लखनऊ : नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया की अदूरदर्शिता से लखनऊ में करीब 1000 करोड़ रुपये खर्च हो गए हैं. लखनऊ में वर्ष 1995 में रिंग रोड का काम पूरा हुआ था. उस वक्त इस रिंग रोड को भूतल से समानांतर बनाया गया, जबकि सभी को अंदाजा था कि आने वाले समय में लखनऊ की आबादी बढ़ेगी और जाम से भर जाएगी. इस सड़क को शुरुआत से ही एलिवेटेड होना चाहिए था. तब यह काम कम लागत में हो जाता. नेशनल हाईवे अथॉरिटी जाम को देखते हुए पॉलिटेक्निक चौराहे से आईआईएम चौराहे तक छह नए पुल या तो बना चुकी है या फिर बना रही है. जिन पर लगभग 1000 करोड़ का खर्च हो रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह सड़क पहले से ही एलिवेटेड होती तो पुल बनाने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती.
लखनऊ में रिंग रोड कानपुर रोड से शुरू होकर मोहान रोड, हरदोई रोड, सीतापुर से आईआईएम रोड, इसके बाद में यह सड़क वास्तविक रिंग रोड से जुड़ती है. जो माड़ियांव से लेकर पॉलिटेक्निक से लोहिया पथ होते हुए कानपुर रोड के वीआईपी रोड से मिल जाती है. इसमें से मुख्य तौर पर पॉलिटेक्निक से मड़ियांव तक एलिवेटेड सड़क की आवश्यकता थी. इसके इतर जब 1995 में 16 को शुरू किया गया तो एक भी एलिवेटेड रोड नहीं बनाई गई. अब धीरे-धीरे यह पूरी सड़क एलिवेटेड होती जा रही है. फिलहाल मड़ियांव से भिठौली क्रॉसिंग तक, इंजीनियरिंग कॉलेज से मड़ियांव तक और टेढ़ी पुलिया के ऊपर पुल निर्माण पूरा हो चुका है. खुर्रम नगर चौराहा, सेक्टर 25 और मुंशी पुलिया पर पुल निर्माण जारी है.
लखनऊ जन कल्याण महासमिति के अध्यक्ष उमाशंकर दुबे ने बताया कि निश्चित तौर पर यह अदूरदर्शिता है जिसका परिणाम लोग भुगत रहे हैं. इसके साथ ही भारी बजट का खर्च भी हो रहा है. उम्मीद करते हैं कि आगे किसी सड़क निर्माण में इस तरह की अनदेखी नहीं की जाएगी. लखनऊ जन कल्याण महासमिति के वरिष्ठ पदाधिकारी विवेक शर्मा ने बताया कि हम कुर्सी रोड पर रहते हैं और लगातार इस परेशानी को झेल रहे हैं. लगातार पुलों के निर्माण से जाम का सामना करना पड़ता है. जनता की सुनवाई नहीं हो रही. उम्मीद करते हैं कि जल्द से जल्द सभी पुलों का निर्माण पूरा हो जाएगा.