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मैं निजीकरण के खिलाफ नहीं, लेकिन अमीर और गरीब के बीच बहुत बड़ी खाई- सांसद वरुण गांधी

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Published : May 15, 2023, 5:20 PM IST

Updated : May 15, 2023, 9:07 PM IST

सांसद वरुण गांधी इंदौर दोरे पर पहुंचे, जहां से उन्होंने मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला. इसी दौरान उन्होंने निजीकरण और बेरोजगारी के मुद्दे पर जोर देते हुए लोगों को अमीर और गरीब के बीच का अंतर भी समझाया.

Varun Gandhi in indore
एमपी दौरे पर सांसद वरुण गांधी

इंदौर पहुंचे वरुण गांधी

इंदौर। मोदी के मिशन 2024 के पहले ही उनकी ही समर्थक पार्टियों के कई सांसद अब निजीकरण और बेरोजगारी के मुद्दे पर मोदी सरकार के खिलाफ हैं, यही वजह है कि कई अवसरों पर ऐसे मामलों में सांसद मोदी सरकार की नीतियों का ही विरोध करते नजर आते हैं. इंदौर में अभ्यास मंडल के एक ऐसे ही कार्यक्रम में पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी बेरोजगारी और निजीकरण के मुद्दे पर मोदी सरकार के खिलाफ मुखर नजर आए, उन्होंने कहा कि "देश में आज सरकारी नौकरियों के 1 करोड़ पद खाली पड़े हैं, जो पद भरे जा रहे हैं वह संविदा से भरे जा रहे हैं. युवाओं को स्वरोजगार के लिए ऋण नहीं मिल रहा है, क्योंकि पब्लिक सेक्टर के बैंक कुल बैंक लोन का 1 फीसदी भी जरूरतमंदों को नहीं दे रहे हैं, जबकि सारा लोन देश के अरबपति उद्योगपतियों को दे दिया जाता है."

वरुण गांधी ने मोदी सरकार को घेरा: देश की आर्थिक नीतियों पर लगातार बयान देने वाले वरुण गांधी ने इंदौर में मोदी सरकार को जमकर घेरा. उन्होंने कहा कि "वर्तमान में पब्लिक सेक्टर के बैंक 71 फीसदी लोन ऐसे उद्योगपतियों को देते हैं, जिनकी हजार करोड़ से ज्यादा सालाना इनकम है. 20 परसेंट लोन उन उद्योगों को जाता है, जो 100 करोड़ से लेकर 1000 करोड़ के बीच में सालाना लेनदेन करते हैं. इसका मतलब 91 परसेंट लोन इस देश के प्राइवेट सेक्टर बैंक का जा रहा है, पिछले 10 वर्षों में यदि डेढ़ सौ करोड़ हिंदुस्तानियों का संपूर्ण बैक लोन की तुलना उद्योगपतियों के लोन से की जाए तो यह एक चीज भी नहीं है, क्योंकि देश के 20 सबसे बड़े उद्योगपति उनके बैंक लोन 5 लाख 60 हजार करोड़ है. यह सोचने की बात है कि गरीब देश को नहीं खा रहा है, जो खा रहा है वह कौन है. यह बात मैंने आपके सामने रख दी है."

निजीकरण और बेरोजगारी के मुद्दे पर दिया जोर: वरुण गांधी ने कहा कि "भारत सरकार में और सभी प्रदेश सरकार को जोड़ते हुए एक करोड़ सरकारी पद खाली है, फिलहाल केंद्र की हो या राज्य की सभी को संविदा की नौकरी पर दी जा रही है, पिछले 3 सालों में 93% नौकरियां संविदा पर दी गई है. मैं निजीकरण के खिलाफ नहीं हूं, मैं जानता हूं कि निजीकरण के लिए एक आर्थिक संरचना का हिस्सा होता है, लेकिन यदि निजी करण हर चीज का होगा तो इंदौर का नौजवान पीलीभीत का नौजवान क्या नौकरी पाएगा और क्या ज्यादातर दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु के युवा नौकरी पाएंगे सोचने का विषय है."

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अमीर और गरीब के बीच बहुत बड़ी खाई: सांसद वरुण गांधी ने कहा कि "पब्लिक सेक्टर जॉब के नीट, एसएससी या अन्य एग्जाम हो उसके लिए देश भर के 42 करोड लोगों ने एग्जाम दिया था, उसमें मात्र 8 लाख लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ है. उसका प्रतिशत क्या है, आप समझ सकते हैं. अब सवाल यह उठता है कि नौजवान जाएगा कहां. लैंबॉर्गिनी गाड़ी जो 6.30 करोड़ की गाड़ी है, जिसकी वेटिंग लिस्ट 3 साल की है हिंदुस्तान में.. जबकि टू व्हीलर, थ्री व्हीलर की सेल पिछले 3 वर्षों में आधी हो गई है. जो मोबाइल फोन ₹1 लाख से ऊपर है, उनकी बिक्री डबल हो गई है और जो 40 हजार से नीचे का फोन है, उनकी बिक्री आधी हो गई है. यह अमीर और गरीब के बीच बहुत बड़ी खाई बनती जा रही है, यह देश के लिए चिंता का विषय है."

Last Updated : May 15, 2023, 9:07 PM IST
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