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विवाद के बीच विधानसभा में वीर सावरकर की तस्वीर का अनावरण, सदन के बाहर कड़ी सुरक्षा

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Published : Dec 19, 2022, 1:55 PM IST

Updated : Dec 19, 2022, 4:31 PM IST

कर्नाटक में वीर सावरकर का मुद्दा एक बार फिर से गर्म है. आज विधानसभा में सावरकर के एक चित्र का अनावरण किया गया. कांग्रेस ने इसका विरोध किया. सदन के बाहर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है. savarkar portrait unveiled.

veer savarkar portrait
वीर सावरकर की तस्वीर का अनवारण

बेंगलुरु : कर्नाटक में सत्तारूढ़ भाजपा ने सोमवार को सुवर्ण विधान सौधा के सभागार में स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर के चित्र का अनावरण किया, जबकि विपक्षी कांग्रेस ने इस कदम का विरोध किया. असेंबली हॉल में लगाए गए सात स्वतंत्रता सेनानियों के चित्रों में सावरकर का चित्र भी शामिल है. समारोह कांग्रेस नेताओं और विधायकों की गैरमौजूदगी में संपन्न हुआ. savarkar portrait unveiled.

karnataka assembly
कर्नाटक विधानसभा

इस अवसर पर मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, विधानसभा अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी, कानून मंत्री जे. मधुस्वामी और जल संसाधन मंत्री गोविंद करजोल और अन्य उपस्थित थे. सूत्रों के मुताबिक अनावरण समारोह के दौरान किसी भी तरह की अप्रिय घटना से बचने के लिए विधानसभा के चारों दरवाजे बंद कर दिए गए थे. भाजपा एमएलसी एन. रविकुमार ने कांग्रेस के विरोध पर आपत्ति जताते हुए कहा, स्वतंत्रता संग्राम केवल कांग्रेस नेताओं और नेहरू ने ही नहीं चलाया था.

वीर सावरकर ने देश में क्रांतिकारियों की एक पूरी पीढ़ी को प्रेरित किया. रविकुमार ने सवाल किया विधानसभा, संसद और सार्वजनिक स्थलों पर उनकी तस्वीर नहीं लगाई जाएगी तो कहां लगाएंगे? कांग्रेस के इस बयान पर कि अगर वीर सावरकर का चित्र लगाया जाता है, तो वे विधानसभा में मैसूर के शासक टीपू सुल्तान की तस्वीर लगवाएंगे, रविकुमार ने कहा, टीपू सुल्तान एक कट्टर, मंदिरों को नष्ट करने वाला था. उसने कन्नड़ को फारसी भाषा से बदलने का प्रयास किया. उसने केम्पे गौड़ा (बेंगलुरु के संस्थापक) और कुवेम्पु (प्रसिद्ध साहित्यकार) के सिद्धांतों के खिलाफ काम किया.

उन्होंने कहा, विधान सौधा को छोड़ दें, हम टीपू की तस्वीर कहीं भी नहीं लगने देंगे. बीजेपी विधायक बासनगौड़ा पाटिल यतनाल ने कहा कि कांग्रेस नेता भूल गए हैं कि इंदिरा गांधी ने वीर सावरकर का डाक टिकट जारी किया था और अब विरोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा, हम टीपू सुल्तान की तस्वीर सामने नहीं आने देंगे। वह कट्टर थे. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार के बयान कि वीर सावरकर और कर्नाटक के बीच कोई संबंध नहीं है, भाजपा विधायक के.एस. ईश्वरप्पा ने राहुल गांधी, सोनिया गांधी और कर्नाटक के बीच संबंध पर सवाल उठाया.

ईश्वरप्पा ने कहा, शिवकुमार केवल तिहाड़ जेल और बेंगलुरु सेंट्रल जेल के बारे में जानते हैं. उन्हें सेलुलर जेल और अंडमान में स्वतंत्रता सेनानियों को दी जाने वाली क्रूर सजा के बारे में अध्ययन करने की जरूरत है.

सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद - महाराष्ट्र के साथ सीमा-विवाद को लेकर विभिन्न समुदायों के विरोध के कारण व्यवधान की आशंका के बीच पूरे शहर को एक छावनी में तब्दील कर दिया गया है. सुवर्ण विधान सौध में विधानसभा सत्र भी शुरू हो चुका है. सदन के बाहर पुलिस की भारी तैनाती तथा कई अवरोधक लगाए जाने से वह एक छावनी की तरह दिख रहा है.

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कर्नाटक विधानसभा

पुलिस सूत्रों के अनुसार, शहर में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए करीब पांच हजार पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. उन्होंने बताया कि इन पुलिसकर्मियों में छह पुलिस अधीक्षक, 11 अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, 43 उपाधीक्षक, 95 निरीक्षक और 241 उपनिरीक्षक शामिल हैं. सूत्रों ने बताया कि वैक्सीन डिपो मैदान में बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे, जहां मध्यवर्ती महाराष्ट्र एकीकरण समिति (एमएमईएस) बेलगावी का महाराष्ट्र में विलय करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रही है.

महाराष्ट्र के हातकणंगले निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सदस्य धैर्यशील माने ने जिले के अधिकारियों को उनकी यात्रा के लिए व्यवस्था करने के वास्ते पत्र लिखा था. हालांकि अधिकारियों ने उनके अनुरोध को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उनके भड़काऊ भाषण से शहर की कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है. एमईएस के अलावा कई किसान संगठन भी बेलगावी में अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं.

सूत्रों ने बताया कि यह सत्र वर्तमान विधानसभा का आखिरी सत्र होगा क्योंकि चुनाव मुश्किल से चार महीने दूर हैं. विपक्षी दलों द्वारा विभिन्न विभागों में कथित भ्रष्टाचार, मतदाताओं से जुड़ी जानकारियों की चोरी से संबंधित घोटाले, सीमा विवाद और सरकार द्वारा इससे निपटने के तरीके, सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं के साथ कानून एवं व्यवस्था की स्थिति, मेंगलुरु में कूकर विस्फोट और किसानों की मांगों जैसे मुद्दों को लेकर सरकार को घेरने की संभावना है.

चुनाव का समय करीब आने के मद्देनजर विपक्षी दल सरकार को 2018 के चुनावी घोषणापत्र में किए गए वादों को पूरा न करने और कई शहरी इलाकों, खासतौर से बेंगलुरु में बुनियादी ढांचे की समस्या जैसे मुद्दों पर भी घेर सकते हैं. सूत्रों ने बताया कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक विधायक द्वारा विवादास्पद हलाल विरोधी विधेयक भी सत्र में पेश किया जा सकता है, जिससे सदन में हंगामा होने की संभावना है.

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Last Updated :Dec 19, 2022, 4:31 PM IST
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