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जल संरक्षण के प्रयासों में उत्तर प्रदेश को पहला, राजस्थान को दूसरा स्थान मिला

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Published : Jan 8, 2022, 6:25 AM IST

Updated : Jan 8, 2022, 6:32 AM IST

इस अवसर पर शेखावत ने कहा, जल जीवन का मूल है. भारत में पानी की वर्तमान जरूरत प्रति वर्ष लगभग 1,100 बिलियन क्यूबिक मीटर अनुमानित है, जिसके वर्ष 2050 तक 1,447 बिलियन क्यूबिक मीटर तक बढ़ जाने का अनुमान है.

तीसरे राष्ट्रीय जल पुरस्कार-2020 की घोषणा
तीसरे राष्ट्रीय जल पुरस्कार-2020 की घोषणा

नई दिल्ली: जल संरक्षण (water conservation) के क्षेत्र में प्रयासों के लिये तीसरे राष्ट्रीय जल पुरस्कार-2020 में उत्तर प्रदेश को पहला स्थान मिला है, जबकि राजस्थान ने दूसरा स्थान (rajasthan got second place in water conservation efforts ) हासिल किया है. जल शक्ति मंत्रालय ने यह जानकारी दी.

मंत्रालय के बयान के अनुसार, जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने शुक्रवार को तीसरे राष्ट्रीय जल पुरस्कार-2020 (National Water Awards-2020) की घोषणा की, जिसमें सर्वश्रेष्ठ राज्य श्रेणी में उत्तर प्रदेश को प्रथम पुरस्कार मिला. इसमें कहा गया है कि राजस्थान को द्वितीय और तमिलनाडु को तृतीय पुरस्कार मिला है.

इस अवसर पर शेखावत ने कहा, जल जीवन का मूल है. भारत में पानी की वर्तमान जरूरत प्रति वर्ष लगभग 1,100 बिलियन क्यूबिक मीटर अनुमानित है, जिसके वर्ष 2050 तक 1,447 बिलियन क्यूबिक मीटर तक बढ़ जाने का अनुमान है. उन्होंने कहा कि एक संसाधन के रूप में पानी भारत के लिए महत्वपूर्ण है, जो दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है.

जल शक्ति मंत्री ने कहा कि भारत में दुनिया की पूरी आबादी का 18 प्रतिशत से अधिक लोग रहते हैं, लेकिन इसके पास दुनिया के नवीकरणीय जल संसाधनों का केवल 4 प्रतिशत हिस्सा है. उन्होंने कहा कि इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि सतही जल और भूजल जल चक्र का अभिन्न अंग हैं, देश में जल संसाधन प्रबंधन के प्रति समग्र दृष्टिकोण अपनाने के लिए हितधारकों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय पुरस्कार स्थापित किया गया.

पीटीआई-भाषा

Last Updated : Jan 8, 2022, 6:32 AM IST
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