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क्यों होती है कैदियों की समय पूर्व रिहाई, जानिए सरकार किसे देती है मौका

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 25, 2023, 7:51 AM IST

कवियत्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड के दोषी अमरमणि त्रिपाठी उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को समय से पहले जेल से रिहा करने का आदेश हुआ है. ऐसे में सवाल यह है कि उन्हें इस सुविधा का लाभ क्यों दिया जा रहा है. आइए जानें क्या हैं समय पूर्व रिहाई के नियम.

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लखनऊ : नौ मई 2003 को राजधानी लखनऊ की पेपरमिल कॉलोनी में रहने वाली कवियत्री मधुमिता शुक्ला की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. इस मामले में पवन पांडे, संतोष राय के अलावा तत्कालीन बसपा सरकार में मंत्री अमरमणि त्रिपाठी उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी और भतीजे रोहितमणि त्रिपाठी का नाम आया था. पहले पुलिस और सीबीसीआईडी और बाद में सीबाआई की जांच में अमरमणि त्रिपाठी और मधुमणि को दोषी पाया गया. इस मामले में लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद 24 अक्टूबर 2007 को देहरादून सेशन कोर्ट ने पांचों लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी. तब से दोनों गोरखपुर जेल में उम्र कैद की सजा काट रहे थे.

समय से पहले जेल से रिहाई का नियम.
समय से पहले जेल से रिहाई का नियम.

किन कैदियों को सरकार देती है समय पूर्व रिहाई

  • सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद यूपी सरकार ने नई स्थाई नीति बनाई थी.
  • यूपी में सिद्धदोष बंदियों की रिहाई की योग्यता को दो भाग में वर्गीकरण किया गया है, महिलाओं और पुरुष बंदियों के लिए अलग अलग.
  • महिला बंदी, जिन्होंने विचाराधीन अवधि सहित 14 वर्ष की अपरिहार या 16 वर्ष की सपरिहार सजा पूरी कर ली हो.
  • सिद्धदोष पुरुष बंदी, जिन्होंने विचाराधीन अवधि सहित 16 वर्ष की अपरिहार व 20 वर्ष की सपरिहार सजा पूरी कर ली हो.
  • इसके अलावा शासन द्वारा निर्धारित 12 तरह की गंभीर बीमारियों से पीड़ित ऐसे सिद्धदोष बंदियों जिन्होंने 10 वर्ष की अपरिहार व 12 वर्ष की सपरिहार सजा पूरी कर ली हो.
  • आजीवन कारावास से दंडित ऐसे सिद्धदोष बंदी जिन्होंने 70 वर्ष की आयु पूरी की हो आए 12 वर्ष की अपरिहार और 14 वर्ष की सपरिहार सजा पूरी की हो.
  • सिद्धदोष बंदी जिन्होंने 80 वर्ष की आयु पूरी कर ली हो और विचाराधीन अवधि सहित 10 वर्ष की अपरिहार व 12 वर्ष की सपरिहार सजा काट ली हो.
  • वह सिद्धदोष बंदी जिन्होंने विचाराधीन अवधि सहित 20 वर्ष की अपरिहार तथा 25 वर्ष की सपरिहार सजा पूरी कर ली हो उन्हे समय से पूर्व रिहाई के लिए पात्र माना गया है.
समय से पहले जेल से रिहाई का नियम.
समय से पहले जेल से रिहाई का नियम.

ऐसे कैदियों को दी जाती समय पूर्व रिहाई

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद यूपी सरकार ने नई स्थाई नीति बनाई थी. यूपी में सिद्धदोष बंदियों की रिहाई की योग्यता को दो भाग में वर्गीकरण किया गया है जो महिलाओं और पुरुष बंदियों के लिए अलग अलग हैं. महिला बंदी, जिन्होंने विचाराधीन अवधि सहित 14 वर्ष की अपरिहार या 16 वर्ष की सपरिहार सजा पूरी कर ली हो. सिद्धदोष पुरुष बंदी, जिन्होंने विचाराधीन अवधि सहित 16 वर्ष की अपरिहार व 20 वर्ष की सपरिहार सजा पूरी कर ली हो. इसके अलावा शासन द्वारा निर्धारित 12 तरह की गंभीर बीमारियों से पीड़ित ऐसे सिद्धदोष बंदियों जिन्होंने 10 वर्ष की अपरिहार व 12 वर्ष की सपरिहार सजा पूरी कर ली हो. आजीवन कारावास से दंडित ऐसे सिद्धदोष बंदी जिन्होंने 70 वर्ष की आयु पूरी की हो आए 12 वर्ष की अपरिहार और 14 वर्ष की सपरिहार सजा पूरी की हो. सिद्धदोष बंदी जिन्होंने 80 वर्ष की आयु पूरी कर ली हो और विचाराधीन अवधि सहित 10 वर्ष की अपरिहार व 12 वर्ष की सपरिहार सजा काट ली हो. सिद्धदोष बंदी जिन्होंने विचाराधीन अवधि सहित 20 वर्ष की अपरिहार तथा 25 वर्ष की सपरिहार सजा पूरी कर ली हो उन्हे समय से पूर्व रिहाई के लिए पात्र माना गया है.

समय से पहले जेल से रिहाई का नियम.
समय से पहले जेल से रिहाई का नियम.


उत्तर प्रदेश की जेलों में यह भी हुआ बदलाव

योगी सरकार ने अंग्रेजों के समय के जेल मैनुअल में बड़ा बदलाव किया है जो 1941 में बनाया गया था. इसके तहत अब काला पानी की सजा खत्म कर दी गई है. इसके साथ ही नए जेल मैनुअल के बाद बड़े बदलाव उत्तर प्रदेश की जेलों में देखने को मिलेंगे. जिसके तहत अब रिहाई के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना होगा. डिजिटल सिस्टम-फास्ट सिस्टम के अंतर्गत कोर्ट से रिहाई का आदेश व ई ऑथेंटिकेटेड कॉपी को सही मानकर रिहाई कर दी जाएगी. इसके अलावा नए मैनुअल में महिलाओं के नहाने, कपड़ा धोने के लिए साबुन की व्यवस्था की गई है और सरसों तेल की जगह नारियल तेल, बाल झड़ने के लिए शैंपू भी दिए जाएंगे.

समय से पहले जेल से रिहाई का नियम.
समय से पहले जेल से रिहाई का नियम.

नए जेल मैनुअल के तहत जेल में मां के रहने पर छह साल तक के बच्चों के लिए सुविधा की गई है. जिसमें नर्सरी होगी, जहां बच्चों की देखभाल की जाएगी. इन बच्चों की शिक्षा, दीक्षा और मनोरंजन के लिए व्यापक संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे. मां की अनुमति के बाद जेल के बाहर किसी एजुकेशन इंस्टीट्यूट में बच्चों का दाखिला भी कराया जाएगा. आने-जाने के लिए वाहन की भी सुविधा की जाएगी. टीबी (क्षय रोग) जैसी बीमारियों से ग्रस्त मरीजों के इलाज की सुविधा भी दी जाएगी.


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