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ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष ने हाईकोर्ट में दाखिल की कैविएट, मुस्लिम पक्ष दे सकता है चुनौती

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Published : Jul 23, 2023, 9:44 PM IST

हिंदू पक्ष की ओर से (Gyanvapi Shringar Gauri Case) मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वे आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से कराने की मांग की गई थी. शुक्रवार को कोर्ट ने इसकी मंजूरी दे दी. हालांकि मुस्लिम पक्ष इसका विरोध कर रहा था.

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प्रयागराज : ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वे कराने के जिला जज वाराणसी के आदेश को मुस्लिम पक्ष द्वारा हाईकोर्ट में चुनौती देने की संभावना के मद्देनजर हिंदू पक्ष ने भी तैयारी कर ली है. कमेटी ऑफ मैनेजमेंट अंजुमन इंतजामिया मस्जिद की ओर से जिला जज के फैसले के खिलाफ पुनरीक्षण याचिका दाखिल करने की संभावना को देखते हुए हिंदू पक्ष की ओर से राखी सिंह व अन्य 5 महिलाओं ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में कैविएट दाखिल की है.

21 जुलाई को कोर्ट ने सुनाया था फैसला : कैविएट दाखिल करने का उद्देश्य यह है कि यदि मुस्लिम पक्ष की ओर से जिला जज के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दाखिल की जाती है तो हिंदू पक्ष को सुने बिना कोई भी आदेश पारित न किया जाए. उल्लेखनीय है कि जिला जज वाराणसी ने 21 जुलाई को अपने आदेश में एएसआई को निर्देश दिया है कि ज्ञानवापी मंदिर परिसर का वैज्ञानिक सर्वे करके रिपोर्ट अदालत में दाखिल की जाए. मुस्लिम पक्ष ने इस आदेश से असहमति जताते हुए इसे हाईकोर्ट में चुनौती देने की बात कही है. यदि मुस्लिम पक्ष इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट आता है तो हिंदू पक्ष को भी सुने जाने के लिए पहले से ही हाईकोर्ट में कैविएट दाखिल कर दी गई है.

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ये होता है कैविएट का मतलब : कैविएट का मतलब किसी को सावधान करने से है. कुछ मामलों में हालात ऐसे बन जाते हैं कि अगर कोई वादी किसी मुकदमे को न्यायालय में लेकर आता है तो प्रतिवादी को समन जारी कर दिए जाते हैं. कैविएट को इस हालात ने निपटने की व्यवस्था के रूप में जाना जाता है. कानून में सभी पक्षकारों को बराबर सुनने का प्रावधान है. सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 की धारा 148(ए) कैविएट को उल्लेखित करती है. इसके अनुसार कोई भी पक्षकार न्यायालय के समक्ष कैविएट दाखिल करके यह कह सकता है कि संबंधित मामला अगर कोर्ट में आए तो बगैर उसका पक्ष जाने कोई भी फैसला न सुनाया जाए.

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