट लिया था. कॉल रिकॉर्डिंग की जांच के लिए तत्कालीन वकील रामाधार राय ने जांच के लिए न्यायालय में अर्जी दी थी लेकिन कोर्ट ने अर्जी को खारिज कर दिया था.


वकील रामाधार ने कहा कि इन दो अहम कड़ियों के इस केस से हटने की वजह से कृष्णानंद राय हत्याकांड का मुकदमा काफी हल्का हो गया. वहीं कुछ अन्य गवाहों ने भी बाहुबली से जुड़ा मामला होने के कारण पूरे मामले से किनारा कर लिया या जिला छोड़कर चले गए. जिसका लाभ आरोपियों को मिला और केस कमजोर हो गया. सभी आरोपी बरी हो गए. रामाधार राय का दावा है कि अगर यह दो अहम कड़ियां होतीं तो सभी आरोपियों को जरूर सजा होती.

Intro:कृष्णानंद राय हत्याकांड : 2 गवाह और एक कॉल रिकॉर्डिंग की जांच से बदल सकता था पूरे केस का रुख

गाजीपुर। 29 नवम्बर 2005 को मोहम्दाबाद, गाज़ीपुर के भारतीय जनता भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन विधायक रहे कृष्णानंद राय समेत सात लोगों की हत्या के मामले में सीबीआई कोर्ट ने  मुख्तार अंसारी और गाजीपुर के मौजूदा सांसद अफजाल अंसारी समेत 7 से ज्यादा लोगों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। इस पूरे मामले में दो प्रत्यक्ष दर्शी गवाह की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत और मुख्तार अंसारी की कॉल रिकॉर्डिंग की जांच इस पूरे केस का रुख बदल सकता था। इस केस में उस कॉल रिकॉर्डिंग का जिक्र तक नहीं है। क्योंकि जज का आदेश न मिलने पर 9 उसकी जांच हो सकी ना वह पत्रावली में बतौर साक्ष्य शामिल हो सकी।







Body:इस मामले में गाज़ीपुर के जिला व सत्र न्यायालय में काफी दिनों तक इस वाद में वकील रहे वरिष्ठ अधिवक्ता रामाधार राय से बात की। उन्होंने बताया इस मामले में जो अहम गवाह थे, उन्होंने अपनी गवाही पूरी नहीं की और वह अपनी गवाही से भाग गए। इसलिए इस केस में बाहुबली मऊ एमएलए मोख्तार अंसारी समेत सभी आरोपी बरी हो गए।

पहली कड़ी थी दो अहम गवाह। हत्याकांड कि इस मामले में अहम गवाह रहे शशिकांत राय और मनोज गौड़ इस पूरे केस का रुख बदलने का माद्दा रखते थे। शशिकांत राय वारदात के बाद गाड़ी में ही घायल पड़े हुए थे। उन की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। बाद में जिंदा बचे मनोज गौड़ जो वारदात के वक्त वहां खेत में एक काम नाम का व्यक्ति कर रहा था। दोनों की भी हत्या संदिग्ध परिस्थितियों में हो जाने से इनकी भी गवाही नहीं हुई। जिसके चलते इस केस में अंसारी बंधुओं को काफी फायदा पहुंचा।

दूसरी अहम कड़ी थी फैजाबाद के जेल में माफिया डॉन अभय सिंह से बात करने वाली कॉल रिकॉर्डिंग। जो इस पूरे केस का रुख बदलने का माद्दा रखती थी। मिस कॉल रिकॉर्डिंग को शासन ने उपलब्ध कराया था। रिकॉर्डिंग में आरोपी मुख्तार अंसारी द्वारा पूरे घटनाक्रम का सबूत मांगा जा रहा था। कॉल पर मौजूद अभय सिंह ने कृष्णानंद राय की चोटी काटकर सबूत स्वरूप रखने की बात कही थी। आपको बता दें कि इस पूरे हत्याकांड के बाद विधायक कृष्णानंद राय की चुटिया यानी शिखा को वारदात को अंजाम देने वालों ने काट लिया था। कॉल रिकॉर्डिंग की जांच के लिए तत्कालीन वकील रामाधार राय ने जांच के लिए न्यायालय में अर्जी दी थी। लेकिन कोर्ट ने अर्जी को खारिज कर दिया था।


Conclusion:इन दो अहम कड़ियों के इस केस से हटने की वजह से कृष्णानंद राय हत्याकांड का मुकदमा काफी हल्का हो गया। वहीं कुछ अन्य गवाह भी बाहुबली से जुड़ा मामला होने के कारण पूरे मामले से किनारा कर लिया या जिले को छोड़कर चले गए। जिसका लाभ आरोपियों को मिला और केस कमजोर हो गया। सभी आरोपी बरी हो गए। वह इस पूरे मामले में रामाधार राय का दावा है कि अगर यह दो अहम कड़िया होती तो सभी आरोपियों को जरूर सजा होती।

बाइट - रामाधार राय ( कृष्णानंद राय हत्याकांड के पूर्व वकील )

उज्जवल कुमार राय, 7905590960

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