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मलियाना नरसंहार मामला: प्रदेश सरकार ने आरोपियों को बरी करने के आदेश को दी चुनौती, 72 लोगों की हुई थी हत्या

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 22, 2023, 11:02 PM IST

मेरठ का मलियाना नरसंहार मामला फिर सुर्खियों में आ गया है. इस हत्याकांड के पीड़ितों ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी. इसके बाद अब सभी आरोपियों से उनका पक्ष जानने के लिए नोटिस जारी हुआ है. ईटीवी भारत ने वादी पक्ष के अधिवक्ता रियासत अली से इस मामले में बातचीत की.

मलियाना नरसंहार मामला
मलियाना नरसंहार मामला

मलियाना नरसंहार मामले में अधिवक्ता रियासत अली से बातचीत

मेरठ: पश्चिमी यूपी का बहुचर्चित मलियाना नरसंहार मामला अब एक बार फिर सुर्खियों में है. जिन 39 आरोपियों को साक्ष्‍य के अभाव में मेरठ में निचली अदालत ने मार्च 2023 में बरी कर दिया था, अब हाईकोर्ट में पीड़ित परिवारों की तरफ की गई अपील के बाद सभी आरोपियों से उनका पक्ष जानने के लिए नोटिस जारी हो चुका है. इसको वादी पक्ष बड़ी उपलब्धि मान रहा है. मलियाना नरसंहार में 72 लोगों की हत्या हुई थी. उत्तर प्रदेश सरकार ने भी पीड़ितों की तरफ से आरोपियों को बरी करने के आदेश को चुनौती दी है.

अपर जिला शासकीय अधिवक्ता (एडीजीसी) सचिन मोहन ने मंगलवार को बताया कि राज्य सरकार ने अपर जिला न्यायाधीश लखविंदर सिंह सूद की अदालत के 31 मार्च 2023 के आदेश के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी. इसमें मेरठ के मलियाना नरसंहार मामले में सभी 39 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था. इससे पीड़ित पक्ष को झटका लगा था. लेकिन, वादी पक्ष ने हार नहीं मानी और इस मामले में हाईकोर्ट का रुख किया था.

मेरठ में मलियाना नरसंहार के दौरान तैनात की गई थी पीएसी
मेरठ में मलियाना नरसंहार के दौरान तैनात की गई थी पीएसी

मलियाना नरसंहार मामले में हाईकोर्ट में दो अपीलें की गई थीं

इस मामले में मार्च 2023 में दो अलग-अलग अपील हाईकोर्ट में की गई थीं. पिछले दिनों इस मामले को हाईकोर्ट में सुना गया और उसमें हिंसा के आरोपियों के विरुद्ध नोटिस जारी करने का निर्देश दिया गया. इससे वादी पक्ष जहां संतुष्ट है, वहीं अब बचाव पक्ष के लिए यह खबर टेंशन देने वाली है. मलियाना हिंसा मामले में पीड़ित परिवारों की तरफ से पैरवी करने वाले एडवोकेट रियासत अली ने कहा कि इस मामले में अब प्रदेश सरकार ने पीड़ित परिवारों की तरफ से भी अपील दायर कर दी है. बता दें कि इससे पहले दो पीड़ित परिवारों द्वारा अपील की गई थी. एडवोकेट रियासत अली ने बताया कि इस मामले की अगली सुनवाई अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में हाईकोर्ट में होगी. बता दें कि 1987 में मेरठ के मलियाना में हुई हिंसा में 72 लोगों की जान गई थी. लोगों के घरों को आग के हवाले कर दिया गया था. इस मामले में 36 साल तक निचली अदालत में मुकदमा चला था. करीब 900 बार से अधिक तारीखें कोर्ट में पड़ी. मार्च 2023 में अदालत ने अपना फैसला सुनाया और सभी आरोपियों को बरी कर दिया था.

