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यूपी का एक ऐसा विद्यालय जहां न छात्र हैं न शिक्षक, फिर भी हर दिन समय से खुलता और बंद होता

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Published : Jul 22, 2023, 5:19 PM IST

ये अनोखा स्कूल उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में है. खास बात यह है कि शिक्षक और छात्र नहीं होने के बाद भी स्कूल समय से खुलता और बंद होता है. आईए जानते हैं स्कूल में शिक्षक और छात्र क्यों नहीं हैं.

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यूपी के अनोखे स्कूल पर संवाददाता जय प्रकाश सिंह की स्पेशल रिपोर्ट

मिर्जापुर: उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था का स्तर कैसा है इसे राज्य के सरकारी स्कूलों से पता किया जा सकता है. कहीं शिक्षकों की भरमार है तो छात्र नहीं हैं और कहीं छात्र हैं तो शिक्षक नहीं हैं. लेकिन, मिर्जापुर में एक स्कूल ऐसा है जिसमें न शिक्षक हैं और ना ही छात्र, फिर भी यह स्कूल समय पर खुलता और समय पर ही बंद भी होता है.

दरअसल, स्कूल में जो एक शिक्षिका तैनात थी वह 2017 में रिटायर हो गईं. उसके बाद कोई नियुक्ति नहीं होने से छात्राओं ने भी स्कूल आना बंद कर दिया. स्कूल के दो फोर्थ ग्रेड के कर्मचारी की नौकरी अभी बची है, जो हर दिन समय से आते हैं स्कूल को खोलते हैं. समय हो जाने पर स्कूल को बंद कर वापस घर चले जाते हैं. बीएसए का इस बारे में कहना है कि मामला संज्ञान में आया है. शासन तक बात पहुंचाई जाएगी. मामला मिर्जापुर नरायनपुर ब्लॉक के कोलना गांव में बने राजकीय जूनियर हाई स्कूल का है.

School in UP
स्कूल की महिला कर्मचारी जो रोज आकर स्कूल खोलती है.

यूपी के मिर्जापुर का अनोखा स्कूलः उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर नरायनपुर ब्लॉक के कोलना गांव के विद्यालय में 2017 में 12 छात्रा और एक शिक्षिका थीं. शिक्षिका के रिटायरमेंट बाद छात्राओं ने भी आना बंद कर दिया. फिर भी हरदिन विद्यालय में तैनात दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी आते हैं, साफ-सफाई करते हैं और पूरे दिन ड्यूटी देकर शाम को घर लौट जाते हैं. इस राजकीय जूनियर हाई स्कूल को 59 साल पहले खोला गया था. क्षेत्र की लड़कियों को शिक्षा से जोड़कर उनके विकास को ध्यान में रखकर उस समय शिक्षा के क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ रखने वाले गांव के स्व. कृष्ण कुमार सिंह ने राजकीय विद्यालय खोलने के लिए अपनी 6 बीघा जमीन दी थी. राजगढ़ एवं चुनार विधान सभा क्षेत्र से 1952 से 1980 के बीच कई बार विधायक रहे कृष्ण कुमार सिंह के चचेरे भाई राज नारायण सिंह के सहयोग से राजकीय जूनियर हाईस्कूल की 1963 में स्थापना हुई थी.

School in UP
स्कूल में सिर्फ ये दो ही कर्मचारी तैनात हैं, न कोई शिक्षक है और ना ही बच्चे.

स्कूल के लिए दान की गई थी छह बीघा जमीनः राजकीय जूनियर हाईस्कूल कोलना लगभग 6 बीघे जमीन में बना है. इस विद्यालय से पढ़ाई करने वाली छात्राएं उच्च शिक्षा ग्रहण कर डॉक्टर और शिक्षक के पदों पर पहुंच गयीं है. वर्ष-2017 में विद्यालय की शिक्षिका रामश्वारी देवी के प्रधानाध्यापक पद से सेवानिवृत्त होने के बाद किसी शिक्षक की तैनाती नहीं हुई. शिक्षक न होने के चलते छात्राओं ने भी स्कूल आना बंद कर दिया. फिर भी प्रतिदिन विद्यालय खुलता है और साफ सफाई भी होती है. इसकी जिम्मेदारी स्कूल में तैनात चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी रामचंद्र दीक्षित और शकीला के पास है. छह वर्षों से दोनों नियमित विद्यालय आते हैं. भवन और परिसर की साफ-सफाई करने के बाद दोनों दिन भर ड्यूटी करने के बाद शाम को घर वापस लौट जाते है.

स्कूल भवन हुआ जर्जरः देखरेख के अभाव में 59 साल पुराना भवन भी अब जर्जर होने लगा है. शिक्षिका रामश्वारी देवी के सेवानिवृत हो जाने के बाद से बच्चों ने भी विद्यालय आना पूरी तरह बंद कर दिया. उसके बाद से विद्यालय में किसी बच्चे का नामांकन भी नहीं हुआ. इसके साथ ही शिक्षकों की तैनाती को लेकर ग्रामीणों ने भी शासन को कई पत्र लिखे लेकिन उनका कोई खास असर अभी तक नहीं दिखाई पड़ा.

शासन तक शिकायत गई पर कुछ नहीं हुआः ग्रामीण सत्येंद्र कुमार सिंह ने जिले के अफसरों के साथ ही शासन को कई पत्र लिखकर विद्यालय में शिक्षकों के नियुक्ति की मांग की, लेकिन विभाग में बैठे अधिकारियों ने उनके पत्र पर अभी तक कोई ध्यान नहीं दिया. विद्यालय में अच्छी पढ़ाई होती थी गांव की कई छात्राएं यहां से पढ़कर नौकरी कर रही हैं. राजकीय विद्यालय के विशाल प्रांगण के बीच स्थाई हेलीपैठ बनाया गया है. जो अब रख रखाव के अभाव में टूट रहा है.

स्कूल उच्चीकृत करने की मांगः यहां बड़े-बड़े नेताओं के हेलीकॉप्टर लैंड करते थे. विद्यालय के बाउंड्री वॉल से लेकर भवन और पार्क सब धीरे-धीरे जर्जर हो रहा है. इसी तरह रहा तो आने वाले समय में एक दिन इसका नाम मिट जाएगा. ग्रामीणों की मांग है कि या तो इस विद्यालय को उच्चीकृत किया जाए इस भवन और जमीन का प्रयोग ट्रामा सेंटर अस्पताल बनाया जाए जिससे ग्रामीणों को लाभ मिल सके.

स्कूल में सिर्फ दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारीः विद्यालय में तैनात चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी रामचंद्र दीक्षित कहते हैं कि शिक्षक की तैनाती और बच्चों का नामांकन कराने की जिम्मेदारी शासन की है. 2017 में शिक्षिका की रिटायर होने के बाद यहां कोई नियुक्ति नहीं हुई बच्चे भी नहीं आते हैं. हम दो कर्मचारी हैं समय से आते हैं अपना ड्यूटी करते हैं. हमारा कार्य विद्यालय की देखभाल करना है. उसे हम बखूबी निभा रहे हैं.जब तक हमारी नौकरी है तब तक हम अपनी ड्यूटी कर रहे है. जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अनिल कुमार वर्मा नहीं बताया कि मामला संज्ञान में आया है इसको देखवाकर आवश्यक कार्रवाई जो होगी वह की जाएगी.

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