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दुनियाभर में 30 साल में मारे जा चुके हैं 1600 से अधिक पत्रकार, जानें 2 नवंबर का दिन क्यों है खास

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 2, 2023, 12:11 AM IST

Updated : Nov 3, 2023, 12:46 PM IST

पत्रकारों की सुरक्षा और उनके खिलाफ अपराध करने के बाद सजा से बच जाने का मामला लगातार गंभीर हो रहा है. इन मुद्दों पर दुनिया का ध्यान खींचने के लिए हर साल आज के दिन 'पत्रकारों के खिलाफ अपराधों के लिए दण्ड से मुक्ति समाप्त करने के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस' मनाया जाता है. पढ़ें पूरी खबर..International Day to End Impunity for Crimes against Journalists 2023, IDEICAJ 2023, Claude Verlon, Ghislaine Dupont, Crimes against Journalist In India.

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हैदराबाद : मानवाधिकार और लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने के साथ समाज के विकास के लिए स्वच्छ और सुंदर पत्रकारित आवश्यक है. बेहतर पत्रकारित के लिए जरूरी है पत्रकारों की सुरक्षा. भारत ही नहीं दुनिया भर में पत्रकारिता एक खतरनाक और घातक पेशा बन चुकी हैं. कई मीडिया कर्मी युद्ध, प्राकृतिक आपदा या अन्य खतरे वाले इलाके में रिपोर्टिंग के दौरान जान गंवाते हैं. वहीं रिपोर्ट छपने के बाद कई मीडिया कर्मियों की हत्या कर दी जाती है. हत्या के ज्यादातर मामलों में उन्हें न्याय नहीं मिल पाता है.

  • Free and independent media are an essential part of an open and democratic society.

    To mark the International Day to End Impunity for Crimes against Journalists, find out how the European Parliament is safeguarding journalists from intimidation and influence ↓

    — European Parliament (@Europarl_EN) November 2, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार दस में से नौ बार, एक पत्रकार की हत्या अनसुलझी होती है. पत्रकारों की हत्या अनसुलझी न रहे और अपराध करने वालों को हर हाल में सजा मिले. इसी को लेकर हर साल 2014 से 'पत्रकारों के खिलाफ अपराधों के लिए दण्ड से मुक्ति समाप्त करने के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस' के रूप में मनाया जाता है. इस साल इस दिवस का फोकस 'पत्रकारों के खिलाफ हिंसा, चुनाव की अखंडता और सार्वजनिक नेतृत्व की भूमिका' पर फोकस है.

  • The U.S. continues to advocate for open and free press around the world and accountability for those who attack press freedom. On International Day to End Impunity for Crimes against Journalists, we honor these brave journalists who continue to hold governments to account. pic.twitter.com/cICQwKjpsh

    — Department of State (@StateDept) November 2, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

2 नवंबर 2013 को माली में दो फ्रांसीसी पत्रकारों की हुई थी हत्या
संयुक्त राष्ट्र महासभा की ओर से पत्रकारों की सुरक्षा और दण्डमुक्ति के मुद्दे पर महासभा के संकल्प के आधार पर 2 नवंबर को 'पत्रकारों के खिलाफ अपराधों के लिए दण्ड से मुक्ति समाप्त करने के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस' के रूप में घोषित किया. 21 फरवरी 2014 को इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र की ओर से अधिसूचना जारी किया गया था. प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राष्ट्रों से पत्रकारों के खिलाफ अपराध करने वाले सजा से नहीं बचें (दंडमुक्ति की वर्तमान संस्कृति), इसके लिए ठोस व्यवस्था करने की अपील की गई.

  • On International Day to End Impunity for Crimes against Journalists, we are highlighting the work of 2021 peace laureates Maria Ressa and Dmitry Muratov. They received the award for their fight for freedom of expression in the Philippines and Russia.https://t.co/zpMvdfKhCo pic.twitter.com/ZPQ5ofj9Zq

    — The Nobel Prize (@NobelPrize) November 2, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

माली में 2 नवंबर 2013 को दो फ्रांसीसी पत्रकारों की हत्या की गई थी. इन्हीं के याद में 2 नवंबर के दिन को 'पत्रकारों के खिलाफ अपराधों के लिए दण्ड से मुक्ति समाप्त करने के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस' मनाया जाता है. बता दें फ्रांसीसी रेडियो स्टेशन आरएफआई के दो पत्रकार क्लाउड वेरलॉन और घिसलीन ड्यूपॉन्ट (Claude Verlon And Ghislaine Dupont) की अपहरण के बाद माली के उत्तरी शहर किदाल में हत्या कर दी गई थी.

  • When journalists are silenced, democracy dies.

    On this International Day to End Impunity for Crimes Against Journalists, we stand with the brave journalists who risk their lives to bring us the truth pic.twitter.com/CwAmpO4bdl

    — NSUI (@nsui) November 2, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">
  • Join us on the International Day to End Impunity for Crimes Against Journalists

    On November 2, experts and media professionals will discuss the impact of counter-terrorism & criminal laws on media freedom & journalists' safety.
    Register here: https://t.co/1TwfjPYlj5 pic.twitter.com/jcuT6QFyuX

    — UN Human Rights (@UNHumanRights) October 23, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">
  1. संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की UNESCO Observatory of Killed Journalists के अनुसार 1993 से अब तक 1600 से अधिक पत्रकार मारे जा चुके हैं.
  2. यूनेस्को के अनुसार साल 2020-2021 में 117 पत्रकार मारे गए. लैटिन अमेरिका और कैरेबियन इलाके में 38 फीसदी हत्याएं हुईं. इसके बाद एशिया और प्रशांत क्षेत्र में 32 फीसदी हत्याएं हुईं.
  3. पत्रकारों के खिलाफ अपराध में सिर्फ 14 फीसदी केसों को ही न्यायिक रूप से सुलझाया हुआ माना जाता है.
  4. साल 2021 में मारे गये पत्रकारों में महिला पत्रकारों का प्रतिशत दोगुना हो गया, जो बीते साल 6 फीसदी से बढ़कर 11 फीसदी हो गया.
  5. वैश्विक संस्था Committee For Protect Journalist के अनुसार भारत में 1992 से लेकर 2023 तक 91 से ज्यादा मीडियाकर्मी मारे जा चुके हैं. इनमें से 59 मामलों में मौत के कारणों के कारण स्पष्ट हो पाये हैं. वहीं 29 मामलों में कारणों के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाई. cpj.org मारे गये मीडिकर्मियों के बारे में विस्तार से कई जानकारी उपलब्ध है. इसमें मृत पत्रकारों के नाम, संस्थान, मौत की तिथि, मौत के कारणों के बारे में जानकारी उपलब्ध है.

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Last Updated : Nov 3, 2023, 12:46 PM IST
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