मलियाना नरसंहार की तस्वीर
मलियाना नरसंहार की तस्वीर

निचली अदालत में आरोपियों के बरी होने पर हाईकोर्ट गए थे : रियासत अली

एडवोकेट रियासत अली कहते हैं कि निचली अदालत में आरोपियों को बरी करने के खिलाफ वह हाईकोर्ट गए थे. जहां दो अलग-अलग अपील डाली गईं. इसमें से एक याचिका इस घटना में घायल हुए रईश अहमद की तरफ से डाली गई थी, जबकि दूसरी अपील मुकदमे के वादी याकूब सिद्दीकी और वकील अहमद द्वारा हाईकोर्ट में डाली गई थी. इस मामले में हाईकोर्ट में पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान निचली अदालत से रिकॉर्ड तलब करने का आदेश दिया गया था. इसके बाद अब लोअर कोर्ट की एक फाइल उच्च न्यायालय पहुंच चुकी है. अब इस मामले में ये आदेश दिया जा चुका है कि जितने भी आरोपी हैं, उन्हें नोटिस जारी कर हाईकोर्ट में तलब किया जाए और वह कोर्ट में आकर अपना पक्ष रखें.

रियासत अली ने कहा- साक्ष्यों के अधार पर लड़ रहे इंसाफ की लड़ाई

रियासत अली कहते हैं कि उनके पास वो तमाम साक्ष्य हैं, जिनके आधार पर हाईकोर्ट में वह इंसाफ की लड़ाई लड़ रहे हैं. उन्होंने बताया कि सरकार की तरफ से भी इस मामले में निचली अदालत के निर्णय के विरोध में अपील की गई है. इसमें कहा गया है कि निचली अदालत ने जिन आरोपियों को बरी किया है, वह गलत किया है. उन्होंने बताया कि इस मामले में वादी पक्ष की तरफ से हाईकोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता सैयद शाहनवाज शाह और वरिष्ठ अधिवक्ता मोहम्मद दानिश पैरवी कर रहे हैं.

दंगाइयों के साथ पीएसी वालों के भी शामिल होने का लगा था आरोप

उन्होंने बताया कि उस वक्त आरोप लगे थे कि दंगाइयों के साथ पीएसी वाले भी इस हत्याकांड में शामिल थे. दंगे को काबू में करने के लिए पीएसी, पैरामिलिट्री और सेना शहर में तैनात की गई थी. कर्फ्यू भी लगाया गया था. मलियाना में हुई हिंसा में जानें तो गई ही थीं. साथ ही 106 मकान भी जलाए गए थे. इस नरसंहार के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी स्वयं दौरा करने आए थे. प्रधानमंत्री के निर्देश के बाद जांच कमेटी का गठन हुआ था. सेवानिवृत्त न्यायाधीश जीएल श्रीवास्तव की अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन हुआ था. उस वक़्त सरकार ने एक जांच आयोग का गठन किया था. इसके द्वारा कुल 84 सार्वजनिक गवाहों समेत 14 हिंदुओं और 70 मुस्लिमों से पूछताछ की गई थी. इसके अलावा पांच आधिकारिक गवाहों से भी पूछताछ की गई थी. लेकिन, इसकी रिपोर्ट सार्वाजनिक नहीं की गई थी.

1988 में मलियाना से हटाई गई थी पीएसी

1988 में सरकार को पीएसी को मलियाना से हटाने के लिए कहा गया था. इसके बाद पीएसी हटी थी. उस वक्त सरकार ने मरने वालों के परिवार वालों को भी 20-20 हजार रुपये का मुआवजा दिया था. कुल 36 मरने वाले लोगों के परिजनों को उस वक्त मुआवजा दिया गया था. जख्मियों को 500-500 रुपये का मुआवजा दिया गया था. साथ ही घर बनवाने के लिए आर्थिक मदद दी गई थी. इन सबके बावजूद माना जा रहा है कि पीड़ित पक्ष मजबूत पैरवी नहीं कर पाया, जिस वजह से निचली अदालत ने 39 आरोपियों को बरी कर दिया था.

एडवोकेट रियासत अली कहते हैं कि हमें न्याय मिलेगा. वह कहते हैं कि इससे पूर्व में भी मेरठ के हाशिम पूरा में हुए नरसंहार मामले में भी निचली अदालत में आरोपी बच गए थे. उन्हें निर्दोष बताया गया था. लेकिन, बाद में जब मामला हाईकोर्ट पहुंचा, तो पीड़ित परिवारों को इंसाफ मिला. आज भी उस हिंसा के आरोपी सलाखों के पीछे हैं.

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