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SCO Summit 2022 : इन दो मुलाकातों पर रहेगी देश-दुनिया की नजर

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Published : Sep 15, 2022, 11:33 AM IST

Updated : Sep 15, 2022, 2:05 PM IST

उज्बेकिस्तान के समरकंद शहर में समिट (SCO Summit 2022) के दौरान सबकी नजर भारत पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की मुलाकात के साथ साथ चीन भारत के रिश्ते सुधारने की पहल को लेकर संभावित दिख रही चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग व पीएम मोदी की मुलाकात पर होगी.

PM Modi in SCO Summit ( File Photo)
PM Modi in SCO Summit ( File Photo)

नई दिल्ली : उज्बेकिस्तान के समरकंद शहर (Samarkand City of Uzbekistan) में 15 से 16 सितंबर के बीच शंघाई शिखर सम्मेलन (Shanghai Cooperation Organization Summit) आयोजित किया गया है. इस सम्मेलन में भारत, पाकिस्तान और चीन समेत कुल 13 देश शामिल होने जा रहे हैं. भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हिस्सा लेंगे. अबकी बार भारत को इस बैठक की अध्यक्षता करना है. इसीलिए इस बैठक में भारत का रोल काफी अहम माना जा रहा है. सबकी नजर पहली बार होने वाली भारत व पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की मुलाकात के साथ साथ चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के मुलाकात पर होगी. लेकिन अभी तक इन दोनों पड़ोसियों के प्रतिनिधियों से द्विपक्षीय वार्ता का कोई कार्यक्रम तय नहीं हो पाया है.

SCO Summit 2022 में भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय बैठक के बारे में पाकिस्तान से एक रिएक्शन आया है. पाकिस्तान की ओर से कहा गया है कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और उनके भारतीय समकक्ष नरेन्द्र मोदी के बीच द्विपक्षीय बैठक की मांग नहीं कर रहा है. अगर भारत की ओर से कोई प्रस्ताव आता है तो उस पर विचार किया जा सकता है. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता आसिम इफ्तिखार ने कहा है कि भारतीय प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात का कोई प्लान तैयार नहीं है. वहीं पाकिस्तान द न्यूज ने बताया है कि शरीफ और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच पहली मुलाकात होगी.

PM Modi in SCO Summit ( File Photo)
SCO Summit में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

चीन भारत के रिश्ते सुधारने की पहल
अगर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (China President Xi Jinping) और पीएम मोदी (PM Narendra Modi) की मुलाकात हुयी तो सीमाओं से सेना के न हटने का मुद्दा भी उठ सकता है. दावा किया जा रहा है कि लद्दाख के पेट्रोल प्वॉइट 15 से दोनों देशों की सेनाएं हट रही हैं. लेकिन लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में की सीमाओं पर जारी तनाव खत्म नहीं हुआ है. डोकलाम और लद्दाख में भी स्थितियां तनावपूर्ण बनी हुई हैं. पीएम मोदी और जिनपिंग के बीच 18 बार से ज्यादा मुलाकात हो चुकी हैं, लेकिन सीमा पर जारी संघर्ष को खत्म होने पर दोनों देशों के बीच कोई सहमति नहीं बन पा रही है.

पुतिन की मोदी के साथ मुलाकात
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister of India Narendra Modi) इस सप्ताह उज्बेकिस्तान में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन (Shanghai Cooperation Organization summit) से इतर मुलाकात करेंगे. इस मुलाकात के दौरान वह रणनीतिक स्थायित्व, एशिया प्रशांत क्षेत्र की स्थिति तथा संयुक्त राष्ट्र और जी-20 के सदस्य देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग के मुद्दों पर चर्चा करेंगे. इस बात की जानकारी क्रेमलिन की ओर से दी गई है.

