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ममता ने अपने ट्विटर अकाउंट पर राज्यपाल जगदीप धनखड़ को किया ब्लॉक

प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच अविश्वास की खाई बढ़ती ही जा रही है. आज मुख्यमंत्री ने अपने ट्विटर अकाउंट पर राज्यपाल को ब्लॉक कर दिया. बनर्जी ने कहा कि धनखड़ ने कई बार मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को धमकाया है.

mamata , jagdeep dhankhar
ममता बनर्जी, जगदीप धनखड़
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Published : Jan 31, 2022, 5:10 PM IST

Updated : Jan 31, 2022, 8:02 PM IST

कोलकाता : प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच अविश्वास की खाई बढ़ती ही जा रही है. आज मुख्यमंत्री ने अपने ट्विटर अकाउंट पर राज्यपाल को ब्लॉक कर दिया. ममता ने कहा कि बार-बार शिकायत करने के बावजूद प्रधानमंत्री ने राज्यपाल को वापस नहीं बुलाया है. बनर्जी ने कहा कि धनखड़ ने कई बार मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को धमकाया है.

आपको बता दें कि टीएमसी ने बजट सत्र के दौरान राज्यपाल के खिलाफ राज्यसभा में प्रस्ताव लाने का फैसला किया है. पिछले सप्ताह ही राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा था. इसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि राज्य सरकार संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार कार्य करने में असमर्थ है. 25 जनवरी को लिखा गया उनका पत्र तब सामने आया, जब उन्होंने इसे अपने ट्विटर हैंडल पर अपलोड किया. धनखड़ ने ममता बनर्जी से पेगासस अधिसूचना और महामारी में खरीद संबंधी पूछताछ, बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट और बंगाल एरोट्रोपोलिस परियोजना, जीटीए, एमएए कैंटीन और राज्य वित्त आयोग के बारे में जल्द से जल्द जानकारी उपलब्ध कराने की अपील की थी.

राज्यपाल ने उस पत्र में यह भी कहा कि हमने पिछले साल 26 जुलाई को कुछ जानकारी मांगी गई थी, लेकिन सरकार ने गैर-प्रतिक्रियात्मक रुख बनाए रखा. राजभवन से कई पत्र भेजकर जानकारी मांगे जाने का जिक्र करते हुए धनखड़ ने पत्र में मुख्यमंत्री को उनके संवैधानिक दायित्वों की याद दिलाई और कहा कि यह उनका कर्तव्य है कि राज्य के मामलों और प्रशासन से संबंधित जानकारी वह प्रस्तुत करें. उन्होंने लिखा है कि राज्यपाल द्वारा मांगी गई जानकारी की जांच नहीं की जा सकती. जानकारी नहीं देने का संकेत यह होगा कि राज्य सरकार संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार कार्य करने में असमर्थ है.

दूसरी ओर ममता बनर्जी ने कहा कि राज्यपाल हमें काम करने नहीं देते हैं. वे बिल को पास नहीं होने देते हैं. संसद सत्र की शुरुआत होने से पहले टीएमसी नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने मीडिया से कहा कि राज्यपाल की भूमिका इस वक्त अलार्मिंग स्थिति तक पहुंच चुकी है. ऐसा लगता है कि उन्हें प.बंगाल में राज्य सरकार को शर्मिंदा करने के लिए ही भेजा गया है और इसका उन्हें एक खाका सौंपा गया है. उन्होंने कहा कि हमारे देश के राष्ट्रपति चुनकर आते हैं. उनका काफी सम्मान होता है. लेकिन राज्यपाल की नियुक्ति होती है. नियुक्ति पाने वाले ऐसे व्यक्ति राज्य सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप करते हैं, वह भी उस सरकार के खिलाफ जिसे दो-तिहाई बहुमत मिला है. इसलिए इस विषय पर विचार करने की जरूरत है. हम इस विषय को दोनों सदनों में भी उठाएंगे.

ये भी पढ़ें : R-Day Parade: शुभेंदु बोले- ममता को नहीं पच रही नंदीग्राम की हार, नहीं किया आमंत्रित

कोलकाता : प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच अविश्वास की खाई बढ़ती ही जा रही है. आज मुख्यमंत्री ने अपने ट्विटर अकाउंट पर राज्यपाल को ब्लॉक कर दिया. ममता ने कहा कि बार-बार शिकायत करने के बावजूद प्रधानमंत्री ने राज्यपाल को वापस नहीं बुलाया है. बनर्जी ने कहा कि धनखड़ ने कई बार मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को धमकाया है.

आपको बता दें कि टीएमसी ने बजट सत्र के दौरान राज्यपाल के खिलाफ राज्यसभा में प्रस्ताव लाने का फैसला किया है. पिछले सप्ताह ही राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा था. इसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि राज्य सरकार संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार कार्य करने में असमर्थ है. 25 जनवरी को लिखा गया उनका पत्र तब सामने आया, जब उन्होंने इसे अपने ट्विटर हैंडल पर अपलोड किया. धनखड़ ने ममता बनर्जी से पेगासस अधिसूचना और महामारी में खरीद संबंधी पूछताछ, बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट और बंगाल एरोट्रोपोलिस परियोजना, जीटीए, एमएए कैंटीन और राज्य वित्त आयोग के बारे में जल्द से जल्द जानकारी उपलब्ध कराने की अपील की थी.

राज्यपाल ने उस पत्र में यह भी कहा कि हमने पिछले साल 26 जुलाई को कुछ जानकारी मांगी गई थी, लेकिन सरकार ने गैर-प्रतिक्रियात्मक रुख बनाए रखा. राजभवन से कई पत्र भेजकर जानकारी मांगे जाने का जिक्र करते हुए धनखड़ ने पत्र में मुख्यमंत्री को उनके संवैधानिक दायित्वों की याद दिलाई और कहा कि यह उनका कर्तव्य है कि राज्य के मामलों और प्रशासन से संबंधित जानकारी वह प्रस्तुत करें. उन्होंने लिखा है कि राज्यपाल द्वारा मांगी गई जानकारी की जांच नहीं की जा सकती. जानकारी नहीं देने का संकेत यह होगा कि राज्य सरकार संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार कार्य करने में असमर्थ है.

दूसरी ओर ममता बनर्जी ने कहा कि राज्यपाल हमें काम करने नहीं देते हैं. वे बिल को पास नहीं होने देते हैं. संसद सत्र की शुरुआत होने से पहले टीएमसी नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने मीडिया से कहा कि राज्यपाल की भूमिका इस वक्त अलार्मिंग स्थिति तक पहुंच चुकी है. ऐसा लगता है कि उन्हें प.बंगाल में राज्य सरकार को शर्मिंदा करने के लिए ही भेजा गया है और इसका उन्हें एक खाका सौंपा गया है. उन्होंने कहा कि हमारे देश के राष्ट्रपति चुनकर आते हैं. उनका काफी सम्मान होता है. लेकिन राज्यपाल की नियुक्ति होती है. नियुक्ति पाने वाले ऐसे व्यक्ति राज्य सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप करते हैं, वह भी उस सरकार के खिलाफ जिसे दो-तिहाई बहुमत मिला है. इसलिए इस विषय पर विचार करने की जरूरत है. हम इस विषय को दोनों सदनों में भी उठाएंगे.

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Last Updated : Jan 31, 2022, 8:02 PM IST

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