ETV Bharat / bharat

1930 से ही देश में मुसलमानों की आबादी बढ़ाने की कोशिश: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत

author img

By

Published : Jul 21, 2021, 2:57 PM IST

Updated : Jul 22, 2021, 8:06 AM IST

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि देश में 1930 से ही मुस्लिम आबादी बढ़ाने का संगठित प्रयास किया गया ताकि वर्चस्व बढ़ाकर इसे पाकिस्तान बनाया जा सके. पढ़िए पूरी खबर..

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत

गुवाहाटी : देश में आबादी नियंत्रण को लेकर छिड़ी बहस के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि देश में 1930 से ही मुस्लिम आबादी बढ़ाने का संगठित प्रयास किया गया ताकि वर्चस्व बढ़ाकर इसे पाकिस्तान बनाया जा सके. भागवत ने कहा कि ऐसा करके वे अपने मकसद में कुछ हद तक कामयाब भी हो गए और देश का बंटवारा हो गया. उन्होंने यह भी कहा कि जिन स्थानों पर वे (मुस्लिम) बहुसंख्यक थे, वहां से उन लोगों को निकाल दिया गया, जो उनसे अलग थे.

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) से किसी मुसलमान को कोई दिक्कत नहीं होगी. आरएसएस प्रमुख ने गुवाहाटी में एक कार्यक्रम में कहा कि इन कानूनों का हिंदू-मुस्लिम विभाजन से कोई लेना-देना नहीं है.

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत बोले, सीएए-एनआरसी से हिंदू-मुस्लिम विभाजन नहीं

दरअसल, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत दो दिवसीय यात्रा पर असम में हैं. बुधवार को एक कार्यक्रम में भागवत ने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का हिंदू-मुस्लिम विभाजन और सांप्रदायिक आख्यान से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने कहा कि कुछ लोग राजनीतिक लाभ के लिए दो मुद्दों को उछाल रहे थे.

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नागरिकता कानून के कारण किसी भी मुसलमान को कोई नुकसान नहीं होगा. भागवत ने कहा, 'आजादी के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री ने कहा था कि अल्पसंख्यकों का ख्याल रखा जाएगा और अब तक यही किया गया है. हम ऐसा करना जारी रखेंगे. सीएए से किसी मुसलमान को कोई नुकसान नहीं होगा.'

भागवत ने एक पुस्तक का विमोचन किया. इसका शीर्षक है 'Citizenship debate over NRC and CAA-Assam and the Politics of History.' उन्होंने कहा कि नागरिकता कानून पड़ोसी देशों में उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान करेगा.

एएनआई का ट्वीट
एएनआई का ट्वीट

बकौल भागवत, 'हम आपदा के दौरान इन देशों में बहुसंख्यक समुदायों तक भी पहुंचते हैं... इसलिए अगर कुछ ऐसे हैं जो खतरों और डर के कारण हमारे देश में आना चाहते हैं, तो हमें निश्चित रूप से उनकी मदद करनी होगी.'

एनआरसी के बारे में भागवत ने कहा कि सभी देशों को यह जानने का अधिकार है कि उसके नागरिक कौन हैं. उन्होंने कहा, 'मामला राजनीतिक क्षेत्र में है क्योंकि सरकार इसमें शामिल है... लोगों का एक वर्ग इन दो मुद्दों के इर्द-गिर्द एक सांप्रदायिक कहानी बनाकर राजनीतिक लाभ लेना चाहता है.'

इससे पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (RSS chief Mohan Bhagwat) ने गाजियाबाद में गत 5 जून को एक कार्यक्रम में कहा था कि सभी भारतीयों का डीएनए एक है और मुसलमानों को डर के इस चक्र में नहीं फंसना चाहिए कि भारत में इस्लाम खतरे में है. उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग मुसलमानों से देश छोड़ने को कहते हैं, वे खुद को हिंदू नहीं कह सकते.

भागवत राष्ट्रीय मुस्लिम मंच द्वारा गाजियाबाद (यूपी) में 'हिन्दुस्तानी प्रथम, हिन्दुस्तान प्रथम' विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि लोगों में इस आधार पर अंतर नहीं किया जा सकता कि उनका पूजा करने का तरीका क्या है.

आरएसएस प्रमुख ने लिंचिंग (पीट-पीटकर मार डालने) की घटनाओं में शामिल लोगों पर हमला बोलते हुए कहा, वे हिन्दुत्व के खिलाफ हैं. हालांकि, उन्होंने कहा कि लोगों के खिलाफ लिंचिंग के कुछ झूठे मामले दर्ज किए गए हैं.

भागवत ने मुसलमानों से कहा, वे भय के इस चक्र में न फंसें कि भारत में इस्लाम खतरे में है. उन्होंने कहा कि देश में एकता के बिना विकास संभव नहीं है. आरएसएस प्रमुख ने इस बात पर जोर दिया कि एकता का आधार राष्ट्रवाद और पूर्वजों का गौरव होना चाहिए. उन्होंने कहा कि हिन्दू-मुस्लिम संघर्ष का एकमात्र समाधान संवाद है, न कि विसंवाद.

यह भी पढ़ें- हिंदुत्व के खिलाफ है लिंचिंग, सभी भारतीयों का डीएनए एक : भागवत

भागवत ने इस अवसर पर ख्वाजा इफ्तकार अहमद की किताब 'द मीटिंग ऑफ माइंड्स' का विमाचेन भी किया. उन्होंने कहा, हिन्दू-मुस्लिम एकता की बात भ्रामक है क्योंकि वे अलग नहीं, बल्कि एक हैं. सभी भारतीयों का डीएनए एक है, चाहे वे किसी भी धर्म के हों.

(एजेंसी इनपुट)

Last Updated :Jul 22, 2021, 8:06 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.