SCO Summit ( File Photo)
SCO Summit के दौरान देशों के राष्ट्राध्यक्ष

क्या है शंघाई सहयोग संगठन (SCO Summit)
बीजिंग मुख्यालय वाला एससीओ चीन, रूस, भारत, पाकिस्तान के साथ-साथ चार मध्य एशियाई देशों – कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान से बना है. यह दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन है, जो यूरेशिया के लगभग 60% क्षेत्र, विश्व की 40% आबादी और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के 30% से अधिक को कवर करता है. एससीओ को एक तरह से अमेरिका के दबाव को कम करने वाला चीन का एक जवाब माना जा रहा था. विदेशी मामलों के जानकार लोगों का कहना था कि यह संगठन अमेरिका के प्रभाव वाले नाटो को रूस और चीन की ओर से जवाब था. साल 1996 में जब शंघाई इनीशिएटिव के तौर पर इसकी शुरुआत हुई थी.

SCO में 8 देश हैं शामिल
एससीओ के 8 सदस्य चीन, कजाख्‍स्तान, किर्गिस्तान, रूस, तजाकिस्तान, उज्‍बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान हैं. इसके अलावा चार ऑब्जर्वर देश अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया हैं. छह डायलॉग सहयोगी अर्मेनिया, अजरबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और तुर्की हैं. एससीओ का हेडक्‍वार्टर चीन की राजधानी बीजिंग में बनाया गया है.

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5 देशों ने की थी SCO की शुरुआत
SCO का मुख्यालय शंघाई में बनाया गया है. साल 1996 में चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस और ताजिकिस्तान के बीच आपसी सुरक्षा समझौता हुआ था, जिसे SCO कहते हैं. 15 जून 2001 को इन राष्ट्रों और उज्बेकिस्तान के नेताओं ने शंघाई में गहन राजनीतिक और आर्थिक सहयोग के साथ एक नए संगठन की घोषणा की थी. तब इसे शंघाई फाइव के नाम दिया गया था. एससीओ चार्टर पर 7 जुलाई 2002 को हस्ताक्षर किए गए थे और 19 सितंबर 2003 को यह लागू हो गया था. इसकी सदस्यता तब से आठ राष्ट्रों में विस्तारित हो गई है. एससीओ का मकसद नस्लीय और धार्मिक चरमपंथ का सामना करना था. इसके अलावा बिजनेस और इनवेस्‍टमेंट को बढ़ाना था. धीरे धीरे यह और मुद्दों तक विस्तारित होता गया.

बताया जाता है कि 2007 तक एससीओ ने परिवहन, ऊर्जा और दूरसंचार से संबंधित बीस से अधिक बड़े पैमाने की परियोजनाओं की शुरुआत की और अपने सदस्य राज्यों के सुरक्षा, सैन्य, रक्षा, विदेशी मामलों, आर्थिक, सांस्कृतिक, बैंकिंग और अन्य अधिकारियों की नियमित बैठकें आयोजित कीं.

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2017 में शामिल हुए थे भारत और पाकिस्तान
जुलाई 2015 में रूस के ऊफ़ा में SCO ने भारत और पाकिस्तान को पूर्ण सदस्य के रूप में स्वीकार करने का निर्णय लिया गया. दोनों ने जून 2016 में उज्बेकिस्तान के ताशकंद में दायित्वों के ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जिससे पूर्ण सदस्यों के रूप में एससीओ में शामिल होने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू हुई. 9 जून 2017 को अस्ताना में शिखर सम्मेलन के दौरान भारत और पाकिस्तान आधिकारिक तौर पर पूर्ण सदस्य के रूप में SCO में शामिल हो गए.

अबकी बार भारत कर रहा है अध्यक्षता
SCO में राष्ट्राध्यक्षों की परिषद शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था है. यह परिषद SCO शिखर सम्मेलन में मिलती है, जो हर साल सदस्य राज्यों की राजधानी शहरों में से किसी एक में आयोजित की जाती है. यह भारत के लिए यह चौथा मौका है, जब वो एक पूर्ण सदस्‍य के तौर पर इस सम्‍मेलन में शामिल हो रहा है.

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Last Updated : Sep 15, 2022, 2:05 PM IST
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